“दवाओं की खोज में बायोमार्कर के रूप में छोटे अणुओं की पहचान महत्वपूर्ण”

By इंडिया साइंस वायर | Oct 16, 2021

बायोमार्कर के रूप में छोटे अणुओं की पहचान दवा की खोज और रोग निदान अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होती है। लखनऊ स्थित सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) के निदेशक प्रोफेसर तपस कुंडु ने संस्थान में आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान यह बात कही है। उन्होंने इस क्षेत्र में प्रभावी प्रशिक्षण को जरूरी बताया है।

 

प्रोफेसर तपस कुंडु ने कहा कि नये छोटे अणुओं पर आधारित रासायनिक यौगिकों के संश्लेषण के लिए दुनियाभर में व्यापक शोध किया जा रहा है। इसका उद्देश्य औषधीय महत्व के पौधों एवं अन्य स्रोतों से जैविक रूप से सक्रिय अणुओं की पहचान करना है। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में रोगों के निदान के लिए नये बायोमार्कर एवं दवाओं की खोज में मदद मिल सकती है।

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सीएसआईआर-सीडीआरआई में हाल में आयोजित- कोरोना महामारी के बाद एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री पर व्यवहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम (हैंड्स-ऑन-ट्रेनिंग प्रोग्राम) को संबोधित करते हुए प्रोफेसर कुंडु ने परमाणु चुंबकीय अनुनाद (एनएमआर) स्पेक्ट्रोस्कोपी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री दो परस्पर पूरक महत्वपूर्ण विश्लेषणात्मक विधियां हैं, जिनका उपयोग अणुओं की संरचनाओं, उनकी मात्रा और उनकी क्रियाशीलता संबंधी गुणों को समझने के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। 


एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री द्वारा लघु अणु विश्लेषण पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 06-08 अक्तूबर 2021 को सीएसआईआर-सीडीआरआई की सोफिस्टीकेटेड एनालिटिकल इन्स्ट्रुमेंट फेसिलिटी (SAIF) द्वारा किया गया था। सैफ (SAIF) को पिछले 45 सालों से उसकी विश्लेषणात्मक सेवाएं (एनालिटिकल सर्विसेज) प्रदान करने के लिए जाना जाता है। यह केंद्र देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा 70 के दशक में स्थापित पहली चार ऐसी सुविधाओं में से एक है।


सैफ, सीआईएसआईआर-सीडीआरआई के प्रमुख एवं वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ के. वी. शशीधरा ने बताया कि सैफ की अवधारणा रासायनिक और जीव विज्ञान के अनुसंधान क्षेत्र में कार्यरत वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं की जरूरतों के अनुरूप विकसित हुई है। यह उन विश्वविद्यालयों, सरकारी शोध संस्थानों और फार्मा उद्योगों, जिनके पास महंगे और परिष्कृत उपकरण नहीं हैं, के शोधकर्ताओं को अनुसंधान में सहायता प्रदान करता है।


सीआईएसआईआर-सीडीआरआई के कौशल विकास कार्यक्रमों के समन्वयक एवं मुख्य वैज्ञानिक विनय त्रिपाठी ने संस्थान द्वारा आयोजित किए जाने वाले विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों के बारे में बताया और कहा कि प्रतिभागी अपने कौशल में सुधार और रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए इन कार्यक्रमों का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान में कोरोना महामारी के बाद कौशल विकास कार्यक्रम एवं हैंड्स-ऑन-ट्रेनिंग कार्यक्रम दोबारा शुरू हो गए हैं।

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सैफ, सीआईएसआईआर-सीडीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ संजीव कुमार शुक्ला ने एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी की मूल सिद्धांतों एवं अनुप्रयोगों के बारे में बताया और द्वि-आयामी एनएमआर और उनके अनुप्रयोगों की जानकारी प्रदान की। सैफ, सीआईएसआईआर-सीडीआरआई के ही एक अन्य प्रधान वैज्ञानिक, डॉ संजीव कनौजिया ने मास स्पेक्ट्रोमेट्री के सिद्धांतों एवं अनुप्रयोगों की विस्तार से जानकारी प्रदान की।


इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के सचिव डॉ. संजीव कुमार शुक्ला ने कहा कि एनएमआर और मास स्पेक्ट्रोस्कोपी में विशिष्ट कौशल विकसित करने के उद्देश्य से तीन दिवसीय हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग (व्यक्तिगत व्यवहारिक प्रशिक्षण) कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें देशभर के प्रतिभागी शामिल हुए। इस दौरान उन्हें सोफिस्टीकेटेड एनालिटिकल इन्स्ट्रुमेंट की कार्यप्रणाली को व्यावहारिक रूप से समझने का अवसर मिला है। 


(इंडिया साइंस वायर)

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