RBI ने रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.25% किया, महंगाई में ऐतिहासिक गिरावट से उधारी सस्ती

भारतीय रिज़र्व बैंक ने महंगाई में ऐतिहासिक गिरावट का लाभ उठाते हुए रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.25% कर दिया है, जिससे उधारी सस्ती होगी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह कदम मौद्रिक नरमी के चक्र का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य खपत और निवेश को संतुलित समर्थन देना है, वहीं 2026 तक दरों में और कटौती की संभावना सीमित है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 5 दिसंबर 2025 को मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान अपना मानक रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.25% कर दिया है। मौजूद जानकारी के अनुसार यह कटौती उसी ईज़िंग चक्र का अंतिम चरण मानी जा रही है, जिसे आरबीआई ने वर्ष की शुरुआत में शुरू किया था और जून में 50 बेसिस प्वाइंट की बड़ी कमी देखने को मिली थी।
बता दें कि अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई मात्र 0.25% दर्ज की गई, जिसे हाल के वर्षों का सबसे निचला स्तर माना जा रहा है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट और उपभोक्ता सामानों पर टैक्स में कटौती के चलते यह परिदृश्य संभव हुआ है। गौरतलब है कि पिछले कई तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि दर 8% से ऊपर बनी हुई है, जिसके बावजूद आरबीआई ने अर्थव्यवस्था के ओवरहीट होने से बचने और खपत व निवेश को संतुलित समर्थन देने का विकल्प चुना है।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि महंगाई दबाव में उल्लेखनीय कमी और आर्थिक आधार की मजबूती के चलते मौद्रिक नरमी लागू की गई है। नीति रुख को न्यूट्रल रखने का निर्णय यह संकेत देता है कि 2026 तक दरों में और कटौती की संभावना सीमित है। बैंक की आंतरिक प्रोजेक्शन के अनुसार आगामी वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6 से 6.5% और महंगाई 3 से 4% के दायरे में रह सकती है।
प्री-मीटिंग विश्लेषणों में भी अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने 25 बेसिस प्वाइंट कटौती की आशंका जताई थी, जो अब सही साबित हुई है। रेट निर्णय के बाद वित्तीय बाजारों में सकारात्मक संकेत देखने को मिले हैं और गृह ऋण, वाहन ऋण तथा कारोबारी कर्ज की ब्याज लागत में और कमी आने की उम्मीद मजबूत हो गई है। मौद्रिक नरमी का यह दौर, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच घरेलू मांग और निवेश को संतुलित गति देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके प्रभाव आने वाले महीनों में स्पष्ट होते दिखाई देंगे।
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