वास्तु दोष निवारण के लिए गणेश चतुर्थी पर करें यह आसान उपाय

By कमल सिंघी | Sep 11, 2018

सब संकटों के हर्ता गणपति बप्पा, जिन्हें लंबोदर, गजानन और अनेक नामों से जाना जाता है। कहा जाता है कि जैसे ही बप्पा का घर में प्रवेश होता है समस्त संकट अपने आप ही वहां से दूर चले जाते हैं। उनकी पूजा के लिए वैसे तो विशेष दिन बुधवार माना गया है, किंतु जिस दिन बप्पा का अवतरण माना जाता है वह दिन है चतुर्थी, अर्थात गणेश चतुर्थी। जैसे ही कि बप्पा को संकटहारी माना गया है ठीक वैसे ही कई वास्तुदोषों का निवारण भगवान गणपति जी की पूजा से होता है।

 

संतुष्ट नहीं होंगे वास्तु के देवता

 

ऐसी मान्यता है कि जिस घर में वास्तुदोष होता है वहां कभी तरक्की नहीं होती। परिवार में मुसीबतें रहती हैं। लड़ाई झगड़े और कलह का वातावरण सदैव ही छाया रहता है। इसलिए वास्तु दोष को दूर करने के लिए वास्तु देवता की पूजा आवश्यक बतायी गई है, किंतु यदि वास्तुदेवता के साथ ही गणपति पूजन भी किया जाए तो समस्याओं का समाधान हो सकता है। पुराणों में ऐसा वर्णन मिलता है कि मानव कल्याण के उद्देश्य से वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। वास्तु देवता की संतुष्टि के लिए भगवान गणेश को पूजना बेहतर है। श्री गणेश की आराधना के बिना वास्तु देवता को संतुष्ट नहीं किया जा सकता।

 

गणेशजी की पीठ

 

यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो हो सके तो दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर गणेशजी की प्रतिमा इस प्रकार लगाएं कि दोनों गणेशजी की पीठ मिलती रहे। इस प्रकार से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।

 

दक्षिण दिशा में ना हो मुख

 

घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुंड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं किंतु प्रतिमा लगाते समय यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुंह दक्षिण दिशा में नहीं हो। ऐसा करना अनिष्टकारी बताया गया है।

 

सुख समृद्धि का वास

 

कार्यस्थल पर खड़े गणेशजी का चित्र लगाना चाहिए। किंतु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों। ऐसा माना जाता है कि इससे कार्य में स्थिरता का समावेश होता है। ठीक इसी प्रकार घर में सदैव ही बैठे गणेश की प्रतिमा रखना चाहिए। इससे परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है जो कि स्थायी होती है।

 

इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं

 

ऐसे किसी भी स्थान पर गणपति बप्पा का चित्र लगाना वर्जित है जहां शुद्धता का अभाव है। अर्थात जहां कोई भी व्यक्ति थूकता है या स्नान किए बगैर पहुंच जाता है। चप्पल इत्यादि रखी रहती हैं या ऐसी कोई सामग्री रखी है जिसे पूजन में वर्जित माना गया है। गणपति बुद्धि के देवता हैं अतः इससे बुद्धि का भी नाश होता है और परिवार में कलह का कारण बनता है। इसलिए सदैव ही सावधानी बरतते हुए गणपति बप्पा का पूजन करना चाहिए। अन्यथा इसके दुष्परिणाम भी सामने आ सकते हैं।

 

ऐसे भी कर सकते हैं आसानी से प्रसन्न

 

यदि बप्पा की विशेष पूजा का आयोजन करने में आप असमर्थ हैं तो प्रतिदिन दूर्वा, मोदक के साथ ही जल अर्पित करें आपकी सभी समस्याओं का समाधान शीघ्र ही हो जाएगा।

 

-कमल सिंघी

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