भारत ने हमला नहीं, जवाबी कार्रवाई की है

By उमेश चतुर्वेदी | May 10, 2025

चाहे दुश्मन की हों, या अपनी, सेनाएं हमेशा चौकस रहती हैं। ऐसे में छह और सात मई की दरमियानी रात भारतीय सेनाएं जिस तरह पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर की नौ जगहों पर सफल निशाना साधने में कामयाब रहीं, उससे पाकिस्तान की सेना, उसकी चौकसी और चीन से खरीदे उसके चौकसी वाले तंत्र पर सवाल उठता है। भारत ने यह कार्रवाई पहलगाम में 22 अप्रैल को बहे बेगुनाह खूनों के जवाब में किया। भारत के खबरिया टीवी चैनल अक्सर ही जल्दबाजी में रहते हैं। उनके यहां सोच-विचार की प्रक्रिया की गुंजाइश कम है। शायद यही वजह है कि भारतीय कार्रवाई को उन्होंने पाकिस्तान पर हमला बताने में देर नहीं लगाई। लेकिन यह ध्यान रखने की बात है कि हमला एक तरह से युद्ध की शुरुआत होता। इस लिहाज से देखें तो भारत ने जवाबी कार्रवाई की है, हमला नहीं। क्योंकि भारत ने अपनी तरफ से शुरूआत नहीं की है। 


इसमें दो राय नहीं कि पहलगाम में बहाए गए बेगुनाह खूनों के चलते देश में गुस्से की लहर थी। पहलगाम में आतंकियों ने जिन 26 बेगुनाह लोगों का खून बहाया, उनमें एक नेपाली नागरिक भी था। हैरत की बात यह है कि इन बेगुनाहों खून बहाते वक्त आतंकियों ने बाकायदा उनसे नाम पूछा, उन्हें कुरान की आयत और कलमा पढ़ने को बोला। यहां तक कि उनके वस्त्र उतारकर उनके अंदरूनी अंगों को देखा और हिंदू होने की तसल्ली होते ही बिना वजह गोलियों सो उड़ा दिया। उसमें दो ऐसी महिलाएं विधवा हुईं, जिनके माथे पर कुछ ही दिनों पहले सिंदूर का तेज शामिल हुआ था। आतंकियों ने धर्म के नाम पर इन महिलाओं का सुहाग उजाड़कर सिर्फ इन महिलाओं और उनके परिवारों को सूना ही नहीं किया, बल्कि भारतीय सहनशक्ति को चुनौती दे दी। भारत में गुस्से की लहर उड़ना स्वाभाविक था। बिहार के मधुबनी में एक सभा में प्रधानमंत्री मोदी का कहना कि सुहाग उजाड़ने वाले आतंकियों का पीछा करके उन्हें खोजकर मिट्टी में मिला दिया जाएगा, उस गुस्से की ही अभिव्यक्ति थी। उसी अभिव्यक्ति को भारतीय सेनाओं ने बीती छह और सात मई की आधी रात को एक बजकर पांच मिनट से डेढ़ बजे के बीच जमीनी हकीकत बना दिया। इस हमले में पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित मौलाना मसूद अजहर का केंद्र भी रहा, जिसने थोक के भाव से आतंकियों को पैदा किया और भारत निर्यात किया है। जिसमें 26 नवंबर 2008 को मुंबई को खून से लाल कर देने वाले अजमल कसाब और उसका षडयंत्र रचने वाले रिचर्ड हेडली भी शामिल थे। 

इसे भी पढ़ें: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निभानी होगी जिम्मेदार मीडिया की भूमिका

भारत ने काफी सावधानी से इन स्थलों को चुना और मिसाइल एवं ड्रोन के जरिए निशाना बनाया। भारत की कोशिश यह रही कि उसकी कार्रवाई की जद में सामान्य नागरिक ना आएं। लेकिन पाकिस्तान ने इसे खुद पर हमला माना। दिलचस्प यह है कि उसने आतंकी ठिकानों को नागरिक ठिकाने बताना शुरू किया। इसके साथ ही उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने यह भी बताना तेज कर दिया कि भारत ने मासूमों को निशाना बनाया है। फिर उसने आतंकवादी कार्रवाई पर साझा जांच का प्रस्ताव रखा। लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इसे स्वीकार नहीं किया है। 


