By अभिनय आकाश | May 13, 2022
1980-90 के दशक में भारत के सबसे हिंसक विद्रोहों में से एक खालिस्तान आंदोलन, जिसने 21 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली। लेकिन इसके तीन दशक बाद फिर से पिछले एक साल से खालिस्तान आंदोलन के जीवत होने की खबरें विभिन्न तरह से सामने आती रहीं। फिर बीते दिनों सिख फॉर जस्टिस के कन्वीनर गुरपतवंत पन्नू ने 29 अप्रैल को खालिस्तान का स्थापना दिवस मनाने की घोषणा और पटियाला में हिंसक झड़प। पंजाब की शांति को भंग करने के लिए लगातार शरारतों पर आमदा देश विरोधी ताकतों द्वारा पिछले कुछ महीनों के दौरान लगातार सक्रिय हैं। ताजा मामला पंजाब के फरीदकोट से सामने आया है। फरीदकोट की बाजीगर बस्ती में बने पार्क की दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लिखकर माहौल को खराब करने की कोशिश की गई। फरीदकोट के बाजीगर बस्ती में एक पार्क की दीवार पर खालिस्तान जिंदाबाद लिखा हुआ पाया गया।
सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही
सूचना मिलने के बाद हरकत में आई पुलिस ने इस नारे को पेंट की मदद से मिटा दिया। इसके साथ ही पुलिस की तरफ से शहर में नाकाबंदी भी कर दी गई है। पुलिस के द्वारा मामला दर्ज कर लिया गया है। एसएसपी अवनीत कौर सिद्धू ने कि हमारी टीम वहां है। सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है। इस पर टीमें काम कर रही हैं और प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गई है। पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है, नाका चेक पोस्ट भी लगाया गया है। जल्द ही आरोपी की पहचान कर ली जाएगी।
खालिस्तान आंदोलन फिर से उठा रहा है सिर?
गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2019-2020 में गैर-कानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) को "गैरकानूनी संघ" के रूप में घोषित करने के अलावा खालिस्तान आंदोलन का कोई उल्लेख नहीं है। 1 जुलाई 2020 को नौ खालिस्तानियों को औपचारिक रूप से अगस्त 2019 में संशोधित यूएपीए अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। ऐसे में लागातर खालिस्तानी संगठन की सक्रियता से राज्य में खालिस्तान आंदोलन क्या एक बार फिर से सिर उठाने लगा है?
सुरक्षा एजेंसियों के राडर पर फरीदकोट
गत सप्ताह मोहाली में हुए ग्रेनेड हमले का आरोपित निशान सिंह भी फरीदकोट सीआईए स्टाफ ने अमृतसर से पकड़ा था। उससे पहले करनाल पुलिस ने जो चार आंतकी बब्बर खालसा के पकड़े थे, उनमें से तीन का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से संबंध फरीदकोट से रहा है।
स्थिति को बदतर होते देर नहीं लगेगी
खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए आईएसआई, पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठनों और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी में स्थित खालिस्तान समर्थक संगठनों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, पंजाब में इसके लिए खड़ा होने वाले की संख्या नगण्य हैं। हालाँकि, कई कमजोरियाँ सर्वव्यापी हैं और स्थिति को बदतर होने में देर नहीं लगती। उभरते खतरों का मुकाबला करने के लिए पंजाब पुलिस को पुनर्जीवित करने और अत्याधुनिक तकनीक के साथ सीमा सुरक्षा कड़ी करने की आवश्यकता है।