By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 29, 2020
इन कंपनियों ने यह भी कहा था कि अपने प्लेटफॉर्म पर अवैध विषय वस्तु को रोकने एवं उनका नियमन करने के लिए उनके पास इन-बिल्ट प्रणाली है। गूगल और ट्विटर के तर्क का विरोध करते हुए गोविंदाचार्य ने कहा है कि दोनों कंपनियों का भारत में बड़ा व्यवसाय है और नियमित तौर पर सरकारी अधिकारियों के साथ इनके समझौते होते हैं। गोविंदाचार्य का प्रतिनिधित्व वकील विराग गुप्ता ने किया। उन्होंने कहा कि जब भी गैर कानूनी विषय वस्तु की जिम्मेदारी लेने की बात आती है तो इसका जिम्मा ये अपनी मूल कंपनी पर डाल देती हैं, जो विदेश में हैं। वकील गौरव पाठक और सूर्य जोशी के मार्फत दायर प्रत्युत्तर में कहा गया है, ‘‘यह दिलचस्प है कि भारत में भौतिक मौजूदगी के बिना किस तरह से ट्विटर एवं अन्य विदेशी डिजिटल कंपनियां भारतीय अधिकारियों के साथ समझौता कर रही हैं।’’
इसमें यह भी कहा गया कि जब केंद्र सरकार अपने नियुक्त अधिकारियों की जानकारी दे सकती है तो ये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ऐसा करने के लिए अनिच्छुक क्यों हैं। प्रत्युत्तर में दावा किया गया कि अपनी वेबसाइटों पर सामग्री के नियमन के लिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की वर्तमान प्रणाली अपर्याप्त होने की वजह ट्विटर ने अक्टूबर में लेह को कथित तौर पर चीन का हिस्सा दिखा दिया। गोविंदाचार्य ने आवेदन देकर ‘बॉइज लॉकर रूम’ जैसे अवैध समूहों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने की मांग की है ताकि साइबर क्षेत्र में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।