By नीरज कुमार दुबे | Jun 03, 2025
सुपरहिट हिंदी फिल्म शोले का एक मशहूर संवाद है- हमारे जासूस जेल के कोने कोने में फैले हुए हैं। इसी तरह देखने को मिल रहा है कि पाकिस्तान के जासूस भारत के कोने-कोने में फैले हुए हैं। आप समाचार-पत्र उठा कर देख लीजिये, किसी टीवी समाचार चैनल को लगा कर देख लीजिये, समाचार वेबसाइटों को खंगाल कर देख लीजिये...आपको हर जगह से जासूसों की धरपकड़ की खबरें मिलेंगी। साफ है कि दुश्मन सिर्फ सीमा पार नहीं बैठा है वह हमारे मोहल्लों और गलियों में भी घूम रहा है। पकड़े जाने पर कोई खुद को हनी ट्रैप का शिकार बताता है तो कोई कहता है कि मोहपाश में बंध कर ऐसा किया। कोई जासूसी का काम पैसों के लिए कर रहा है तो कोई भारत से नफरत होने के चलते दुश्मन का साथ दे रहा है। आश्चर्य तो इस बात का है कि सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों में भी पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले पकड़े जा रहे हैं। देखा जाये तो यह जासूस जिस थाली में खा रहे हैं उसी में छेद कर रहे हैं।
जासूसों के खिलाफ चल रहे अभियान के बीच एक सवाल यह भी उठता है कि पाकिस्तान में लंबा समय बिता कर और बार-बार वहां की यात्रा कर तथा वहां प्रशिक्षण हासिल कर भारत में जासूसी कर रहे लोगों पर हमारी एजेंसियों की निगाह पहले क्यों नहीं पड़ी? सवाल यह भी उठता है कि इससे पहले पकड़े गये जासूसों को कौन-सी कड़ी सजा मिली? सवाल उठता है कि बारिश के मौसम में जिस तरह कुकुरमुत्तों की फौज उग आती है उसी तरह इस समय देश में कोने-कोने में फैल चुके दुमश्न के जासूसी नेटवर्क की जड़ों को कैसे काटा जा सकता है?
जासूसों का जाल कैसे देशभर में फैल चुका है इसकी बानगी इन खबरों से मिलती है-
-हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद से तो जासूसों की गिरफ्तारी की खबरों की बाढ़-सी आ गयी है। हम आपको बता दें कि एनआईए ने गत शनिवार को पाकिस्तान से जुड़े जासूसी मामले में आठ राज्यों में 15 स्थानों पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की। अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक सहायक उप निरीक्षक मोती राम जाट की गिरफ्तारी के बाद यह छापेमारी की गई है। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली, महाराष्ट्र (मुंबई), हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों (पीआईओ) से जुड़े संदिग्धों के ठिकानों पर छापे मारे गए। एनआईए की टीमों ने छापेमारी के दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, संदिग्ध वित्तीय दस्तावेज और अन्य कागजात बरामद किए।
-इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तीन सरकारी कर्मचारियों- पुलिस कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक एजाज अहमद और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर असिस्टेंट वसीम अहमद खान को कथित आतंकी संबंधों के चलते बर्खास्त कर दिया है।
-वहीं, राजस्थान सरकार के एक कर्मचारी शकूर खान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के संदेह में जैसलमेर में हिरासत में लिए जाने के बाद राज्य की राजनीति गर्मा गयी है क्योंकि शकूर खान राजस्थान के पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता सालेह मोहम्मद के निजी सहायक के रूप में काम कर चुका है।
-उधर, दिल्ली पुलिस ने जासूसी गतिविधियों के लिए भारतीय मोबाइल सिम कार्ड की आपूर्ति करके पाकिस्तानी खुफिया संचालकों (पीआईओ) की कथित रूप से सहायता करने के आरोप में राजस्थान के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान कासिम (34) के रूप में हुई है। वह दो बार पाकिस्तान गया था- पहली बार अगस्त 2024 में और फिर मार्च 2025 में और वहां करीब 90 दिन तक रहा। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अपनी यात्राओं के दौरान, उसके पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के अधिकारियों से मिलने का संदेह है।
-इसके अलावा, पंजाब के तरनतारन जिले के एक व्यक्ति को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना की तैनाती और रणनीतिक स्थानों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वह कथित तौर पर पाकिस्तान स्थित खालिस्तान समर्थक नेता गोपाल सिंह चावला के संपर्क में भी था। पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने बताया कि आरोपी की पहचान तरनतारन के मोहल्ला रोडूपुर, गली नजर सिंह वाली के निवासी गगनदीप सिंह उर्फ गगन के रूप में हुई है। उसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना की गतिविधियों से संबंधित संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के साथ साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने एक मोबाइल फोन भी बरामद किया जिसमें जानकारी थी जिसे आरोपी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों (पीआईओ) के साथ साझा किया था। पुलिस ने बताया कि आरोपी कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के संपर्क में था और उसे संवेदनशील जानकारी देने के लिए पैसे भी मिले थे। डीजीपी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "गिरफ्तार आरोपी पाकिस्तान की आईएसआई और (पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी समर्थक) गोपाल सिंह चावला के संपर्क