By अभिनय आकाश | Feb 09, 2022
कर्नाटक हिजाब विवाद में आज लगातार दूसरे दिन हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में दलील दी गई है ये मामला काफी गंभीर है और इसे बड़े बेंच को भेजे जाने की जरूरत है। जिसके बाद कर्नाटक हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने बड़ी बेंच को सुनवाई के लिए भेजा। जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने मामले को बड़ी बेंच के पास भेज दिया। मामले में सभी की नजरें बैंगलोर हाईकोर्ट के फैसले पर थी। हाईकोर्ट ने जैसे ही सुनवाई शुरू की थी जज ने ये साफ कर दिया था कि मामला गंभीर है।
सरकारी पक्ष की तरफ से ये अपील की गई थी कि पूरी बहस एडवोकेट हेड़गे का वो सुना जा चुका है। उसके साथ राज्य सरकार की जिरह बाकी है। वो पूरी होने के बाद फैसला दें। सरकार की तरफ से कहा जा रहा था कि इस मामले में ऐसी कोई बात नहीं लग रही है, जिसे बड़ी बेंच के पास मामला भेजा जाए। संवैधानिक के साथ ही एक जजमेंट को रेफर करते हुए कहा गया कि पर्सनल लॉ और संवैधानिक कानून में ज्यादा कुछ अतंर नहीं बचा है। यूनिफॉर्म जो पहननने का नियम बनाया गया है उसे ही कायम रखना चाहिए। इसके साथ ही सरकारी वकील की तरफ से कहा गया कि हिजाब पहनना बेसिक स्ट्रक्चर ऑफ इस्लाम में नहीं आता है।
छात्राओं की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि उनकी स्कूली शिक्षा उद्दुपी में ही हुई है और उन्होंने ये चीजें पहले देंखी हैं। राज्य सरकार के रुख ने इसे अपने लिए और खराब कर दिया है। राज्य का कहना है कि उसने कुछ भी प्रतिबंधित नहीं किया है। यह बेकार है। न्यायमूर्ति दीक्षित ने कहा, ‘‘ऐसे मुद्दे जिन पर बहस हुई और महत्वपूर्ण सवालों की व्यापकता को देखते हुए अदालत का विचार है कि मुख्य न्यायाधीश को यह तय करना चाहिए कि क्या इस विषय के लिए एक बड़ी पीठ का गठन किया जा सकता है।’’ न्यायमूर्ति दीक्षित ने आदेश में कहा, ‘‘पीठ का यह भी विचार है कि अंतरिम अर्जियों को भी बड़ी पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए, जिसका गठन मुख्य न्यायाधीश अवस्थी द्वारा किया जा सकता है।’’ हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पीठ से अंतरिम आदेश देने का अनुरोध किया क्योंकि परीक्षाएं दो महीने दूर हैं और छात्रों को उनकी शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इस पर मुस्लिम छात्राओं की ओर से पेश अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अनुरोध किया कि लड़कियों को ‘उनकी संस्कृति का पालन करने’ की अनुमति दी जाए।