RBI गवर्नर से मुलाकात करेंगे नितिन गडकरी, विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल को लेकर होगी चर्चा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 11, 2021

नयी दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को सड़क परियोजनाओं के वित्तपोषण में भारतीय रिजर्व बैंक के बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करने की खातिर नीति बनाने की वकालत करते हुए कहा कि देश को ऐसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए कम लागत वाले वित्त की जरूरत है। उद्योग संगठन सीआईआई के वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए गडकरी ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई)के पास भी विद्युत मंत्रालय के विद्युत वित्त निगम (पीएफसी)की तरह एक वित्तीय शाखा होनी चाहिए। उन्होंने कहा, देश में हमारे पास डॉलर का अधिशेष है। मैंने रिजर्व बैंक के गवर्नर से बात करने का फैसला किया है कि हम एक नीति कैसे तैयार कर सकते हैं जिसके द्वारा हम देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए इस विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग कर सके।

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रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 30 जुलाई को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 9.427 अरब डॉलर बढ़कर 620.576 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। हाल ही में, संसद की एक समिति ने भी यह सुझाव दिया था कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में हाल के दिनों में काफी वृद्धि हुई हैऔर भारतीय रिजर्व बैंक के पास विदेशी भंडार की पर्याप्त उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए, दीर्घकालिक सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए अधिशेष धन के उपयोग की संभावना पर विचार कर सकता है। गडकरी ने कहा कि वह भारत में बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के लिए विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) से बात कर रहे हैं, लेकिन वह उनकी प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, इसलिए हमें कुछ वित्तीय संस्थानों की जरूरत है, जो बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए ब्याज लागत को कम कर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय रेलवे को भारतीय रेलवे वित्त निगम (आईआरएफसी) मिला है, विद्युत मंत्रालय को विद्युत वित्त निगम मिला है लेकिन एनएचएआई की कोई वित्तीय शाखा नहीं है। गडकरी ने सुझाव देते हुये कहा, ‘‘हम एक संस्थान की जरूरत है जिसमें एनएचएआई की हिस्सेदारी हो और साथ ही वित्तीय संस्थान की हिस्सेदारी भी उसमें हो। ऐसे संयुक्त उद्यम के साथ हम नीति बना सकते हैं।

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