360 डिग्री कैसे पलटे ट्रंप? भारत आया अमेरिकी हथियारों का जखीरा

By अभिनय आकाश | Nov 21, 2025

भारत और अमेरिका के रिश्ते सुधर रहे हैं। भले ही धीरे-धीरे सुधर रहे हैं लेकिन अब जो गाड़ी है वो पटरी पर लौट रही है। सबसे पहले भारत अमेरिका से तेल खरीदना शुरू करता है। दूसरे नंबर पर रूस से तेल की खरीद कम करता है। खत्म नहीं करता है, बल्कि कम करता है। उसके बाद भारत बड़ी एलपीजी की डील अमेरिका के साथ करता है। अपनी जरूरत का 10% हिस्सा अब भारत अगले महीने से अमेरिका से खरीदेगा। उसके बाद सैन्य लेवल पर भी भारत जो है एक डील करता है। ये सारी चीजें चल ही रही होती हैं कि खबर आती है कि दिसंबर के आखिर तक भारत की और अमेरिका की जो ट्रेड डील है वो लगभगल लगभग पूरी तरीके से फाइनल हो जाएगी और दोनों देशों ने जो एक सपना देखा था कि 2030 तक $500 बिलियन डॉलर का व्यापार पहुंचाएंगे। द्विपक्षीय व्यापार होगा उस तरफ चीजें आगे बढ़ने वाली हैं। दरअसल, भारत अमेरिका ने एक साथ आकर एक बड़ा खेल कर डाला है। भारत अमेरिका के नए एक्शन से पाकिस्तान और चीन दोनों के होश उड़ चुके हैं। पाकिस्तान पहले ही भारत से डरा हुआ है। हर पल उसे यही डर सोने नहीं दे रहा कि कब भारत पहले की तरह रात में सूरज उगा दे और उसी टेंशन को और भी ज्यादा बढ़ाने का काम कर दिया है। अब अमेरिका से सामने आई इस चिट्ठी ने। दरअसल पाकिस्तान को तगड़ा झटका अब अमेरिका ने दे दिया। जिसकी गोद में वो बैठने के ख्वाब हर दिन हर रात देख रहा था। उसी पाकिस्तान को अब भारत के साथ मिलकर जमीन में गाड़ने का काम अमेरिका ने कर दिया। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के लिए बड़ा कदम उठाते हुए 9.3 करोड़ डॉलर के हथियार की बिक्री को मंजूरी दे दी है। बता दें कि अमेरिका ने भारत को दुनिया की सबसे घातक एंटी टैंक मिसाइल सिस्टम में से एक जैवलिन मिसाइल देने का ऐलान कर दिया है जो कि पाकिस्तान के टैंकों के लिए काल है। भारत अमेरिका की डील में जैवलिन मिसाइल के अलावा स्मार्ट तोप गोला भी है।

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अमेरिका से आ रहा ऐसा ब्रह्मास्त्र, चीन-पाक के उड़े होश

अमेरिका ने भारत को 818.4 करोड़ रुपए (93 मिलियन डॉलर) कीमत के एक्सकैलिबर गाइडेड आर्टिलरी प्रोजेक्टाइल और जैवलिन एंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम बेचने की मंजूरी दे दी है। एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल और इसके उपकरणों की कीमत 414.48 करोड़ और जैवलिन मिसाइल सिस्टम और उपकरणों की कीमत करीब 402.16 करोड़ रुपए है। रूस से तेल खरीद की पैनल्टी के रूप में भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ के बाद ये भारत की अमेरिका से पहली बड़ी रक्षा खरीद होगी। अमेरिका ने कहा है कि इस बिक्री से 'बड़े डिफेंस पार्टनर' की सुरक्षा में सुधार होगा, जो दक्षिण एशिया क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और शांति के लिए महत्वपूर्ण ताकत बना हुआ है। डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी ने अमेरिकी संसद को बताया है कि भारत ने 216 एक्सकैलिबर टैक्टिकल प्रोजेक्टाइल और 100 एफजीएम-148 जैवलिन राउंड, एक जैवलिन एफजीएम-148 मिसाइल, फ्लाई-टू-बाय और 25 जैवलिन लाइटवेट कमांड लॉन्च यूनिट्स या जैवलिन ब्लॉक 1 कांड लॉन्च यूनिट्स खरीदने की इच्छा जताई है। भारत को इन हथियारों और डिफेंस सिस्टम को सेना में शामिल करने में कोई मुश्किल नहीं होगी। साथ ही इन रक्षा उपकरणों और सपोर्ट सिस्टम की बिक्री से क्षेत्र में बुनियादी सैन्य संतुलन में कोई बदलाव नहीं आएगा। बता दें कि भारत और अमेरिका ने हाल ही में 10 साल के लिए डिफेंस पार्टनरशिप डील के विभिन्न मुद्दों पर समझौता किया है

