आतंकी कमांडर बेटे ने पिता और हुर्रियत अध्यक्ष को पशोपेश में डाला

By सुरेश एस डुग्गर | Mar 27, 2018

तहरीके हुर्रियत के नवनियुक्त अध्यक्ष मुहम्मद अशरफ सहराई ने पुलिस महानिदेशक शेष पाल वैद की उस सलाह को ठुकरा तो दिया है जिसमें उनसे आग्रह किया गया था कि वे हाल ही में हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी गुट में शामिल हुए अपने बेटे जुनैद सहराई को वापस लौट आने के लिए कहें। लेकिन सच्चाई यह है कि सहराई पर परिवार की ओर से ऐसा दबाव भी पड़ रहा है पर वे ‘आंदोलन’ की खातिर और अपनी कथित आन-बान-शान को बरकरार रखने के लिए ऐसा सार्वजनिक तौर पर करने को राजी नहीं हैं।

पिछले हफ्ते ही सहराई को सैयद अली शाह गिलानी के स्थान पर तहरीके हुर्रियत कश्मीर का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। यह गुट कश्मीर में तथाकथित आजादी की जंग को छेड़े हुए है। कड़वी सच्चाई यह है कि यही गुट कश्मीर के लोगों खासकर युवाओं को कश्मीर की आजादी के लिए आगे आने की अपीलें तब से कर रहा है जबसे कश्मीर में कथित आजादी का आंदोलन आरंभ हुआ है।

 

और चौंकाने वाली बात यह है कि अध्यक्ष पद को संभालने के दो दिन बाद ही सहराई को अपने बेटे के हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल होने की खबर मिली। दरअसल उनका बेटा जुनैद अपने अब्बाजान की अपील से प्रभावित हुआ था और उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा जुनैद आतंकी कमांडर बन गया।

 

उसके आतंकी कमांडर बनने पर हिज्ब के अतिरिक्त लश्करे तैयबा के कमांडरों ने भी खुशी जाहिर करते हुए यह प्रचारित करना आरंभ किया था कि उनके बड़े नेता भी अब अपने बच्चों को कथित आजादी की जंग के लिए खुशी से भिजवा रहे हैं पर यह सच नहीं था। सहराई परिवार जुनैद के इस कदम से भौंचक्का रह गया है। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उनका बेटा ऐसा कदम उठाएगा।

 

दरअसल हुर्रियत कांफ्रेंस के जितने भी घटक दल हैं उनमें से किसी भी नेता के बेटे ने आज तक इस आंदोलन में शिरकत नहीं की थी। सभी के बच्चे या तो विदेशों में हैं या फिर जम्मू कश्मीर के बाहर देश के विभिन हिस्सों में गुजर बसर कर रहे हैं। यह बात अलग है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के नेता अक्सर हुर्रियत नेताओं को इसके लिए ताने मारते रहते थे।

 

पर अब जबकि तहरीके हुर्रियत के अध्यक्ष सहराई के बेटे ने हथियार उठा कर एक ‘मिसाल’ कायम करने की कोशिश की है, इस कदम से कश्मीर के आंदोलन पर पड़ले वाले असर से सुरक्षा बल चिंतित हो गए हैं। उन्हें डर है कि जुनैद सहराई का यह कदम कश्मीर के आतंकवाद को नए मोड़ पर इसलिए ले जाएगा क्योंकि कश्मीरी युवा जुनैद को अपना आइकन मानते हुए उसके नक्शेकदम पर चल पड़ेंगे।

 

उन्हें यह भी डर है कि हुर्रियती नेता भी जुनैद की ‘बलि’ देकर आतंकवाद को आंदोलन को नए मोड़ पर ला खड़ा करेंगे। पर इस सबके बीच कोई एक पिता के दर्द को नहीं समझ पाएगा जो चाह कर भी अपने बेटे से वापस लौटने की अपील नहीं कर सकता। हालांकि अभी तक करीब 22 कश्मीरी युवा अपनी मांओं की अपील पर हथियार छोड़ कर लौट चुके हैं।

 

-सुरेश एस डुग्गर

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