Aam Aadmi Party ने इस तरह जीत लिया दिल्ली का किला, क्या BJP के लिए बजी खतरे की घंटी

By नीरज कुमार दुबे | Dec 07, 2022

दिल्ली नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी विजेता बनकर उभरी है। इसके साथ ही राजधानी पर आम आदमी पार्टी का पूरी तरह कब्जा भी हो गया है। अब मुख्यमंत्री के अलावा मेयर भी आम आदमी पार्टी का होगा। इसके अलावा दिल्ली के तीनों राज्यसभा सांसद भी आम आदमी पार्टी के हैं। मात्र दस साल पुरानी राजनीतिक पार्टी का इतना बड़ा राजनीतिक वजूद एक बड़ी कामयाबी है। दिल्ली की इस जीत के साथ ही अब आम आदमी पार्टी का प्रभुत्व राष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ना स्वाभाविक है।


लेकिन इस जीत के साथ ही आम आदमी पार्टी की चुनौतियां भी बढ़ने वाली हैं क्योंकि अब तक केजरीवाल सरकार का भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम पर यह आरोप रहता था कि वह ठीक से काम नहीं कर रहा है और भ्रष्टाचार में लिप्त है तो वहीं भाजपा का दिल्ली सरकार पर आरोप रहता था कि राज्य सरकार उसके फंड को रोक रही है और सहयोग नहीं कर रही है। लेकिन अब जबकि राज्य और निगम की सत्ता में आम आदमी पार्टी होगी तो आरोप-प्रत्यारोप की यह राजनीति खत्म हो जायेगी। अब आम आदमी पार्टी को अपने वादों पर खरा उतर कर भी दिखाना होगा। क्योंकि फिलहाल दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है और यहां की मुख्य नदी यमुना बहुत मैली हो चुकी है।


जहां तक दिल्ली नगर निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी की जीत की बात है तो माना जा सकता है कि मुफ्त बिजली और पानी दिया जाना काम कर गया है। क्षेत्रवार परिणाम दर्शा रहे हैं कि ऐसे इलाके जहां निम्न वर्ग के लोग ज्यादा रहते हैं उन इलाकों में आम आदमी पार्टी को ज्यादा वोट मिले हैं। इसके अलावा मुस्लिम आबादी की बहुलता वाले इलाकों में भी आम आदमी पार्टी को बड़ी संख्या में वोट मिले हैं। दिल्ली दंगों और सीएए के खिलाफ चले आंदोलन के बाद राजधानी में यह पहला चुनाव था और इसमें मुस्लिमों ने खुलकर आम आदमी पार्टी को वोट दिये। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के खिलाफ भाजपा ने भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाये थे वह भी चुनावों में असर नहीं दिखा सके हैं। उल्लेखनीय है कि मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले के मामले में काफी घेरा गया था वहीं जेल में बंद दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन के रोजाना नये नये वीडियो जारी कर आरोप लगाये गये थे कि दिल्ली सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही है और सत्येंद्र जैन जेल में बैठे-बैठे दरबार लगा रहे हैं। यही नहीं महाठग सुकेश चंद्रशेखर ने भी दिल्ली के उपराज्यपाल को कई पत्र लिख कर केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाये थे।

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दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जीत में पार्टी के स्थानीय नेताओं का भी काफी योगदान रहा क्योंकि अरविंद केजरीवाल तो ज्यादातर समय गुजरात में चुनाव प्रचार में सक्रिय रहे थे। मनीष सिसोदिया, अन्य मंत्रियों तथा पार्टी के विधायकों और अन्य राज्यों से आये कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में चुनाव प्रबंधन संभाला। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 'केजरीवाल की सरकार और केजरीवाल का पार्षद' नारा दिया था जोकि काम कर गया है। इसके अलावा मतदान से ठीक पहले केजरीवाल ने दिल्ली की सभी आरडब्लयूए को मिनी पार्षद का दर्जा देने का जो वादा किया था उसने भी असर किया है। हालांकि आम आदमी पार्टी के लिए निगम चलाना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि भाजपा के भी पार्षद बड़ी संख्या में जीतकर आये हैं। फिलहाल निगम चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी को चुनावी राहत इसलिए है क्योंकि अब दिल्ली में साल 2024 में तब चुनाव होंगे जब देश में लोकसभा चुनाव हो रहे होंगे।


इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के लिए साल 2022 राजनीतिक रूप से काफी अच्छा कहा जा सकता है क्योंकि इस साल के शुरू में उसने पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों को जीतकर अपनी सरकार बनाई, गोवा विधानसभा में आम आदमी पार्टी का खाता खुला, अब दिल्ली नगर निगम चुनावों में पार्टी ने भाजपा के 15 साल पुराने शासन को उखाड़ फेंका। देखना होगा कि गुजरात में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहता है। वैसे वहां पहली बार चुनावी समर में उतरी आम आदमी पार्टी को 10 प्रतिशत से ज्यादा मत मिलने का अनुमान विभिन्न एक्जिट पोलों में जताया गया है। इस तरह से आम आदमी पार्टी ने साल की शुरुआत का आगाज भी जीत के साथ किया था और साल के अंत में भी जीत ही उसके भाग्य में आई।


बहरहाल, इस जीत के साथ ही आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीति में अपना कद मजबूत करने में कामयाब रहे हैं। वह बार-बार यह साबित कर चुके हैं कि भाजपा और कांग्रेस का कोई मुकाबला कर सकता है तो वह आम आदमी पार्टी है। आम आदमी पार्टी इस साल पंजाब विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से सत्ता छीन चुकी है। दिल्ली की सत्ता भी उसने कांग्रेस से ही छीनी थी। आम आदमी पार्टी के कई नेता यह दावा कर चुके हैं कि साल 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव मोदी बनाम केजरीवाल होगा। कांग्रेस चूँकि काफी कमजोर हो चुकी है इसलिए लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए आम आदमी पार्टी देशभर में खुद को तैयार कर रही है। केजरीवाल के अलावा तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव आदि जैसे कई नेता भी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दौड़ में हैं। देखना होगा कि क्या संयुक्त विपक्ष केजरीवाल के नेतृत्व में काम करने को राजी होता है या फिर आम आदमी पार्टी अकेले ही भाजपा को चुनौती देती है। फिलहाल तो आम आदमी पार्टी की यह बढ़त भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजने जैसी है।


-नीरज कुमार दुबे

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