पाकिस्तान एक तरफ जहां खुद को प्रताड़ित बता रहा है, वहीं वह सात-आठ मई की रात से लगातार भारतीय क्षेत्रों में हमला कर रहा है। दुखद बात यह है कि वह खुद भारतीय क्षेत्र में नागरिक ठिकानों और घरों को निशाना बना रहा है। कश्मीर सीमा पर पुंछ में उसने एक गुरूद्वारे पर हमला किया, जिसमें रागी समेत चार लोगों की मौत हो गई। पाकिस्तान लगातार भारत के सैनिक ठिकानो पर हमला कर रहा है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक वह तकरीबन पूरी पश्चिमी सीमा पर मिसाइल, मोर्टार, ड्रोन और हवाई हमले कर चुका है। उसने चंडीगढ़, जैसलमेर, बाड़मेर, उरी, अखनूर, पहलगाम, जम्मू, लेह, सर क्रीक, भुज समेत तमाम सैनिक ठिकानों पर निशाना साधने की कोशिश कर चुका है। यह बात और है कि भारत की जवाबी कार्रवाई में उसके तकरीबन सभी प्रयास नाकाम कर दिए गए। दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान के इन हमलों को निष्फल करने वाली आकाश मिसाइल को भारत की अपनी स्वदेशी कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बनाया है। भारत ने उनके तीन सैनिक ठिकाने जहां तबाह किए हैं, वहीं उसको लगातार जवाब दिया जा रहा है।  


भारत को अपने षडयंत्र का निशाना बनाने वाले भारतीय मूल के आसिफ मुनीर लगातार हालात को बिगाड़ने की कोशिश में लगे हैं। सुनने में भले ही अजूबा लगे, भारत के खिलाफ आतंकी युद्ध के पीछे भारत से पाकिस्तान गए लोगों का ही हाथ रहा...ठीक 26 साल पहले पाकिस्तान ने सियाचिन इलाके में घुसपैठ के जरिए हम पर करगिल का युद्ध थोप दिया था.. उस युद्ध के पीछे जनरल परवेज मुशर्रफ का हाथ था..पाकिस्तान जाने से पहले परवेज का परिवार दिल्ली के चांदनी चौक में रहता था..पहलगाम की नृशंस आतंकी कार्रवाई का षडयंत्र किस्तान के जनरल आसिफ मुनीर ने रचा। यहां जानना जरूरी है कि आसिफ का परिवार भी भारत से पाकिस्तान गया था..बंटवारे से पहले आसिफ का परिवार जालंधर में रहता था..


भारत की जवाबी कार्रवाई से पाकिस्तान लगातार मुंह की खा रहा है। इसके बावजूद वह दुष्प्रचार के जरिए अपनी डींगे हांक रहा है। पाकिस्तान अपने लोगों को लगातार बता रहा है कि उसकी सेनाओं ने भारत की सेना या वायुसेना को इतना नुकसान पहुंचाया। जबकि उसके ये दावे कोरे झूठ हैं। इस लिहाज से देखें तो भारत दो मोर्चों पर जूझ रहा है..पहला मोर्चा जहां सैनिक है, वहीं दूसरा मोर्चा सूचनाओं का है..अरब क्रांति के दौरान देवता के रूप में उभरा सोशल मीडिया अब देवता और दैत्य-दोनों ही भूमिकाओं में है..पाकिस्तान इन दिनों सोशल मीडिया की दैत्य वाली भूमिका का खूब उपयोग करते हुए भारत के बारे में लगातार गलत सूचनाएं दे रहा है..अपनी सेनाओं की झूठी कामयाबियों को इसी के जरिए वह फैला रहा है। भारत पर आरोप लगा रहा है कि भारतीय सेनाएं रिहायशी इलाकों और धार्मिक स्थानों पर हमला कर रही हैं.लेकिन यह गलत है और भारत का सार्वजनिक सूचना तंत्र और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय लगातार इन भ्रामक सूचनाओं को तथ्यों के साथ खारिज कर रहे हैं और पाकिस्तान के झूठ को बेपर्दा कर रहे हैं। वैसे यह दुनिया का जाना-पहचाना तथ्य है कि सीधी लड़ाई में नाकाम रहने वाले ही फर्जी खबरों का सहारा लेते हैं। सीधा युद्ध जो नहीं कर सकता, वही शेखी भी बघारता है। पाकिस्तान के दुष्प्रचार को इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए।  


