Health Tips: रीढ़ की हड्डी से दिमाग की तरफ बढ़ता है ग्लियोमा ब्रेन ट्यूमर, जानिए लक्षण और इलाज

By अनन्या मिश्रा | Sep 27, 2025

ग्लियोमा ब्रेन ट्यूमर होता है, जोकि धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में फैलता है। फिर यह धीरे-धीरे दिमाग तक पहुंच जाता है। इसमें मौजूद कोशिकाएं मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को सुरक्षा और सपोर्ट प्रदान करती हैं। लेकिन जब इन कोशिकाओं में असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है, तो वह ट्यूमर का रूप ले लेती है। बता दें कि यह ट्यूमर रीढ़ की हड्डी या फिर दिमाग पर दबाव डालता है। ग्लियोमा कई प्रकार का होता है। कुछ धीरे-धीरे बढ़ती हैं, लेकिन वह कैंसर नहीं होता है। लेकिन कुछ ट्यूमर कैंसर वाले होते हैं। कैंसर ट्यूमर दिमाग के ऊतकों पर आक्रमण करते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको ग्लियोमा के प्रकार, लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।


ग्लियोमा के प्रकार


एस्ट्रोसाइटोमा

बता दें कि इसमें ग्लियन सेल्स में से एस्ट्रोसाइट्स से बनता है, जोकि धीमी या फिर तेज गति से बढ़ने वाला हो सकता है। यह ब्रेन कैंसर बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकता है।

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ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा

यह मस्तिष्क में न्यूरॉन्स को इंसुलेट करता है और यह भी रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के आसपास फैलता है। बच्चों की तुलना में यह कैंसर वयस्कों में ज्यादा कॉमन होता है।


किसको अधिक खतरा

हालांकि अभी तक इसका सटीक कारण नहीं मिल पाता है, लेकिन इन कारणों की वजह से यह गंभीर बीमारी हो सकती है।


अनुवांशिक कारण

अगर परिवार में किसी को पहले ग्लियोमा हुआ है, तो यह उनको भी हो सकता है।


रेडिएशन एक्सपोजर

अगर कोई व्यक्ति का सिर बार-बार रेडिएशन के संपर्क में आता है, तो उसको भी यह बीमारी हो सकती है।


बढ़ती उम्र

इस तरह के कैंसर होने की संभावना ज्यादातर 45-70 आयु के लोगों में ज्यादा रहती है। वहीं पुरुषों में ग्लियोमा थोड़ा आम प्रकार का कैंसर है।


ग्लियोमा के लक्षण

शरीर का संतुलन बनाए रखने में दिक्कत या कमजोरी होना।

लगातार सिर दर्द होना, खासकर सुबह के समय

देखने में समस्या होना या डबल विजन।

बोलने या समझने में कठिनाई होना।

याददाश्त में कमी होना।

मिर्गी के दौरे पड़ना।


इलाज

इस ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी करवाई जा सकती है।

वहीं सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर सेल्स को नष्ट करने के लिए थेरेपी की सहायता ली जाती है।

कीमोथेरेपी के जरिए भी ट्यूमर को खत्म करने के प्रोसेस को अपनाया जा सकता है।

इम्यूनोथेरेपी कैंसर के इलाज की नई प्रक्रिया है, लेकिन इसको काफी हद तक सफल माना जाता है।

डॉक्टर के अनुसार, इस गंभीर बीमारी का इलाज तभी संभव है। जब इस बीमारी का इलाज सही समय से शुरू होगा।


भारत में ग्लियोमा का रिस्क

हर साल भारत में लगभर 40,000 से 50,000 मामले ब्रेन ट्यूमर के सामने आते हैं। जिनमें से बड़ी संख्या ग्लियोमा की होती है। वहीं ग्लियोब्लास्टोमा के मामले सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। इन मामलों में सर्वाइवल रेट 5 साल ही होता है।

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