By अभिनय आकाश | Jun 06, 2025
ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी से पता चला कि यूट्यूबर्स के जरिए पाकिस्तान ने भारत में जासूसी का नेटवर्क बनाया था। इसी जासूसी नेटवर्क पर एक और बड़ा खुलासा हुआ है। नए खुलासे में पाकिस्तानी एजेंट है, जिसका कोडनेम मैडम एन है। इस पाकिस्तानी जासूस का पूरा नाम नौशाबा शहजाद मसूद है। ये लाहौर की डिफेंस हाउसिंग सोसाइटी के फेज नं 1 इसका ठिकाना है। नौशाबा का मकसद भारत में 500 जासूसों का लंबा चौड़ा नेटवर्क खड़ा करने का मकसद था। जिसके लिए नौशाबा भारतीय सोशल मीडिया इंफ्लूएंशर्स और यूट्यूबर्स से संपर्क करने की कोशिश करती थी। नौशाबा इन्हें पाकिस्तान घुमाने का प्रलोभन देती थी। भारत से पाकिस्तान के लिए पर्यटक वीजा नहीं मिलता। नौशाबा विजिटर्स वीजा के लिए स्पॉसरशिप देने का भी वादा करती थी।
मैडम एन कौन हैं?
नोशाबा शहजाद मसूद या मैडम एन, पाकिस्तान के लाहौर की रहने वाली हैं। उन पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के लिए एक महत्वपूर्ण ऑपरेटिव होने का आरोप है। 'जयाना ट्रैवल एंड टूरिज्म' नामक कंपनी चलाने वाली मैडम एन की शादी पाकिस्तान के एक सेवानिवृत्त सिविल सेवा अधिकारी से हुई है। यह मैडम एन ही थीं जो जासूसी मामले में गिरफ्तार भारतीय सोशल मीडिया प्रभावशाली लोगों को अपने देश की यात्रा करने में मदद कर रही थीं।
मैडम एन की साजिश क्या थी ?
आईएसआई की मैडम एन की अगुआई में रची गई साजिश अब सामने आ गई है। वह कथित तौर पर जासूसी की आड़ में स्लीपर सेल का नेटवर्क बनाने पर काम कर रही थी। मैडम एन पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों की पाकिस्तान यात्रा में मदद की, जिन्हें बाद में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के निर्देशों पर काम करते हुए, वह पर्यटन और धार्मिक तीर्थयात्राओं की आड़ में भारत में 500 व्यक्तियों का जासूसी नेटवर्क स्थापित करने में सक्रिय रूप से लगी हुई थी। उसने स्लीपर सेल की भर्ती के लिए, खासकर करतारपुर कॉरिडोर के खुलने के बाद भारतीय हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाया। करतारपुर कॉरिडोर के खुलने के बाद उसकी गतिविधियाँ काफी बढ़ गईं। उसने सांस्कृतिक आदान-प्रदान और तीर्थयात्रा के बहाने ज्योति मल्होत्रा जैसे यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया प्रभावशाली लोगों को पाकिस्तान में लुभाने के लिए अपने ट्रैवल बिजनेस का इस्तेमाल किया। नोशाबा इन यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया प्रभावशाली लोगों को पाकिस्तानी सेना और आईएसआई अधिकारियों से मिलवाती थी। पिछले छह महीनों में, नोशाबा ने पाकिस्तान में रहने वाले लगभग 3,000 भारतीयों और विदेशों में रहने वाले लगभग 1,500 भारतीयों को सुविधा प्रदान की है।
पाकिस्तानी दूतावास में नोशाबा का प्रभाव
नोशाबा का दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के वीजा अनुभाग पर भी गहरा प्रभाव था। उसने प्रथम सचिव (वीज़ा) सुहैल कमर और काउंसलर (व्यापार) उमर शेरयार के साथ सीधा संपर्क बनाए रखा, जिससे उसके द्वारा संदर्भित किसी भी व्यक्ति के लिए सिर्फ़ एक फ़ोन कॉल से वीज़ा प्राप्त करना संभव हो गया। वह दूतावास में वीज़ा अधिकारी के रूप में काम करने वाले ISI अधिकारी दानिश से भी सीधे संवाद करती थी। खास तौर पर ध्यान देने वाली बात यह है कि तकनीकी तौर पर पाकिस्तान जाने के इच्छुक भारतीय नागरिकों को पर्यटक वीजा जारी करने के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद, पाकिस्तान उच्चायोग नोशाबा की सिफारिशों और प्रायोजन के आधार पर आगंतुक वीजा जारी करता रहा है। माना जाता है कि ये कार्रवाइयां भारत में स्लीपर सेल बनाने में पाकिस्तानी सेना की मदद करने में उनकी व्यापक भूमिका का हिस्सा हैं।
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