Rajasthan Congress | राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट में कितनी बनी सहमति? एकजुट होकर चुवान लड़ने के लिए कैसे मनाया गया?

By रेनू तिवारी | May 30, 2023

कांग्रेस ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे एवं पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मैराथन बैठक के बाद सोमवार को कहा कि दोनों नेता आगामी विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने पर सहमत हैं तथा उनके बीच के मुद्दों का समाधान आलाकमान करेगा। 

 

राजस्थान विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत और सचिन पायलट मिलकर लड़ेंगे

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व डिप्टी सचिन पायलट ने सोमवार को नई दिल्ली में पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कांग्रेस की एक महत्वपूर्ण बैठक में एकजुट होकर राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति व्यक्त की। लंबे अंतराल के बाद यह पहला मौका था जब गहलोत और पायलट पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी में आमने-सामने मिले। यह बैठक राजस्थान कांग्रेस में चुनाव से महीनों पहले चल रही अंदरूनी कलह को दूर करने के लिए बुलाई गई थी।


चार घंटे से अधिक समय तक चली महत्वपूर्ण बैठक में अशोक गहलोत, सचिन पायलट, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान के पार्टी नेता जितेंद्र सिंह ने भाग लिया। केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद कहा, "हमने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। निश्चित रूप से, हम राजस्थान में चुनाव जीतेंगे। अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पर सहमति जताई है।" यह बैठक पायलट के अल्टीमेटम के ठीक बाद हुई कि अगर इस महीने के अंत तक राज्य सरकार से की गई तीन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।

 

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पायलट ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने पार्टी की एक चेतावनी की अवहेलना की थी और पिछली भाजपा नीत सरकार के दौरान कथित भ्रष्टाचार पर गहलोत की "निष्क्रियता" पर निशाना साधते हुए एक दिन का अनशन किया था।


2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2020 में, पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ एक असफल विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके बाद उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के पदों से हटा दिया गया। विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति तैयार करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी चुनावी राज्यों के नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं।


बैठक के बाद वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत जी और सचिन पायलट जी के साथ मंत्रणा की। हमने फैसला किया है कि कांग्रेस एकजुट होकर यह चुनाव लड़ेगी। दोनों (गहलोत और पायलट) सहमत हैं कि कांग्रेस को एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरना चाहिए और राजस्थान में हम निश्चित तौर पर चुनाव जीतेंगे।’’ वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘राजस्थान कांग्रेस के लिए एक मजबूत स्थिति वाला राज्य होगा। दोनों नेता प्रस्ताव पर सहमत हैं।’’ यह पूछे जाने पर यह प्रस्ताव क्या है, वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘दोनों ने आलाकमान पर छोड़ दिया है। चुनाव में साथ में जाने का फैसला किया है और हम मिलकर लड़ेंगे और भाजपा के खिलाफ जीत दर्ज करेंगे।” कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और राहुल गांधी ने आज शाम अशोक गहलोत और पायलट के साथ बातचीत की।

 

कांग्रेस पार्टी राजस्थान में भी कर्नाटक की सफलता को दोहराने के लिए तैयार है।’’ इस बैठक को कांग्रेस नेतृत्व की ओर से राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच के विवाद को सुलझाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इस साल के आखिर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। सूत्रों का कहना है कि खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में गहलोत और पायलट के बीच सुलह के किसी फार्मूले पर सहमति बनाई गई है। मुलाकात से पहले गहलोत ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान आज भी इतना मजबूत है कि कोई नेता यह कहने की हिम्मत नहीं कर सकता कि वह अपनी पसंद का पद लेगा या फिर पार्टी उसे मनाने के लिए पद की पेशकश करे।

 

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मुख्यमंत्री से सचिन पायलट को मनाने के लिए आलाकमान की ओर से कथित तौर पर पद की पेशकश किए जाने संबंधी खबर को लेकर सवाल किया गया था। हाल ही में ‘जनसंघर्ष यात्रा’ निकालने वाले पायलट ने मई के अंत तक उनकी मांगें नहीं मानने पर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। जयपुर में अपनी पांच दिवसीय ‘जनसंघर्ष यात्रा’ का समापन करते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत सरकार पर निशाना साधा था।

 

पायलट ने हाल में तीन मांगें रखी थीं, जिनमें राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) को भंग करना और इसका पुनर्गठन, सरकारी परीक्षा के पेपर लीक होने से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देना और वसुंधरा राजे नीत पिछली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की उच्चस्तरीय जांच कराना शामिल है।

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