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क्या है जैवेलियन मिसाइल सिस्टम

जैवलिन दुनिया की सबसे अडवांस पोर्टेबल एंटी-टैक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है। इसे फायर एंड फॉर गेट मिसाइल कहा जाता है, यानी फायर करने के बाद सैनिक को टारगेट पर निशाना बनाए रखने की जरूरत नहीं पड़ती। यह खुद लक्ष्य ढूंढकर मार गिराती है। यूक्रेन ने रूस के खिलाफ मिसाइल का इस्तेमाल रूसी टैको को नष्ट करने के लिए किया है। यह पोर्टेबल, कंधे से लॉन्च किया जाने वाला हथियार है। ये टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों और किलेबंद जगहों को नष्ट कर सकता है। यह 'फायर-एंड-फॉरगेट' गाइडेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है। सैनिक फायरिंग के तुरंत बाद सुरक्षित जगह पर जा सकता है क्योंकि मिसाइल इंफ्रारेड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर खुद को गाइड करती है। इसे ले जाना आसान है, इसे दो सैनिक चला सकते हैं। यूक्रेन में सैकड़ों रूसी टैंक नष्ट किए। एलओसी और एलएसी के पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अहम है। इसका टॉप-अटैक मोड बख्तरबंद वाहनों और बंकरों के खिलाफ बेहद कारगर है।

1 गोला 50 पारंपरिक गोलों के बराबर

यह जीपीएस-गाइडेड आर्टिलरी शेल है, जिसे होवित्जर जैसी बड़ी तोपों से फायर किया जाता है। पारंपरिक शेल के विपरीत, यह लंबी दूरी पर भी 2 मीटर से कम की सटीकता से निशाना लगा सकता है। एक एक्सकैलिबर राउंड 10-50 पारंपरिक राउंड के बराबर होता है। इससे गोला-बारूद बचता है। भारत पहले से एम 777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर के साथ एक्सकैलिबर का उपयोग कर रहा है, जो लद्दाख जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में त्वरित तैनाती के लिए आदर्श हैं। अमेरिका से ताजा एक्सकैलिबर आर्टिलरी शेल खरीद से भारत की सटीकता के साथ हमला करने की क्षमता बढ़ेगी।

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टैंक किलर भी कहा जाता है

यूक्रेनी सैनिकों ने इनसे रूस के T72, T19 जैसे मजबूत टैंकों को सैकड़ों की संख्या में उड़ा दिया। यह मिसाइल इतनी प्रभावी रही कि इसे टैंक किलर भी कहा जाने लगा। रूसी टैंक ऊपर से हमला करने का मुकाबला नहीं कर पाते। यही वजह है कि पूरी दुनिया में इस मिसाइल की तारीफ जमकर हो रही है। भारत के पास इस मिसाइल के आने से यह चीन और पाकिस्तान की सीमा पर काम आएगी। पहाड़ी इलाके जैसे कि लद्दाख में यह टैंक रोकने के लिए काफी उपयोगी होगी। पैदल सैनिकों को मजबूत बनाएगी और अब दुश्मन के टैंक आने पर डरने की जरूरत नहीं होगी। पाकिस्तान के पास भी चीनी टैंक है। इसलिए यह मिसाइल पाकिस्तान के खिलाफ भी काफी असरदार होगी। चीनी टैंकों की क्षमता पर पहले से ही सवाल रहे हैं। ऐसे में जमीनी लड़ाई के दौरान भी इस मिसाइल से भारतीय सेना पाकिस्तान के चीनी टैंकों का कब्रगाह बना सकती है।

पड़ोसी देशों के पास क्या क्या

चीनः एचजे 11 और 12 है। यह चाइनीज जैवलिन है। इसकी रेंज 3-4 किमी तक है। एचजे-12 'सॉफ्ट लॉन्च' क्षमता रखती है। इसे कई लोकेशन से दागा सकते हैं। एलएसी पर ये तैनात हैं।

पाकिस्तानः बराबरी का कोई हथियार नहीं। चीन आयातित एंटी-टैंक बख्तर शिकन हैं। जैवलिन की तरह फायर-एंड-फॉरगेट नहीं है। ऑपरेटर को लक्ष्य पर लॉक रहना पड़ता है। रेंज 2-3 किमी है।

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