By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 28, 2025
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि प्रशासनिक तंत्र में भ्रम की वजह से अदालत के आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो सरकारी विभाग में सर्वोच्च अधिकारी अवमानना की कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम और उचित मुआवजा एवं भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता अधिकार से जुड़े मामलों में अवमानना के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव को उत्तरदायी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि विभिन्न विभागों के बीच काम के बंटवारे को इस अदालत के आदेश को लागू नहीं करने का बहाना नहीं बनाया जा सकता।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इस अदालत द्वारा पारित आदेश का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करना प्रदेश सरकार का दायित्व है। न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने कहा, “प्रदेश सरकार के प्रशासनिक तंत्र में विभाग या अधिकारी को लेकर किसी भ्रम की वजह से आदेश का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में अवमानना के लिए सर्वोच्च अधिकारी उत्तरदायी होगा।”
मौजूदा अवमानना मामले में याचिकाकर्ता विनय कुमार सिंह की भूमि का 1977 में अधिग्रहण किया गया था। उसके मुताबिक, वर्ष 1982 और 1984 में मुआवजा का आदेश पारित किया गया था, लेकिन मुआवजे की राशि नहीं दी गई और जमीन याचिकाकर्ता के कब्जे में रही।
वर्ष 2013 का कानून लागू होने के बाद मुआवजा सरकारी कोषागार में जमा किया गया, लेकिन याचिकाकर्ता ने इसे लेने से मना कर दिया। पुणे नगर निगम बनाम हरकचंद मिश्रीलाल सोलंकी मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने दलील दी कि चूंकि अधिग्रहण की कार्यवाही की मियाद खत्म हो चुकी थी, इसलिए उसने भूमि अपने पक्ष में जारी करने के लिए अधिकारी के समक्ष प्रतिवेदन दिया।
हालांकि इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद, याचिकाकर्ता ने रिट याचिका दायर की और अदालत ने माना कि चूंकि मुआवजा की राशि उचित नहीं थी, अधिग्रहण की कार्यवाही समाप्त हो गई थी।
अदालत के आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को जमीन नहीं लौटाई गई तो उन्होंने अवमानना याचिका दायर की जिसमें अधिकारियों को अनुपालन के लिए समय दिया गया। हालांकि जब आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो उन्होंने दूसरी अवमानना याचिका दायर की। शुरुआत में जमीन का अधिग्रहण सिंचाई विभाग द्वारा किया गया, लेकिन बाद में इसे शहरी विकास विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया। इसलिए विभाग के प्रमुख सचिव को इस अवमानना याचिका में पक्षकार बनाया गया।
अदालत ने कहा कि राज्य के अधिकारियों ने जानबूझकर अदालत के आदेश की अवमानना की। यह अवमानना इरादतन, जानबूझकर और परिणामों की पूर्ण जानकारी के साथ की गई।
भूमि अधिग्रहण के मामलों में सर्वोच्च अधिकारी मुख्य सचिव है जिन्हें आदेश का अनुपालन करने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है अन्यथा वह अगली तिथि पांच जनवरी, 2026 को उपस्थित होंगे।