By अनुराग गुप्ता | Jul 08, 2020
सफल कप्तानों में शुमार दादा
टीम इंडिया के पूर्व सौरव गांगुली सबसे सफल कप्तानों की सूची में शुमार हैं। दादा ने अपने क्रिकेट कॅरियर के समय कुछ ऐसे रोमांचित फैसले लिए जिसने भारतीय क्रिकेट की दशा और दिशा दोनों की बदलकर रख दी। दादा ने अपनी कप्तानी में कई नामुमकिन मैचों को मुमकिन बनाया था।
कभी न भूलने वाला पल
साल 2002, जुलाई की 13 तारीख। इस दिन को भला क्रिकेट का दीवाने लोग कैसे भूल सकते हैं। इस दिन का शोर अलग तरह का सुकून देता है। 13 जुलाई के दिन नेटवेस्ट ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में भारत ने इंग्लैंड को धूल चटाई थी और दादा ने अपनी टीशर्ट लहराकर जीत का जश्न मनाया था। इस दिन न सिर्फ भारत ने एक विशालकाय स्कोर (326 रनों का लक्ष्य) को हासिल किया था बल्कि इंग्लैंड को यह बता दिया था कि हम किसी से कम नहीं...
जब दादा ने संभाली कप्तानी
साल 2000 में गॉड ऑफ क्रिकेट माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने कप्तानी छोड़ने का फैसला लिया। जिसके बाद चयनसमिति ने कप्तानी का जिम्मा सौरव गांगुली को सौंपा था। गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने न सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी तिरंगे का कद ऊंचा किया था।
1983 का वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारत दूसरे वर्ल्ड कप की ख्वाहिश लिए खेलता रहा लेकिन हासिल नहीं कर पाया। फिर 2003 में खेले गए विश्व कप में दादा की कप्तानी में टीम ने फाइनल मुकाबला खेला मगर ऑस्ट्रेलिया से बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2011 में खेले गए वर्ल्ड कप पर टीम इंडिया ने कब्जा कर लिया था।
दादा ने 49 टेस्ट और 147 एकदिवसीय मुकाबलों में भारत की कप्तानी की है और दादा का रिकॉर्ड भी शानदार रहा। सौरव ने अपनी कप्तानी में भारत को 21 टेस्ट मैचों में जीत दर्ज कराई थी। वहीं एकदिवसीय मुकाबलों में दादा को 31 बार मैन ऑफ द मैच चुना गया है। दादा के नाम ऐसे-ऐसे रिकॉर्ड दर्ज है जिन्हें एक जगह पर पिरोया नहीं जा सकता है।
युवा खिलाड़ियों पर जताया विश्वास
सौरव गांगुली ने हमेशा ही युवा खिलाड़ियों पर विश्वास जताया है और खिलाड़ियों ने भी कभी उन्हें निराश नहीं किया। दादा ने वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी जैसे खिलाड़ियों को तवज्जो दी और उन्हें काफी बैक किया था। धोनी को टीम में शामिल करने का बड़ा श्रेय भी दादा को ही जाता है।