India-Middle East-Europe Economic Corridor लाकर Modi ने Chinese Economy की कमर बुरी तरह तोड़ कर रख दी है

By नीरज कुमार दुबे | Sep 10, 2023

भारत में विपक्ष अक्सर आरोप लगाता है कि चीन को जवाब नहीं दिया जा रहा और मोदी सरकार चीन के आगे झुक रही है लेकिन दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन को लगातार सबक सिखा रहे हैं। आमने-सामने की भिड़ंत हो, वार्ता की टेबल हो या कूटनीति, हर जगह चीन को धोया जा रहा है। यही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कूटनीति के जरिये चीन को विश्व स्तर पर अलग-थलग कर दिया है और आज दुनिया में चीन विरोध के नाम पर जो कई वैश्विक मंच बन गये हैं या बन रहे हैं उसके पीछे भी भारत की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। इसके अलावा, मोदी सरकार ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो अभियान चलाया उससे चीन से होने वाले आयात पर सीधा-सीधा बड़ा असर पड़ा जिससे ड्रैगन को बहुत नुकसान हुआ है। अब भारत ने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई को झटका देते हुए भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप कॉरिडोर समझौता करवा कर चीन को और बड़ा तगड़ा आर्थिक झटका दिया है। ऐसे में जबकि चीन की अर्थव्यवस्था मंदी और अपस्फीति जैसी मुश्किलों का सामना कर रही है तब अरबों डॉलर के बीआरआई प्रोजेक्ट को होने वाला नुकसान चीन की कमर तोड़ कर रख देगा।


क्या है नया कॉरिडोर

जहां तक भारत, अमेरिका और कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की ओर से महत्वाकांक्षी भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा की बात है तो हम आपको बता दें कि इस नये आर्थिक गलियारे को चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। हम आपको बता दें कि इस गलियारे की घोषणा अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने जी20 शिखर सम्मेलन से इतर संयुक्त रूप से की। देशों ने भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिससे एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच बढ़ी हुई कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण के माध्यम से आर्थिक विकास प्रोत्साहित होने की उम्मीद है।

इसे भी पढ़ें: G20 Summit में भारत मंडपम में लगा शिल्प बाजार, विदेशी मेहमानों को लुभाई भारतीय कला और संस्कृति

कैसा होगा यह नया कॉरिडोर

हम आपको बता दें कि इस पहल में दो अलग-अलग गलियारे शामिल होंगे- पूर्वी गलियारा जो भारत को पश्चिम एशिया से जोड़ता है और उत्तरी गलियारा जो पश्चिम एशिया को यूरोप से जोड़ता है। इसमें एक रेल लाइन शामिल होगी जिसका निर्माण पूरा होने पर यह दक्षिण पूर्व एशिया से भारत होते हुए पश्चिम एशिया तक माल एवं सेवाओं के परिवहन को बढ़ावा देने वाले मौजूदा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्ग के पूरक के तौर पर एक विश्वसनीय एवं किफायती सीमा-पार जहाज-से-रेल पारगमन नेटवर्क प्रदान करेगी। रेल मार्ग के साथ, प्रतिभागियों का इरादा बिजली और डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए केबल बिछाने के साथ-साथ स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात के लिए पाइप बिछाने का है। यह गलियारा क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ करेगा, व्यापार पहुंच बढ़ाएगा, व्यापार सुविधाओं में सुधार करेगा तथा पर्यावरणीय सामाजिक और सरकारी प्रभावों पर जोर को बढ़ावा देगा।


प्रधानमंत्री ने क्या कहा

समझौते की घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में अपने संबोधन में, कनेक्टिविटी परियोजनाओं में कर्ज के बोझ के बजाय वित्तीय व्यवहार्यता को बढ़ावा देने के साथ-साथ सभी पर्यावरणीय दिशानिर्देशों का पालन करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत कनेक्टिविटी को क्षेत्रीय सीमाओं तक सीमित नहीं करता है क्योंकि उसका मानना है कि कनेक्टिविटी आपसी विश्वास को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साथ ही कनेक्टिविटी पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया।


वहीं इस पहल को विभिन्न देशों के नेताओं ने "ऐतिहासिक" बताया। इस दौरान मोदी और बाइडन के अलावा, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया।


विश्व नेताओं की प्रतिक्रिया

जहां तक इस घोषणा पर वैश्विक नेताओं की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो. बाइडन ने कहा है कि उन्हें यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि वे नए भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए एक "ऐतिहासिक समझौते" को अंतिम रूप देने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहा, "इस गलियारे के प्रमुख हिस्से के रूप में, हम जहाजों और रेलगाड़ियों में निवेश कर रहे हैं, जो भारत से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल के माध्यम से यूरोप तक विस्तारित है। इससे व्यापार करना बहुत आसान हो जाएगा। मैं प्रायोजकों और विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी और (सऊदी युवराज) मोहम्मद बिन सलमान को धन्यवाद देना चाहता हूं।''


दूसरी तरफ सऊदी अरब के युवराज ने कहा कि वह आर्थिक गलियारे के एकीकरण के लिए तत्पर हैं। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने गलियारे पर समझौते की सराहना करते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा, "रेल लिंक के साथ यह भारत, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच अब तक का सबसे सीधा कनेक्शन होगा, जिससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार की गति में 40 प्रतिशत का इजाफा होगा।" फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि यह पहले वैश्विक हरित व्यापार मार्ग से संबंधित है क्योंकि हाइड्रोजन भी इस परियोजना का हिस्सा है। जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे सफलतापूर्वक लागू करें और जर्मनी इस संबंध में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।" इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कहा कि नया गलियारा वैश्विक एकीकरण को मजबूत करने में एक मील का पत्थर है। उन्होंने मोदी, बाइडन और अन्य सभी को धन्यवाद दिया जिन्होंने इसे संभव बनाया। मेलोनी ने कहा, "इससे हमारी आर्थिक प्रगति बढ़ेगी। इटली इस पहल में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है और हम भूमध्यसागरीय एवं हिंद प्रशांत के बीच सेतु निर्माण में योगदान देना चाहते हैं।"


भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान

इस बीच, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि गलियारे में भारत को खाड़ी क्षेत्र से जोड़ने वाला एक पूर्वी गलियारा और खाड़ी क्षेत्र को यूरोप से जोड़ने वाला एक उत्तरी गलियारा शामिल है, इसमें रेलवे और जहाज-रेल पारगमन नेटवर्क और सड़क परिवहन मार्ग शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, “इस आयोजन का उद्देश्य भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अधिक निवेश को बढ़ावा देना और इसके विभिन्न आयामों में कनेक्टिविटी को मजबूत करना है।''

प्रमुख खबरें

No Foundation Makeup Tips: बिना फाउंडेशन के पाएं Alia Bhatt का मेकअप लुक, ट्राई करें ये हैक्स

VB-G RAM G Bill: शशि थरूर का केंद्र सरकार पर कटाक्ष: राम का नाम बदनाम ना करो

Shiksha Adhishthan Bill: धर्मेंद्र प्रधान बोले- विश्वविद्यालयों के नियमन, मानक निर्धारण और प्रत्यायन में एकरूपता लाने की आवश्यकता

Sansad Diary: G Ram G Bill लोकसभा में पेश, विपक्ष ने गांधी जी का नाम हटाने का किया विरोध