तुलसी का पौधा हर दृष्टि से लाभकारी है, यह वास्तु दोष से भी बचाता है

By कमल सिंघी | Nov 10, 2018

भोपाल। यदि घर में कलह का वातावरण देखने मिले तो समझ लीजिए वास्तु दोष है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं, किंतु यदि घर की बनावट व्यवस्थित नहीं है तो आमतौर पर वास्तु ही इसका एक प्रमुख कारण माना जाता है। ऐसे में कई तरह के उपाय बताए जाते हैं, लेकिन यह अनेक बार कठिन होने के साथ ही ऐसे भी होते हैं जो साधारण मनुष्य के लिए कर पाना संभव नहीं होता। इन परिस्थितियों में साधारण दिखने वाला तुलसी का पौधा आपकी अनेक मुश्किलों का समाधान कर सकता है। अनेक दिनों से चली आ रही घर की कलह से भी आप शांति प्राप्त कर सकते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।

 

-तुलसी का पौधा घर में होने से पवित्रता का संचार होता है। परिवार में सुख शांति व समृद्धि बनी रहती है।

 

-कहा जाता है कि तुलसी का पौधा रखने से कहीं भी भूत-प्रेत व अनावश्यक शक्तियां घर पर नहीं आतीं। जिससे घर पर कलह का वास नहीं होता और समृद्धि आती है।

 

-शरद पूर्णिमा से तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाने की परंपरा है, जिसका सीधा अर्थ भी वास्तु से जुड़ा है, माना जाता है कि ऐसा करने से देवों का आगमन घर पर होता है और उनके आशीर्वाद से धन का आवागमन घर पर लगा रहता है।

 

-कहा जाता है कि तुलसी के पत्ते में साक्षात् भगवान विष्णु का वास होता है। यदि तुलसी का पूजन प्रतिदिन विधि-विधान से किया जाए तो श्रीहरि की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। इसलिए भी तुलसी की परिक्रमा करना उपर्युक्त बताया गया है।

 

-तुलसी के पौधे को यदि घर के आंगन के बीच में लगाया जाए तो शुद्ध वायु के साथ ही वास्तु दोष का भी समापन हो जाता है। यदि घर के तीन कोने हैं और चतुर्थ कोने में दोष है तो तुलसी के पौधे की सकारात्मकता से उसका भी नाश होता है।

 

-तुलसी पत्र में दैविय ही नहीं वैज्ञानिक शक्तियां भी होना बताया गया है। यदि तुलसी के पौधे का प्रतिदिन जिव्हा में रखकर सेवन किया जाए तो स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त भी सर्दी, खांसी सहित विभिन्न बीमारियों के लिए भी तुलसी पत्र उपयोगी बताया गया है।

 

-पुराणों में तुलसी पूर्णतः पवित्र एवं दोष रहित बतायी गई है जिसकी वजह से ग्रहणकाल में भी तुलसी पत्र का उपयोग करने से घर में शुद्धता बनी रहती है।

 

-तुलसी के पौधे की नियमित पूजा करना आवश्यक है। यदि इसका निरादर किया जाए तो यह पौधा सूख जाता है और परिस्थितियां पूर्व से भी ज्यादा कष्टदायी हो सकती हैं।

 

-कमल सिंघी

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