हजारों लोगों के हत्यारे आतंकी संगठन TTP के आगे इमरान खान सरकार ने क्यों टेके घुटने?

By नीरज कुमार दुबे | Nov 13, 2021

पाकिस्तान सरकार और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच एक महीने के लिए संघर्षविराम समझौता हो गया है। इस संघर्षविराम समझौते से एक चीज साफ हो गयी है कि आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान ने अब खुद आतंकवाद के आगे घुटने टेक दिये हैं। इस संघर्षविराम समझौते पर सिर्फ अन्य देश ही सवाल नहीं उठा रहे खुद पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान से सवाल पूछा है कि सेना द्वारा संचालित एक स्कूल पर 2014 में नरसंहार के दोषियों से सरकार क्यों बातचीत कर रही है?

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कौन है टीटीपी?


हम आपको बता दें कि टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है। यह एक दशक से अधिक समय में पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है। यह संगठन कथित तौर पर अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए करता है। पाकिस्तान सरकार अब अफगानिस्तान में तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश करने के लिए कर रही है। हालांकि इस्लामिक जिहादी संगठन टीटीपी के आगे घुटने टेकने से इमरान खान की सरकार की चारों ओर आलोचना हो रही है।


गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि उनकी सरकार, अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से ‘‘सुलह’’ के लिए टीटीपी के साथ बातचीत कर रही है। इस बात को लेकर कई नेताओं और आतंकवाद का शिकार बने कई लोगों ने उनकी काफी आलोचना की थी। हालांकि पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद ने सरकार के इस कदम का बचाव करते हुए कहा था कि वार्ता ‘‘अच्छे तालिबान’’ के लिए है।


फँस गये इमरान खान?


दूसरी ओर, पाकिस्तान सरकार की आलोचना वहां की जनता तो कर ही रही है अब आलोचकों में वहां का सुप्रीम कोर्ट भी शामिल हो गया है। हम आपको याद दिला दें कि 16 दिसंबर, 2014 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों ने पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला कर 147 लोगों की जान ले ली थी। मृतकों में 132 बच्चे थे। इस मामले की सुनवाई जब पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी उस दौरान इमरान खान को कई सवालों का सामना करन पड़ा। अदालत की एक पीठ ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री करीब 150 लोगों के नरसंहार के दोषियों के साथ बातचीत क्यों कर रहे हैं? अदालत ने सरकार को उस भीषण हमले में सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक महीने का समय भी दिया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश गुलज़ार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इमरान खान को तलब किया था। पेशावर के स्कूल में हमले की जांच करने वाले विशेष आयोग ने पिछले हफ्ते अदालत में पेश की गयी अपनी रिपोर्ट में हमले के लिए सुरक्षा विफलता को जिम्मेदार ठहराया था। अदालत की पीठ ने सुरक्षा विफलता के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की बजाय टीटीपी के साथ बातचीत करने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया। न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री इमरान खान से पूछा, "अगर सरकार इन बच्चों के हत्यारों के साथ हार के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने जा रही थी... तो इसका मतलब क्या हम एक बार फिर आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं?" प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद ने इमरान खान को लताड़ते हुए कहा, "आप सत्ता में हैं। सरकार भी आपकी है। आपने क्या किया? आप दोषियों को बातचीत की मेज पर ले आए।"

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पाकिस्तान सरकार की सफाई


वहीं टीटीपी से बातचीत को लेकर चारों ओर से घिरी इमरान सरकार के बचाव में कूदते हुए पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि सरकार हिंसा छोड़कर संविधान को अपनाने के इच्छुक आतंकियों को एक मौका देना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित संगठन तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से संबद्ध कुछ समूह हिंसा छोड़ना चाहते हैं और सरकार भी उन्हें सामान्य जीवन में लौटने का एक मौका देना चाहती है।


किसने करायी सुलह?


जहां तक पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच बनी सहमति की बात है तो आपको बता दें कि दोनों के बीच सुलह कराने में अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने काफी मदद की है। सिराजुद्दीन हक्कानी विशेष रूप से घोषित एक वैश्विक आतंकवादी है जिसके सिर पर अमेरिका ने एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है। दुर्दांत हक्कानी नेटवर्क का पाकिस्तान समर्थक यह आतंकवादी, अफगानिस्तान में अमेरिका के हितों वाले कई ठिकानों पर हमला करने के मामले में एफबीआई द्वारा वांछित है।


डील क्या हुई?


हम आपको यह भी बताना चाहेंगे कि पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम की सहमति बनाने के लिए लगभग दो सप्ताह तक अफगानिस्तान के दक्षिण पश्चिमी प्रांत खोस्त में “सीधी और आमने-सामने बैठ कर” बातचीत हुई। इस बातचीत में संघर्षविराम पर सहमति ऐसे ही नहीं बन गयी है बल्कि टीटीपी के कई लड़ाकों को रिहा करने के लिए भी पाकिस्तान सरकार राजी हुई है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने दो दर्जन से ज्यादा आतंकी कमांडरों को रिहा किया है। अब बताया जा रहा है कि महीने भर के लिए घोषित यह संघर्षविराम आगे भी बढ़ाया जा सकता है। देखना होगा कि पाकिस्तान सरकार की ओर से छोड़े गये आतंकवादी कमांडर क्या गुल खिलाते हैं और किसके लिए सिरदर्द पैदा करते हैं।


- नीरज कुमार दुबे

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