By नीरज कुमार दुबे | Dec 05, 2025
यदि आप भी लोन लेकर नया घर, नई गाड़ी या पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं या आप ईएमआई के भारी दबाव से जूझ रहे हैं तो आपके लिए बड़ी खुशखबरी है। हम आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आज प्रमुख नीतिगत दर यानि रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती करते हुए इसे 5.25% पर ला दिया है। मजबूत आर्थिक विकास और नरम पड़ती महंगाई के बीच यह निर्णय लिया गया। इस कदम के साथ ही उम्मीद है कि बैंक अब होम लोन, कार लोन, पसर्नल लोन और छोटे बिजनेस लोन पर ब्याज दरें कम करेंगे। इसके साथ ही ब्याज दर कम होने से जमा दरों में भी गिरावट की संभावना है।
हम आपको बता दें कि मजबूत आर्थिक प्रदर्शन से उत्साहित होकर, मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2026 (FY26) के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 50 आधार अंक बढ़ाकर 7.3% कर दिया है। साथ ही, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई का अनुमान 2.6% से घटाकर 2% किया गया। खास बात यह है कि रुपये में गिरावट के बीच भी छह-सदस्यीय एमपीसी ने विकास और महंगाई दोनों संकेतकों का आकलन करते हुए रेपो दर घटाने का निर्णय लिया।
हम आपको बता दें कि जुलाई–सितंबर 2025 तिमाही में जीडीपी 8.2% बढ़ी, जो पिछले साल की समान अवधि के 5.6% से काफी अधिक है। इसके अलावा, खुदरा महंगाई में उल्लेखनीय गिरावट आई है। अक्टूबर 2025 में सीपीआई महंगाई 0.25% रही, जबकि सितंबर में यह 1.4% थी। मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इस वर्ष भारत में “तेजी से डिसइन्फ्लेशन” (महंगाई में कमी) देखने को मिली है। उन्होंने बताया कि आयकर और जीएसटी का सरलीकरण, कच्चे तेल की नरम कीमतें, सरकारी पूंजीगत व्यय में अग्रिम बढ़ोतरी और अनुकूल धन-परिस्थितियों ने आर्थिक गतिविधियों को गति दी है। ग्रामीण मांग मजबूत है और शहरी मांग लगातार सुधार रही है। निजी निवेश भी गति पकड़ रहा है।
इसके साथ ही RBI ने अनुकूल व्यापक आर्थिक स्थिति को देखते हुए विकास अनुमान बढ़ाया है और महंगाई अनुमान घटाया है। आरबीआई का कहना है कि खाद्य आपूर्ति की स्थिति बेहतर हुई है, उच्च खरीफ उत्पादन, रबी की अच्छी बुआई, जलाशयों में पर्याप्त पानी और अनुकूल नमी से कीमतों पर दबाव कम हुआ है। ब्रेंट क्रूड भी स्थिर है और वैश्विक कीमतों में नरमी बनी हुई है। हम आपको यह भी बता दें कि RBI ने अपना ‘न्यूट्रल’ रुख बनाए रखा है, जिसका अर्थ है कि आगे दरें आर्थिक आंकड़ों के आधार पर ऊपर या नीचे जा सकती हैं।
देखा जाये तो RBI की यह दर कटौती ऐसे समय में आई है जब भारत तेज़ आर्थिक विकास और ऐतिहासिक रूप से कम महंगाई का संयोजन देख रहा है। ऐसा संतुलन किसी भी उभरती अर्थव्यवस्था में दुर्लभ है।समग्र रूप से देखें तो यह दर कटौती संतुलित, सावधान और संकेतात्मक कदम है। संकेत यह है कि RBI विकास को समर्थन देना चाहता है, लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य को लेकर आँखें मूँद नहीं रहा।