गुरुकुलों में गूंज रहे बदलाव के श्लोक, नये जमाने के मुताबिक तैयार होंगे बटुक

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 13, 2018

इंदौर। आमतौर पर गुरुकुल का विचार आते ही वन क्षेत्र के किसी दूरस्थ आश्रम में प्राचीन ग्रंथों का सस्वर पाठ करते बटुकों (विद्यार्थियों) का दृश्य मन में उभरता है। लेकिन इस पुरानी छवि को तोड़ने के लिये देश भर के 6,000 से ज्यादा गुरुकुलों और वैदिक पाठशालाओं को मौजूदा दौर की जरूरतों के मुताबिक ढालने की कवायद शुरू हो गयी है। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) ने इस दिशा में पहल करते हुए "भारतीय ज्ञान परम्परा" पर आधारित छह नये पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी है। माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर के ये पाठ्यक्रम आयुर्वेद, योग, वेदपाठ, व्यावहारिक संस्कृत व्याकरण, न्याय शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र जैसे विषयों में विद्यार्थियों को औपचारिक प्रमाणपत्र प्रदान करते हैं। 

एनआईओएस के अध्यक्ष चंद्र बी. शर्मा ने बताया, "गुरुकुलों और वैदिक पाठशालाओं के हजारों विद्यार्थियों को शिक्षा तथा रोजगार की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से हमारी अकादमिक परिषद ने इन पाठ्यक्रमों को अनुमति दी है।" शर्मा ने कहा, "देश के अधिकांश गुरुकुलों और वैदिक पाठशालाओं में शिक्षा पूरी करने के बाद विद्यार्थियों को इसका कोई औपचारिक प्रमाणपत्र नहीं दिया जाता है। इस कारण वे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नौकरियों के लिये भी आवेदन नहीं कर पाते हैं। हम अपने नये पाठ्यक्रमों के जरिये इस स्थिति को बदलना चाहते हैं।" 

 

उन्होंने कहा कि गुरुकुलों और वैदिक पाठशालाओं के विद्यार्थी हालांकि स्कूली शिक्षा के औपचारिक प्रमाण पत्र के लिये मुक्त विद्यालयों का रुख करते रहे हैं। लेकिन छह नये पाठ्यक्रमों को एनआईओएस की मंजूरी से पहले उन्हें ये प्रमाणपत्र हासिल करने के लिये उन विषयों की परीक्षा पास करनी पड़ती थी, जिनका गुरुकुल में पढ़ाये जाने वाले पारम्परिक विषयों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं होता था। गुरुकुलों की शिक्षा पद्धति को आज के जमाने की आवश्यकताओं के अनुसार बनाने के लिये कुछ गैर सरकारी संगठन भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। 

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