में था और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना की गतिविधियों से संबंधित संवेदनशील जानकारी साझा कर रहा था।" जांच में पाया गया कि आरोपी सैन्य तैनाती और रणनीतिक स्थानों सहित गोपनीय जानकारी साझा करने में संलिप्त था, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा था। यादव ने बताया कि गगनदीप पिछले पांच वर्षों से खालिस्तानी समर्थक गोपाल सिंह चावला के संपर्क में था, जिसके माध्यम से उसका परिचय पीआईओ से हुआ था। उन्होंने कहा कि उसने भारतीय सूत्रों के माध्यम से पीआईओ से पैसा भी प्राप्त किया। डीजीपी ने कहा कि उसके मोबाइल से 20 से अधिक आईएसआई एजेंटों के संपर्कों का विवरण भी मिला है। यादव ने कहा कि अन्य संबंधों का पता लगाने और इस पूरे जासूसी नेटवर्क का पता लगाने के लिए गहन वित्तीय और तकनीकी जांच की जा रही है।
इससे पहले पुलिस ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में मलेरकोटला जिले से एक महिला सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। फलकशेर मसीह और सूरज मसीह को अमृतसर के अजनाला से गिरफ्तार किया गया था और मलेरकोटला निवासी 31 वर्षीय महिला गज़ाला और यामीन मोहम्मद को भी पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था। गज़ाला और यामीन गोपनीय जानकारी साझा करने के बदले ऑनलाइन पैसे प्राप्त कर रहे थे। गज़ाला पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात एक पाकिस्तानी अधिकारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थी। 13 मई को भारत ने कथित तौर पर जासूसी में लिप्त होने के कारण दानिश को देश से निष्कासित कर दिया था। बाद में पुलिस ने गुरदासपुर से दो और लोगों- सुखप्रीत सिंह और करणबीर सिंह को पाकिस्तान की आईएसआई के साथ संवेदनशील सैन्य जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
-इसके अलावा, महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने एक रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी में कनिष्ठ अभियंता के रूप में काम करने वाले ठाणे के एक व्यक्ति को एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को संवेदनशील जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी एजेंट ने अभियंता को कथित तौर पर सोशल मीडिया के जरिये मोहपाश में फंसाया था। 27 वर्षीय आरोपी की पहचान रवीन्द्र मुरलीधर वर्मा के रूप में हुई है और वह ठाणे शहर के कलवा का निवासी है। वर्मा रक्षा प्रौद्योगिकी से जुड़ी एक कंपनी में कनिष्ठ अभियंता के तौर पर काम कर रहा था। कंपनी के एक कर्मचारी के तौर पर उसे दक्षिण मुंबई की नौसेना गोदी में प्रवेश करने की अनुमति थी और वह नौसेना के जहाजों पर काम करता था। पुलिस अधिकारी ने बताया कि वर्मा को एक पाकिस्तानी एजेंट ने अपने जाल में फंसाया था, जिसने खुद को महिला बताकर फेसबुक पर उससे दोस्ती की थी। उन्होंने बताया कि वर्मा ने नवंबर 2024 से मार्च 2025 तक व्हाट्सऐप के जरिये ‘पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव’ (पीआईओ) के साथ एक महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान के बारे में संवेदनशील जानकारी साझा की थी।
-वहीं, एनआईए के अधिकारियों ने पाकिस्तान जासूसी के एक मामले के संबंध में कोलकाता स्थित एक ट्रैवल एजेंसी के मालिक से पूछताछ की है। एक अधिकारी ने बताया कि ट्रैवल एजेंसी के मालिक मोहम्मद मसूद आलम से एनआईए ने उसके कार्यालय के माध्यम से तीन मौकों पर किए गए कुछ संदिग्ध धन लेनदेन के बारे में पूछताछ की। उन्होंने कहा, ‘‘उससे उसकी एजेंसी के माध्यम से किए गए तीन लेन-देन, विशेष रूप से तीन अप्रैल, 2024 को किए गए लेन-देन के बारे में पूछताछ की गई। उसके बयान दर्ज किए गए।’’
-वहीं असम की बात करें तो पाकिस्तान के प्रति ‘‘सहानुभूति’’ दिखाने के आरोप में एक और व्यक्ति गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही इस तरह के मामलों में अब तक 82 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई जारी...तीन जून तक...सोशल मीडिया मंच पर पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति दिखाने वाले कुल 82 लोग अब सलाखों के पीछे हैं। कार्रवाई जारी रहेगी।’’ हम आपको बता दें कि असम पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है जो ‘‘भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक गतिविधियों’’ में लिप्त हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने साफ कहा है कि ‘‘देशद्रोहियों पर राज्यव्यापी कार्रवाई जारी रहेगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।’’
बहरहाल, जासूसों का बढ़ता नेटवर्क दर्शा रहा है कि जब तक देश के खिलाफ काम कर रहे लोगों को सख्त सजा नहीं दी जायेगी तब तक ऐसा काम करने वालों का हौसला बढ़ा रहेगा। यहां सवाल उठता है कि आज तक जितने भी जासूस पकड़े गये हैं उनमें से कितनों को फांसी हुई? कितने जासूसों-गद्दारों की नागरिकता खत्म हुई? कितने जासूसों-गद्दारों की 100% संपत्ति जब्त हुई? देखा जाये तो हर बार डॉक्टर बदलने से बीमारी ठीक नहीं होती है बल्कि कभी कभी दवा भी बदलनी पड़ती है। इसी तरह शासक बदलने से जासूसी खत्म नहीं होती है, नियम कानून बदलने पड़ते हैं। इसलिए मोदी सरकार को चाहिए कि वह जासूसी करने वालों पर नकेल कसने के लिए सख्त कानून बनाये।