By रेनू तिवारी | Mar 24, 2020
कोरोना वायरस ने इस समय पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले रखा है। कोरोना दिन पर दिन फैलता जा रहा है। अभी तक इसे रोका नहीं जा रहा है। चीन , इटली, स्पेन, इरान , अमेरिका सहित ये की देशों में तबाही मचा रहा है। भारत में भी इसके सेकड़ों मरीज सामने आ गये हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं क्या है करोना का प्रकोप और भारत कितना तैयार है इससे निपटने के लिए-
कोरोना वायरस क्या है?
कोरोना वायरस क्या है ये कहा से आया हैं। इस बात की अभी तक कोई पुष्टि नहीं की जा सकी है। वैज्ञानिक इसकी खोज कर रहे हैं। कोरोना का क्या स्रोत है उसका भी पता लगाया जा रहा है। कुछ कहानियों के अनुसार कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के साथ एक चमगादड़ संपर्क में आया। इस चमगादड़ के संपर्क में आने से और जानवरों में ये फैला। जब जानवरों के संपर्क में इंसान आया तो यह बीमारी इंसान में फैल गई। इस बात की कोई पुष्टि नहीं है लेकिन WHO ने इस बात को कन्फर्म कर दिया है कि ये वायरस इंसान के जानवरों के संपर्क में आने से फैला है।
कोरोनावायरस (Coronavirus) कई वायरस (विषाणु) प्रकारों का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग के कारक होते हैं। यह आरएनए वायरस होते हैं। मानवों में यह श्वास तंत्र संक्रमण के कारण होते हैं, जो अधिकांश रूप से मध्यम गहनता के लेकिन कभी-कभी जानलेवा होते हैं। 2019 में चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण 2019-20 के दौरान तेज़ी से उभरकर वुहान कोरोना वायरस प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है। हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा।
कोरोना वायरस का प्रकोप
कोरोना वायरस का क्या प्रकोप है ये आज दुनिया में जो कुछ हो रहा है उससे देखा जा सकता है। कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस ने पुरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया है। स्थिति काफी भयानक हो गई है। चीन से निकले इस वायरस ने पुरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। इस बीमारी के क्या परिणाम हैं आप इन आंकड़ो से पता लगा सकते हैं।
पूरी दुनिया में इस समय कोरोना वायरस पॉजिटिव 3 लाख से भी ज्यादा मामले हैं
भारत में अगर मरीजों की संख्या और फैलते संक्रमण का प्रकोप जानना है तो आप ये आकड़े देखे-
भारत सरकार ने क्या कदम उठाए
भारत की मोदी सरकार ने कोरोना के प्रकोप की गंभीरता को समझते हुए कमर कस ली है। कोरोना लगातार भारत में पैर पसारे जा रहा है ऐसे में हालात कहीं चीन और इटली जैसे न हो जाए उसके लिए सरकार ने युद्ध स्तर की तैयारी में है। इस समय भारत में देश बंदी जैसे हालात है। भारत के अधिकतर राज्य लॉकडाउन है।
राजधानी दिल्ली समेत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था कर दी गई है। कोरोना वायरस सास लेने में दिक्कत करता है। अभी तक कोरोना वायरस को खत्म करने की कोई दवा नहीं है ऐसे में नॉर्मल मरीजों को घर में ही आइसोलेट करने की व्यवस्था है और गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल में वैंटीलेटक की व्यवस्था की गई है।
लोग एक दूसरे के संपर्क में न आये इसके लिए पुलिस सख्ती से लॉकडाउन का पालन करवा रही है, जरूरत की चीजों के अलावा कोई दुकान ऑफिस नहीं खुले है।
सरकार गरीबों के लिए भी मदद कर रही है। राशन कार्ड धारको को इस बार मुफत में राशन दिया जाएगा। दिहाड़ी मजदूरों को भी आर्थिक मदद दी जा रही है।
भारतीय रेल सेवा और घरेलू उड़ाने भी रद्द कर दी गई है। फिल्म इंडस्ट्री में संन्नाटा है। कोई फिल्म या शूटिंग नहीं हो रही है। विदेशी सीमाएं सील है। बाहर से आना-जाना रोक दिया गया है।
गंभीरता को देखते हुए देशबंदी भी हो सकती है।
कितना तैयार है भारत का मेडिकल सिस्टम कोरोना से निपटने के लिए
भारत का मेडिकल सिस्टम कितना तैयार है ये जानने से पहले हम आपको भारतीय मेडिकल सिस्टम के ढाचें के बारे में बता दें। भारत के हेल्थ केयर सिस्टम को दो भागों में बाटा जा सकता है - प्राइवेट और सरकारी।
