नवरात्रि चौथे दिन मां कूष्मांडा करेंगी सभी मनोकामनाएं पूरी, बस ऐसे करें पूजन और जपें मंत्र!

By दिव्यांशी भदौरिया | Sep 24, 2025

शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। इस दौरान घर-घर में पूजा-अर्चना और कीर्तन हो रहे हैं। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। साधक मां कूष्मांडा की पूजा विधि-विधान से करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कूष्मांडा की पूजा करने से रोग, शोक व कष्ट दूर होते हैं और धन, यश व आय में वृद्धि होती है। मां दुर्गा के चौथ रुप मां कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि, प्रिय भोग, पुष्प, शुभ रंग और मंत्र। 


मां कूष्मांडा का स्वरुप


मां कूष्माण्डा सृजन और मातृत्व का प्रतीक है। यह उस अवस्था को दर्शाता है जब स्त्री गर्भधारण कर जीवन को जन्म देने की शक्ति अपने भीतर धारण करती है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं, इसलिए इन्हें देवी अष्टभुजा कहा जाता है। मां कूष्मांडा की सवारी शेर है।


मां कूष्मांडा की पूजा विधि


सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए मां दुर्गा को धूप, गंध, अक्षत, लाल पुष्प, फल, श्रृंगार का सामान व मिठाई आदि अर्पित करें। माता रानी को भोग लगाएं। आखिर में मां की आरती उतारें और मंत्रों का जाप करें।


मां कूष्मांडा का प्रिय भोग


मां कूष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ है। इसके अलावा आप मां को दही व हलवे को भोग भी लगा सकते हैं। माना जाता है कि मां को उनका प्रिय भोग लगाने से भक्त की मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।


प्रिय फूल और शुभ रंग


धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां कूष्मांडा को लाल रंग के फूल काफी प्रिय है। आप चाहे तो लाल कमल, लाल गुड़हल और गेंदे के फूल को मां कूष्मांडा को अर्पित कर सकते हैं। नवरात्र के चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। चौथे दिन हरा पहन सकते हैं। मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग सबसे प्रिय है।


मां कूष्मांडा के मंत्र


मां कूष्मांडा के मंत्र इस प्रकार हैं- "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः" और या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः मंत्र का जप करें। "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नमः" का 108 बार जाप करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और बाधाएं दूर होती हैं।


मां कूष्मांडा की आरती


कूष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी॥


पिगंला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली॥लाखों नाम निराले तेरे ।

भक्त कई मतवाले तेरे॥


भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥


सबकी सुनती हो जगदंबे।

सुख पहुंचती हो मां अंबे॥


तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा॥


मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥


तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा॥


मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो॥


तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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