By प्रभासाक्षी ब्यूरो | Dec 07, 2024
भारत के प्रमुख हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम की 23वीं वर्षगाँठ पर नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में 'विचार संगम' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके तहत विभिन्न परिचर्चाओं के दौरान विषय विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए प्रभासाक्षी के संपादक ने समाचार पोर्टल की 23 वर्षों की यात्रा से जुड़ी जानकारी लोगों के समक्ष रखी। विचार संगम के दौरान महाकुंभ मेला 2025 पर केंद्रित प्रभासाक्षी की वेबसाइट का लोर्कापण भी किया गया।
परिचर्चाओं के दौरान सबसे पहले अर्थव्यवस्था से जुड़े विषय पर चर्चा हुई। इस परिचर्चा का विषय था- 2047 तक हमने विकसित देश बनने और जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तो हमने तय कर लिया है, लेकिन क्या इस दिशा में जो प्रयास किये जा रहे हैं वह सही राह पर हैं? इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रख्यात अर्थशास्त्री गौरव वल्लभ ने कहा कि पिछले 10 साल में भारत की एवरेज ग्रोथ 5.93 है, जिसमें कोरोना काल भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जब नरेंद्र मोदी ने 2014 में सेवा देने का काम किया, तब जीडीपी के हिसाब से देश की रैंकिंग दुनियाभर में 9वें नंबर पर थी, लेकिन आज देश पांचवें नंबर पर है। उन्होंने कहा कि भारत पूर्ण रूप से स्थिर देश है जो संविधान के जरिए ही काम करता है। भारत आज तीसरी पायदान पर जीडीपी के मामले में पहुंच चुका है। आगामी 20 वर्षों में भारत सबसे शीर्ष पर पहुंचने की कगार पर बना हुआ है। जीडीपी का बढ़ना भारत के लिए अच्छा है मगर इसके कुछ नुकसान भी भारत को उठाने पड़ रहे हैं।
परिचर्चा का अगला विषय यह था कि आज के भारत की विदेश नीति में क्या बदलाव आया है? इस परिचर्चा में एम्बेसडर जितेंद्र त्रिपाठी और रोबिन्दर सचदेव ने अपने विचार व्यक्त किए। एम्बेसडर जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि कुछ वर्षों पहले तक अमेरिका भारत के बारे में कुछ नहीं जानता था। मगर अब भारत ग्लोबल पावर बनने की तरफ बढ़ रहा है। ऐसे में अब भारत की बात गंभीरता से सुनी जाती है और मानी भी जाती है। उन्होंने कहा कि अब भारत दुनिया की आंख में आंख डाल कर बात करने की हिम्मत रखता है। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका से लेकर रूस तक में अपनी बात को विश्वास के साथ रखता है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसी स्थिति में आ चुका है कि अब हमारी बात भी मानी जाती है। उन्होंने कहा कि भारत को अब एक खेमे में बंधे रहने की जरूरत नहीं है।
वहीं रक्षा-सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ रोबिन्दर सचदेव ने कहा कि कि डोनाल्ड ट्रम्प के आने से हमारे लिये कई अवसर आयेंगे तो फ्रिक्शन भी देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि हर देश अपने राष्ट्रीय लाभ को देखता है। अमेरिका वर्तमान में इम्मीग्रेंट्स को भगाने की बात कर रहा है। डोनाल्ड ट्रम्प नए कार्यकाल में कई चुनौतियां लेकर आएंगे। मगर सिर्फ चुनौतियां ही नहीं बल्कि कई अवसर भी भारत को मिलेंगे। वर्तमान में अमेरिका और चीन के बीच भी शीर्ष पर बने रहने की जंग लड़ी जा रही है। अमेरिका शीर्ष पद को छोड़ना नहीं चाहता और चीन शीर्ष बनने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
परिचर्चा का अगला विषय था- जीएसटी क्यों बना हुआ है विवाद का मुद्दा? इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी 2016 में आया था तब इसे रेवेन्यू न्यूटरल रेट के तौर पर रखने की बात हुई थी। हाल ही में वित्त मंत्री ने संसद में रिपोर्ट रखी थी कि जीएसटी से 11.6 फीसदी रेवेन्यू आया है। देश में इनडायरेक्ट टैक्स किसी समय में काफी अधिक था जो अब लगभग 11 फीसदी पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष जीएसटी के रेट को लेकर काफी चर्चा की गई है। लगभग 70 फीसदी टैक्स 80 लाख से अधिक आय वालों से वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार टैक्स सुधारों पर काम कर रही है।
कार्यक्रम में शिरकत करते हुए दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने कहा कि अंग्रेजी के बिना विश्व के पटल पर उपलब्ध होना संभव नहीं है मगर हमें अपनी ही भाषा का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने अपनी हाल की न्यूजीलैंड यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि स्थानीय लोग अब भी वहां अपनी प्राचीन भाषा मोरे में ही बात करते है। उन्होंने अपनी पुरानी भाषा पर पकड़ बनाए रखी और उसे छोड़ा नहीं। ऐसी ही स्थिति होनी चाहिए। हिंदी भारत की और हमारी जन्मजात भाषा है। हिंदी भाषा समर्थ है। उन्होंने कहा कि धीरे धीरे हम अपने हिंदी साहित्य से दूर हो गए हैं मगर अब इसे आगे लागे का प्रयास करना चाहिए। इन प्रयासों के लिए उन्होंने प्रभासाक्षी की टीम को शुभकामनाएं भी दीं। इस दौरान उन्होंने महाकुंभ मेला को लेकर प्रभासाक्षी की विशेष वेबसाइट प्रयागराजमहाकुंभ.कॉम का शुभारम्भ भी किया।
