By नीरज कुमार दुबे | Jul 30, 2025
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वाले तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने जब मार गिराया तो उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह सुनिश्चित किया कि पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ सबूत भी पूरी तरह पुख्ता किए जाएं। देखा जाये तो यह घटनाक्रम केवल एक सैन्य सफलता नहीं थी, बल्कि भारत की आतंकवाद के प्रति “ज़ीरो टॉलरेंस” नीति का सशक्त संदेश भी था।
हम आपको बता दें कि पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड आतंकियों के खात्मे के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने केवल पारंपरिक पहचान पर ही भरोसा नहीं किया, बल्कि वैज्ञानिक जांच का सहारा लेते हुए मामले को पूरी तरह से पुख्ता किया। यह कदम न केवल जांच की पारदर्शिता का प्रतीक था बल्कि भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
हम आपको बता दें कि ऑपरेशन महादेव में तीन आतंकियों के मारे जाने के बाद सोमवार-मंगलवार की रात को श्रीनगर से चंडीगढ़ एक विशेष विमान रवाना किया गया। इस विमान में जो कार्गो भेजा गया, वह संभवतः अब तक का सबसे छोटा था, लेकिन इसका महत्व सबसे बड़ा था। इसमें केवल तीन हथियार थे— एक एम-4 कार्बाइन और दो एके-47 राइफलें, जो मारे गए आतंकियों से बरामद हुई थीं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि केवल स्थानीय मददगारों द्वारा की गई पहचान पर निर्भर नहीं रहना है। इसके लिए हथियारों का चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय न्यायिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) में बैलिस्टिक परीक्षण करवाया गया। इसका उद्देश्य यह साबित करना था कि बरामद हथियारों से ही पहलगाम हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई थी।
बैलिस्टिक जांच कैसे हुई?
CFSL के फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने पूरी रात जागकर परीक्षण किए। हथियारों से टेस्ट फायरिंग की गई और नए खाली कारतूस तैयार कर उनकी तुलना हमले के स्थल से बरामद कारतूसों से की गई। साथ ही राइफलों की नली से निकलने वाली धारियों और निशानों का मिलान किया गया। मंगलवार सुबह 4:46 बजे, छह फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने वीडियो कॉल पर गृह मंत्री अमित शाह को पुष्टि दी कि बरामद हथियारों और पहलगाम हमले के कारतूसों के निशान पूरी तरह मेल खाते हैं।
देखा जाये तो यह जांच आतंकवाद के खिलाफ भारत की रणनीति में एक नया मानक स्थापित करती है। पाकिस्तान के समर्थन वाले नैरेटिव को तोड़ने में वैज्ञानिक प्रमाण अत्यंत कारगर हैं। साथ ही अदालतों में यह ठोस सबूत आतंकियों और उनके नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई को मजबूत करेगा। इससे सुरक्षा बलों का भी मनोबल बढ़ेगा क्योंकि इस कवायद के जरिये यह स्पष्ट संदेश गया कि हर हमले का न केवल जवाब दिया जाएगा बल्कि अपराधियों के खिलाफ सबूत भी अटल होंगे।
देखा जाये तो ऑपरेशन महादेव के बाद किया गया यह बैलिस्टिक परीक्षण दर्शाता है कि मोदी सरकार न केवल आतंकवादियों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि हर कदम पर वैज्ञानिक साक्ष्यों और पारदर्शिता को प्राथमिकता देती है। श्रीनगर से चंडीगढ़ भेजे गए तीन हथियारों वाला यह छोटा-सा कार्गो पहलगाम हमले की जांच में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। यह रणनीति भारत की नई नीति को रेखांकित करती है— तेज, सटीक और पुख्ता कार्रवाई, जिससे आतंकियों को न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि अदालत और वैश्विक मंचों पर भी कोई जगह न मिले।
बहरहाल, जिस तरह केंद्रीय गृह मंत्री सोमवार को पूरी रात एजेंसियों के संपर्क में रहे और सबूतों की पुष्टि होने के कुछ घंटों बाद ही मंगलवार को लोकसभा में बयान दिया, वह दर्शाता है कि अमित शाह के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। यह घटनाक्रम भारत के बदलते सुरक्षा प्रतिमान को भी दर्शाता है। पहले जहां आतंकवादी घटनाओं के बाद लंबे समय तक जांच और कूटनीतिक बयानबाजी चलती रहती थी, वहीं अब भारत तेज, निर्णायक और ठोस कार्रवाई कर रहा है।