धारा 377 हटने से उपजे कुछ सवाल (व्यंग्य)

By डॉ. दीपकुमार शुक्ल | Sep 19, 2018

धारा 377 के तहत जब से माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला आया है तब से हमारे घसीटे भईया की चिन्ता बढ़ी हुई है। कल सुबह−सुबह हमारे घर आ धमके। बोले "धारा 377 के सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है उस पर कुछ लिखा या नहीं?" हमने कहा "नहीं, उसमें क्या लिखना, यह तो माननीय उच्चतम नयायालय का फैसला है। हम कोई भारत सरकार थोड़े हैं जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देंगे।" वह बोले "अरे यार, मैं फैसला पलटने के लिए थोड़े कह रहा हूँ।" हमने कहा "फिर आप क्या चाहते हो" वह बोले "इस फैसले को लेकर हमारे जहन में कुछ सवाल उठ रहे हैं। अब समस्या यह है कि इन सवालों को पूछूं किससे? पत्नी से तो मैं इस विषय की चर्चा भी नहीं कर सकता। पता नहीं क्या का क्या अर्थ लगा के हमारे ऊपर चढ़ायी कर दे। किसी ऐसे व्यक्ति को मैं जानता नहीं हूँ जिसे इस फैसले से राहत मिली हो। तो सोचा तुम पत्रकार हो लाओ तुम्हीं से जानकारी कर लें।"

 

मैंने बिना किसी बहस के उनके सवालों को सुनना ही ठीक समझा और कहा "बोलिए क्या सवाल हैं आपके?" उन्होंने कहा सवाल संख्या एक, धारा 377 के तहत यदि दो पुरुष या दो महिलाएं आपस में विवाह करते हैं तो उनका विवाह किस रीति से सम्पन्न होगा, हिन्दू रीति से या मुस्लिम रीति से या अन्य किसी रीति से?" मैंने उन्हें टोकते हुए कहा "अरे इसमें क्या है, जो जिस धर्म का होगा वह उस धर्म की रीति से विवाह करेगा। नहीं तो लोग कोर्ट मैरिज कर लेंगे।" बोले "कोर्ट भी तो हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि के रीति−रिवाजों का सम्मान करता है। पहले मेरे सवाल सुन लो।

 

सवाल संख्या दो, यदि विवाह हिन्दू रीति से होता है तो मांग कौन और किसकी भरेगा तथा सुहाग की निशानी मंगलसूत्र और बिछिया आदि कौन धारण करेगा? सवाल संख्या तीन, यदि मुस्लिम रीति से विवाह होता है तो मेहर की रकम कौन चुकाएगा? सवाल संख्या चार, तलाक की स्थिति में तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कौन और किससे बोलेगा? सवाल संख्या पांच, बाद में यदि हलाला की स्थिति बनती है तो किसका हलाला होगा और हलाला करेगा कौन? 

 

और अब अंतिम सवाल, दोनों में से कौन किसके दरवाजे बारात लेकर जायेगा और उस बारात का स्वागत किसका परिवार करेगा?" घसीटे भईया के सवाल सुनकर मैं अवाक रहा गया। मैं बोला "यार भाई साहब, आप भी कहाँ−कहाँ से सवाल लेकर आते हो। ये भी कोई सवाल हैं?" वह बोले "हमें मालूम था कि तुमको हमारे सवाल समझ में नहीं आयेंगे सोचकर आराम से बताना। ये बड़े व्यावहारिक सवाल हैं। हालांकि एक बात और बता दें कि यदि पूरे देश के लोग इस तरह के विवाह−बन्धन में बन्ध जाएँ तो जनसंख्या वृद्धि पर बहुत ही सरलता से नियंत्रण लग सकता है। जो कि हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है। हम तो यह सब जानते ही नहीं थे.....", 

 

मैंने कहा "यदि जानते होते तो क्या कर लेते?" बोले "करना क्या था, बढ़िया किसी हैंडसम लड़के से शादी करते और ठाट से जिंदगी गुजार रहे होते। इस नकचढ़ी पत्नी और बद्तमीज लौंडों से तो बचा रहता। अच्छा चलता हूँ। ऑफिस के लिए देर हो रही है। आराम से सोचकर बताना।" कहते हुए घसीटे भईया निकल लिए और मैं उन सवालों का बोझ लिए अब तक बैठा हूँ।  

 

-डॉ. दीपकुमार शुक्ल

(स्वतन्त्र पत्रकार)

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