पहले हम बात करते है सरकारी हेल्थ केयर सिस्टम की तो इसमें राज्य के प्राथमिक स्तर पर आंगनवाड़ी है। आंगनवाड़ी में मां और बच्चे से जुड़ी नॉर्मल समस्याओं का समाधान करने की कोशिश की जाती है। यहां पर डॉक्टर नहीं होते। ये ग्रामीण स्तर पर होता है।
इसके बाद आती है बाकी प्राइमरी हेल्थ केयर और कम्युनिटी हेल्थ डिस्पेंसरी। ये सेंटर छोटी मोटी बीमारियों के लिए होते है। यहां पर एमबीबीएस डॉक्टर की सुविधा दी जाती है। यहां पर उन रोगियों को देखा जाता है जिन्हें कोई बड़ी समस्या नहीं होती। यहां पर दर्द, सर्दी-जुखाम वाले बीमार मरीज जो देखा जाता है।
तीसरा स्तर है जिला अस्पताल का। जिला अस्पतालों में बड़ी बीमारियों का इलाज संभव होता है।
जिला स्तर पर राज्य के अधीन वाले अस्पताल भी होते है और केंद्र के अधीन आने वाले अस्पताल भी होते हैं। टर्शीइरी हेल्थ केयर सिस्टम कहते हैं।
करोना से निपटने के लिए क्या है सुविधा
हजमत सूट
कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का इलाज करने वाले डॉक्टर हजमत सूट का इस्तेमाल करते हैं। ग्ल्वस, मास्क, शू-कवर, चश्मे से लैस यह सूट ही डॉक्टरों को मरीज के संक्रमण से बचाता है।
भारत में क्रिटिकल केयर यूनिट की उपलब्धता
मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर दिनेश सिंह के अनुसार कोरोना के ज्यादातर मरीजों को सास की समस्या होती है। अगर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक है तो मरीज ठीक भी हो जाता है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में से केवल 5 प्रतिशत ऐसे है जिन्हें क्रिटिकल केयर की ज़रूरत पड़ती है। ऐसे लोगों को उपचार के लिए आईसीयू की ज़रूरत पड़ती है।
इंडियन सोसाइटी ऑफ़ क्रिटिकल केयर के मुताबिक़ भारत में 70 हज़ार से अधिक आईसीयू बेड हैं जिनका इलाज जरूरत पड़ने पर किया जा सकता है। इसके अवाला भारत में तकरीबन 40 हज़ार ही वेंटिलेटर मौजूद है। जिनमें से अधिकतर मेट्रो शहरों, मेडिकल कॉलेजों और प्राइवेट अस्पतालों में उपलब्ध हैं। कोरोना वायरस की समस्या बूढ़ो और बच्चों को ज्यादा परेशान करती है। इसलिए कोरोना के संक्रमण से इन्हीं को ज्यादा समस्या होगी। नॉर्मल कोरोना पीड़ित को ज्यादा ऐसी कोई बड़ी समस्या नहीं होगी। समस्या तब बढ़ेगी जब कोरोना से संक्रमित इंसान बाहर निकलेगा। क्योंकि ये संक्रमण काफी तेजी से फैलता है।
भारत में प्रति सप्ताह 60 से 70 हज़ार लोगों की टेस्टिंग करने की क्षमता
काफी समय से भारत के उपर ये सवाल उठ रहे थे कि भारत कोरोना की टेस्टिंग नहीं कर पा रहा है। सोमवार से लेकर मंगलवार तक भारत ने लगभग 20 हजार लोगों की टेस्टिंग की। सरकार ने टेस्टिंग में नाकाम होने वाले आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत एक हफ्ते में 60 हजार से 70 हजार तक मरीजों की टेस्टिंग कर सकता है। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव के मुताबिक़ फ़्रांस हर सप्ताह 10 हज़ार लोगों के टेस्ट कर रहा है, ब्रिटेन में 16 हज़ार लोगों की टेस्टिंग हर हफ़्ते हो रही है जबकि अमरीका में तकरीबन 26 हज़ार लोगों की टेस्टिंग प्रति सप्ताह हो रही है.
कोरोना को तीसरे स्तर पर पहुंचने से पहले ही रोकने की तैयारी
कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को पहले चरण पर घर में आइसोलेट होने की सलाह दी जाती है। अगर कंडीशन खराब ज्यादा होती है तो उसे अस्पताल लाया जाता है। वेंटिलेटर पर रखने की स्थिति तीसरी स्टेज होती है। ऐसे में मौत भी हो सकती है। अस सवाल ये है कि अगर भारत में भी स्थिति चीन, इटली और स्पेन जैसी हुई तो भारत कितना तैयार है। भारत में इन देशों जैसे हालात न बनें इसी लिए सरकार ने सख्ती से कदम उठाए है। डॉक्टरों के मुताबिक़ आईसीयू से ज़्यादा समस्या वेंटिलेटर की होने वाली है। इस लिए भारत को तैयार होना पड़ेगा कोरोना को पहली और दूसरी स्टेज में ही खत्म किया जा सके।
आपकी क्या है जिम्मेदारी