कवयित्री प्रतिभा तिवारी की ओर से प्रेषित कविता 'प्यार और परवाह' की परिभाषा में पारिवारिक संबंधों से जुड़ी एक सामाजिक समस्या की ओर इंगित किया गया है।
सच झूठ, अच्छा बुरा,
अपना पराया, साथी बाराती
मुझे कुछ नहीं पता
ना जाने क्यों
हर वो मर्द
हमारी नज़रों में बदल है जाता
जो अपनी बीवी से
प्यार दे जता।
कौन से मां बाप
अपनी बेटी के लिए
प्यार और परवाह ना करने वाला
जीवनसाथी चाहते हैं
जरा उस घर का दो मुझे पता
तो बेटे के लिए
क्यों बदल देते हैं लोग
प्यार और परवाह की परिभाषा
-प्रतिभा तिवारी