असम की इन योजनाओं में लागू होगी दो बच्चों की नीति, मुख्यमंत्री के हालिया बयानों पर हुआ विवाद

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 19, 2021

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा अक्सर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में बने ही रहते हैं। साथ ही हिमंत बिस्वा अपने फैसलों को लेकर भी जाने जाते हैं। अब हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री ने वित्त पोषित योजानएं लागू की है। उन्होंने ये योजानाएं लागू करते हुए कहा है कि इनमें से कुछ का लाभ दो बच्चों वालों को ही मिला है। हिमंत बिस्वा के अनुसार राज्य में योजनाओं के लाभ लेने के लिए दो बच्चों की नीति की चरणबद्ध तरीके से लागू होगी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति सभी योजनाओं में तुरंत लागू नहीं की जाएगी क्योंकि योजनाओं का संचालन केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है। 

इन योजनाओं में लागू होगी दो बच्चों की नीति

अब सवाल ये है कि आखिर वो कौन-सी योजनाएं हैं जिनका लाभ दो बच्चों वालों को ही दिया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा शुरु की जाने वाली आवास योजना में ये नीति लागू की जा सकती है। सरमा ने आगे कहा कि धीरे-धीरे ये नीति हर योजना में लागू की जा सकती है। जिन योजनाओं में ये नीति लागू नहीं होगी वो हैं स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा या प्रधानमंत्री आवास योजना।  सरमा की इस नीति पर विपक्ष ने उनके परिवार के आकार को लेकर जमकर निशाना साधा था। आपको बता दें कि सरमा पांच भाइयों वाले परिवार से हैं। इसको लेकर सरमा ने कहा कि 1970 के दशक में हमारे माता-पिता या दूसरे लोगों ने क्या किया इस पर बात करने का कोई तुक नहीं है। 

प्रवासी मुस्लिमों दिए बयान पर हुआ विवाद

सरमा ने हाल ही में तीन जिलों में हाल ही में बेदखली के बारे में बात की थी। अल्पसंख्यक समुदाय से गरीबी को कम करने के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए शालीन परिवार नियोजन नीति अपनाने का अग्राह किया था। वहीं सरमा ने बड़े परिवारों के लिए प्रवासी मुस्लिम समुदायों को जिम्मेदार ठहराया था। 

मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने महिला शिक्षा को दी जा रही अहमियत की सराहना की है, जिसका संबंध जनसंख्या नियंत्रण के साथ है। 

मदरसों को बंद करने को लेकर भी हुआ था विवाद

आपको बता दें कि इससे पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने मदरसों को बंद कर दिया था। जिससे मुस्लिम समुदाय खासा नाराज हो गया था। इसको लेकर सरमा ने तर्क दिया था सरकार को अब तक इन मदरसों के संचालन के लिए हर साल 262 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे थे। 


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