By अभिनय आकाश | May 08, 2025
भारत की सेना का वो ऑपरेशन जिसने आतंक का पर्याय बन चुके पाकिस्तान को ये बता दिया कि अगर कायराना हरकत की जाएगी तो उसका जवाब शौर्य से दिया जाएगा। भारत ने पाकिस्तान और पीओके में करीब 9 टारगेट को नेस्तोनाबूद करके करीब 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। ऑपरेशन 25 मिनट में खत्म हो गया। तीन पाकिस्तानी आतंकी संगठन के 9 टेरर कैंप का खात्मा हो गया। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत लश्कर ए तैयबा के 3 ठिकाने, जैश ए मोहम्मद के चार और हिजबुल मुजाहिद्दीन के 2 टेरर कैंप शामिल हैं। लेकिन सवाल ये था कि इन तीन आतंकवादी संगठन के तीन कुख्यात सरगना लश्कर ए तैयबा का हाफिज सईद, जैश ए मोहम्मद का मौलाना मसूद अजहर और हिजबुल का सैय्यद सलाउद्दीन का क्या हुआ?
जैश के सरगना मसूद अजहर का कुनबा खत्म
जैश-ए-मोहम्मद चीफ मौलाना मसूद अजहर ने बुधवार को कबूल किया कि बहावलपुर में उसके संगठन के मुख्यालय पर भारतीय हमले में परिवार के 10 सदस्य मारे गए। साथ ही, चार करीबी सहयोगी भी मारे गए हैं। अजहर के हवाले से जारी बयान में कहा गया कि मारे गए लोगों में जैश सरगना की बड़ी बहन, उनका पति, भांजा और उनकी पत्नी, भांजी और परिवार के पांच अन्य बच्चे शामिल हैं। मसूद अजहर पहले भारत की जेल में था। उसे 1999 में विमान IC-814 के अगवा यात्रियों की रिहाई के एवज में छोड़ना पड़ा था।
हिज्बुल का ट्रेनिंग कैंप नष्ट
पाकिस्तान के सियालकोट स्थित मेहमूना जोया कैंप पर भी भारतीय सेना ने हमला किया। यह हिज्बुल का मेन ट्रेनिंग कैंप था। इसका इस्तेमाल कठुआ और जम्मू एरिया में आतंकवाद को फिर से खड़ा करने के लिए कंट्रोल सेंटर के तौर पर किया जा रहा था।
लश्कर के तीन ठिकाने तबाह
मुरीदके स्थित लश्कर के हेडक्वॉर्टर समेत तीन ठिकाने निशाना बने। इसका मुखिया हाफिज सईद है, जो मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले का जिम्मेदार है। इसने जम्मू-कश्मीर, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत देश के कई अन्य हिस्सों में भी आतंकी हमले किए हैं।
भारत के तीन सबसे बड़े दुश्मनों का क्या हुआ
पिछले तीन दशकों से जिनकी वजह से भारत ने बहुत कुछ झेला है। ये तीनों बच गए और इसकी वजह ये थी कि तीनों ही ऐसी जगह पर थे, जहां पर इस ऑपरेशन के जरिए उन तक पहुंचना मुश्किल था। ऐसे आतंकवादियों को जिनके जरिए पूरा ऑर्गनाइजेशन चल रहा है। पाक सेना और आईएसआई तमाम दहशत के काम इनसे ही कराते हैं। इसलिए तीनों को वक्त से पहले ऐसी जगह पर रख दिया गया जहां तक एयर स्ट्राइक मुमकिन नहीं था। गोपनीय के साथ ही बिल्कुल खास ऐसी जगह पर खास बंकर में इन्हें रखा गया।
पुलवामा के बाद से ही भारी सिक्योरिटी में हाफिज सईद
तीन साल पहले लश्कर का बॉस हाफिज सईद लाहौर के जौहरी बाग में खुलेआम रहता था। रैलियां करता था और जुमे की नमाज के बाद तकरीर भाषण देता था। लेकिन पुलवामा के बाद खतरे को भांपते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने उसे अंडरग्राउंड कर दिया था। फिर बीच बीचे में भारी सुरक्षा के बीच उसकी उपस्थिति कभी कभी नजर आती थी। लेकिन पहलगाम के बाद सबसे पहले पाकिस्तानी सेना और आईएसआई हाफिज सईद को थ्री लेयर सिक्योरिटी देती है। उसे लाहौर से उठाकर एक खुफिया जगह पर ले जाया जा सकता है। पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के संरक्षण में उसे छुपा दिया जाता है। यही वजह है कि इस अटैक में हाफिज सईद बच गया।
सिलायकोट से निकलकर सेफ जगह मसूद को किया शिफ्ट
हमेशा सियालकोट में देखे जाने वाले मौलाना मसूद अजहर वहां का निवासी भी है। लेकिन पुलवामा के बाद इसे भी धीरे धीरे पब्लिक अपीयरेंस से रोक दिया गया। पहलगाम के बाद दूसरे सबसे बड़े टारगेट मौलाना मसूद अजहर को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाक सेना चीफ के कहने पर अजहर को सियालकोट से निकालकर एक खुफिया ठिकाने पर ले जाया जाता है। उन्हें पता था कि भारत बदला लेगा।
सलाउद्दीन को आईएसआई ने बिल में छिपाया
हिजबुल मुज्जाहिद्दीन का टारगेट ही जम्मू कश्मीर रीजन होता है। हाफिज और अजहर के बाद सैय्यद सलाउद्दीन सबसे बड़ा टारगेट था। ये हमेशा पीओके, मुजफ्फराबाद आया करता था। लेकिन पहलगाम के बाद मसूद अजहर और हाफिज सईद की तरह सलाउद्दीन को भी आईएसआई द्वारा अंडरग्राउंड कर दिया गया। ऐसे में जब ऑपरेशन सिंदूर चला तो इनके आतंकी कैंप तो निशाने पर थे। सबकुछ लॉक हो चुका था। सारी प्लानिंग हो चुकी थी। लेकिन इन संगठनों के तीन सबसे बड़े चेहरे इसलिए बच गए कि वो पहले ही बिल में जाकर छिप गए थे। लेकिन ये कोई पहला और आखिरी मौका नहीं है। भारत की कोशिश यही रहेगी की इन तीनों का हिसाब जब तक नहीं होगा। पाकिस्तान में आतंकवाद की फैक्ट्री बंद नहीं होगी। असली मास्टरमाइंड यही है।
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