सच्चाई तो यह है कि भारत ने ज्यादातर पाकिस्तानी आतंकी उत्पाद केंद्रों और रक्षा केंद्रों को निशाना बनाया है। एक तरह से देखें तो भारत इस बार आतंक की फैक्ट्रियों के खात्मे को लेकर दृढ़ संकल्प नजर आ रहा है। दूसरी तरफ पाकिस्तान ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर रहा है और फिर उससे इनकार भी कर रहा है। इससे उसका डर भी जाहिर हो रहा है। भारत में यह मानने वालों की संख्या कम नहीं है कि पाकिस्तान का यह डर और बढ़ाया जाना चाहिए। पता नहीं यही वजह है या नहीं, लेकिन भारत की जवाबी कार्रवाई एक तरह से उसके डर को ही बढ़ाने की कोशिश कर रही है।


जिन देशों की आर्थिक स्थिति खराब होती है, वे युद्ध जैसी विभीषिका से बचने की कोशिश करते हैं। लेकिन पाकिस्तान की स्थिति दूसरी है। दरअसल वहां सरकार दुनिया को दिखाने का एक चेहरा भर है। शाहबाज शरीफ भले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हों, लेकिन असल ताकत वहां सेना प्रमुख आसिफ मुनीर के हाथ है। पाकिस्तान में कह सकते हैं कि सरकार में सेना घुसी हुई है। इसे दुनिया भी स्वीकार कर रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्क रूबियो का आसिफ मुनीर को फोन करना और युद्ध रोकने की बात करना सरकार में सेना के घुसी होने का ही सबूत है। पाकिस्तान की सेना एक तरह से सेना प्रमुख की लिमिटेड कंपनी होती है। सेना का रोजगार युद्ध और आतंक की सप्लाई से चलता है, इसीलिए पाकिस्तान की तरफ से आसिफ मुनीर इस युद्ध को जारी रखे हुए है। लेकिन उन्हें याद रखना होगा कि जिस तरह 1948, 1965, 1971 और 1999 में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाया, 1971 में बांग्लादेश को अलग कराया, अगर वह नहीं सुधरा तो इस बार भारत बड़ा सबक सिखाएगा। कुछ पश्चिमी राजनीतिक जानकार तो कहने भी लगे हैं कि पाकिस्तान दरअसल प्रसव पीड़ा से गुजर रहा है और हो सकता है कि इस बार उसकी कोख से बलूचिस्तान का जन्म हो जाए। इसलिए पाकिस्तान को चेतना होगा। अगर वह नहीं चेतेगा तो भारतीय सेनाएं इस बार उसे ऐसा सबक सिखाएंगी कि वह लंबे समय तो उसे भूल नहीं पाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिली 1.4 अरब डालर की रकम हिचकोले खाती उसकी अर्थव्यवस्था को हल्का सा सहारा ही दे सकती है,लंबे समय तक उसे ढो नहीं सकती।


उमेश चतुर्वेदी

लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक हैं...

प्रमुख खबरें

Messi event controversy के बाद बंगाल में खेल मंत्रालय की कमान संभालेंगी ममता बनर्जी

IPL 2026 नीलामी: यूपी के प्रशांत वीर पर CSK ने लगाया 14.20 करोड़ का बड़ा दांव

IPL 2026 नीलामी: कैमरन ग्रीन बने सबसे महंगे विदेशी खिलाड़ी, KKR ने लगाए 25.20 करोड़

इंडसइंड बैंक में HDFC समूह की एंट्री, भारतीय रिज़र्व बैंक से 9.5% हिस्सेदारी की मंजूरी