परिचर्चा का अगला विषय था- बढ़ती भूराजनीतिक चुनौतियां हमारे लिये क्या अवसर और चुनौतियां लेकर आई हैं? इस मुद्दे पर अपने विचार रखते हुए आरआईएस के महानिदेशक प्रो. सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि भारत को वैश्विक मंच पर खुद को स्थापित करना है। उन्होंने कहा कि विश्व में अशांति फैली हुई है। रूस, चीन और फ्रांस का टकराव हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अब एक ऐसी शक्ति बन कर उभरा है जो युद्धों और संघर्षों का समाधान निकालने की इच्छाशक्ति और ताकत रखता है।
परिचर्चा के एक अन्य विषय- 'हम वोकल फॉर लोकल की बात तो बहुत करते हैं लेकिन चीन से हमारा आयात अब भी बहुत ज्यादा क्यों है?' पर अपनी राय रखते हुए प्रख्यात लेखक और स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने बड़ी सहजता से व्यापार असंतुलन और आयात-निर्यात में उतार-चढ़ाव आदि से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय रखी।
विचार संगम की एक और परिचर्चा 'क्या इतिहास को दोबारा से लिखे जाने की जरूरत है?' विषय पर अपने विचार रखते हुए प्रख्यात इतिहासकार प्रो. कपिल कुमार ने इतिहास से जुड़ी बातें इतनी रोचकता के साथ रखीं कि लोग सुनते ही रह गये। उन्होंने कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को जानना चाहिए। इतिहास सिर्फ अतीत नहीं होता है। इतिहास ये है कि अतीत का अध्ययन किया जाए और वर्तमान स्थिति को परख कर इसकी जांच की जाए और भविष्य को सुधारा जा सके।
रक्षा-सुरक्षा संबंधी विषयों से जुड़ी परिचर्चा में भाग लेते हुए ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी, ग्रुप कैप्टन डीके पांडे, कैप्टन श्याम कुमार और ग्रुप कैप्टन उत्तम कुमार देबनाथ ने विभिन्न तथ्यों के जरिये देशवासियों को इस बात के लिए आश्वस्त किया कि हमारे सुरक्षा बल किसी भी स्थिति में हर तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं।
'विविधताओं के बावजूद भारत कैसे कायम रखे एकता' विषय पर परिचर्चा में भाग लेते हुए आचार्य लोकेश मुनि, साध्वी प्रज्ञा भारती और इस्लामिक विद्वान सुहैब कासमी ने लोगों को एकता के साथ रहने का संदेश दिया जिसकी सभी ने सराहना की। अक्सर धर्म से जुड़े विषयों पर तीखी बहसें सुनने को मिलती हैं लेकिन जिस शांति के साथ सद्भाव का संदेश मंच से दिया गया उसको उपस्थित लोगों ने काफी सराहा।
अगली परिचर्चा 'क्या हैं किसानों की मांगें?' विषय पर अपनी बात रखते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने विभिन्न आंकड़ों और उदाहरणों के जरिये समझाया कि क्यों अन्नदाता की खुशहाली में ही देश की खुशहाली है।
'विभिन्न राज्यों की कानून व्यवस्था को लेकर उठने वाले सवालों' संबंधी परिचर्चा में भाग लेते हुए पूर्व आईएएस उदय सहाय, वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी दुबे और पत्रकार आशुतोष पाठक ने बताया कि क्यों अक्सर यह सवाल उठता है कि न्यायिक तंत्र और लोकतंत्र के बीच सही तालमेल है भी या नहीं?
कार्यक्रम के दौरान देशभर से चयनित 21 लोगों को 'हिंदी सेवा सम्मान' से पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा, प्रभासाक्षी की ओर से भाजपा की सर्वश्रेष्ठ राज्य मीडिया इकाई को दिया जाने वाला पुरस्कार इस साल पार्टी की दिल्ली प्रदेश इकाई को दिया गया जबकि कांग्रेस की सर्वश्रेष्ठ राज्य मीडिया इकाई का पुरस्कार पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई को दिया गया। इसके अलावा दिल्ली स्थित राज्य सूचना केंद्रों में मीडिया को सूचनाएं तत्काल रूप से पहुँचाने के मामले में सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार उत्तर प्रदेश राज्य सूचना केंद्र को दिया गया। सर्वश्रेष्ठ राज्य सरकार का पुरस्कार इस साल असम की सरकार को दिया गया। इस साल से प्रभासाक्षी की ओर से दो और श्रेणियों में पुरस्कार देना आरम्भ किया गया। इस कड़ी में सबसे लोकप्रिय सांसद का पुरस्कार गांधी नगर के सांसद और देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह को दिया गया। सबसे लोकप्रिय विधायक का पुरस्कार असम के चाबुआ क्षेत्र से असम गण परिषद के विधायक श्री पुनाकन बरुआ को दिया गया।