भारत ने श्रीलंकाई नौसेना को डोर्नियर समुद्री टोही विमान सौंपा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 16, 2022

कोलंबो, 16 अगस्त। भारत ने सोमवार को श्रीलंका को एक डोर्नियर समुद्री टोही विमान उपहार में दिया जो द्वीप राष्ट्र को अपने जलक्षेत्र में मानव और मादक पदार्थों की तस्करी तथा अन्य संगठित अपराधों जैसी कई चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाएगा। समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे भी मौजूद थे। समारोह ऐसे समय में हुआ जब भारत अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और एक दिन बाद चीन का उच्च प्रौद्योगिकी वाला मिसाइल एवं उपग्रह निगरानी पोत श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर लंगर डालेगा।

भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले के साथ कोलंबो अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन के पास कातुनायके में श्रीलंका की वायुसेना के एक केंद्र पर श्रीलंकाई नौसेना को समुद्री टोही विमान सौंपा। एडमिरल घोरमडे श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस विमान से श्रीलंका अपने जलक्षेत्र में मानव और मादक पदार्थों की तस्करी तथा अन्य संगठित अपराधों जैसी कई चुनौतियों से निपटने में सक्षम होगा। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, श्रीलंका की समुद्री सुरक्षा के लिए मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए विमान को समय पर शामिल किया गया है।

उच्चायुक्त बागले ने समारोह में कहा, ‘‘भारत और श्रीलंका की सुरक्षा पारस्परिक समझ, परस्पर विश्वास और सहयोग से बढ़ी है। डोर्नियर 228 को प्रदान करना इस दिशा में भारत का सबसे नया योगदान है।’’ राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने अपने देश को डोर्नियर विमान उपहार में दिए जाने पर सोमवार को भारत का आभार व्यक्त किया और कहा कि इससे समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना और नौसेना के बीच सहयोग शुरू करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, यह समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना, श्रीलंकाई नौसेना के बीच सहयोग की शुरुआत है। विक्रमसिंघे ने सोमवार को भारत के स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ का जिक्र करते हुए कहा कि वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रसिद्ध नियति से वादा भाषण से प्रेरित हैं, जो भारत की आजादी की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त, 1947 को दिया गया था। उन्होंने कहा, यह पंडित नेहरू द्वारा तय किया गया आगे का रास्ता दिखा रहा है ... भारत ने इसे समझा और आज वह विश्व शक्ति बन रहा है, और यह अब भी उत्थान पर है - मध्य शताब्दी तक जब हम वहां नहीं हैं, तो आप एक शक्तिशाली भारत देख सकते हैं जो वैश्विक मंच पर प्रमुख भूमिका निभा रहा है।”

विक्रमसिंघे ने कहा कि नेहरू ने श्रीलंका को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनवाने में अग्रणी भूमिका निभाई थी और पूरा सहयोग दिया था। उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे वी कृष्ण मेनन ने विक्रमसिंघे के पिता की मदद की थी, जो उस समय संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्राप्त करने के लिए श्रीलंका सरकार की ओर से काम कर रहे थे। विक्रमसिंघे ने कहा कि वह उभरते हुए श्रीलंकाई नेताओं को सलाह देना चाहेंगे कि वे अपने भारतीय सहयोगियों को अच्छी तरह से जानें। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ सहयोग के अन्य क्षेत्रों के परिणामों की तरह श्रीलंका की वायुसेना को डोर्नियर प्रदान करना प्रासंगिक है और समुद्री सुरक्षा की उसकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक कदम है। यह भारत की उसके मित्रों की शक्ति बढ़ाने की क्षमता का उदाहरण है।’’

नयी दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि श्रीलंका की तात्कालिक सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद के लिए भारतीय नौसेना से श्रीलंका को यह विमान दिया है। भारतीय नौसेना ने श्रीलंका की नौसेना और वायुसेना के एक दल को समुद्री टोही विमान का गहन प्रशिक्षण भी दिया है। नयी दिल्ली में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘श्रीलंका भारत का प्रमुख साझेदार रहा है और हम आने वाले महीनों और वर्षों में अपने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाते रहेंगे।’’ श्रीलंकाई अधिकारियों ने बताया कि भारत और श्रीलंका के बीच नयी दिल्ली में 2018 में हुए रक्षा संवाद के दौरान श्रीलंका ने अपनी समुद्री निगरानी क्षमताएं बढ़ाने के लिए भारत से दो डोर्नियर टोही विमान हासिल करने की संभावनाओं पर बातचीत की थी।

इस विमान को श्रीलंकाई वायुसेना के 15 सदस्य उड़ा सकेंगे, जिन्हें चार महीनों तक भारत में खासतौर से प्रशिक्षण दिया गया है। इस दल में पायलट, पर्यवेक्षक, इंजीनियरिंग अधिकारी और टेक्नीशियन शामिल हैं। श्रीलंकाई वायु सेना से जुड़ा भारत सरकार का तकनीकी दल इसकी निगरानी करेगा। नयी दिल्ली में सूत्रों ने कहा कि भारत दो डोर्नियर विमान श्रीलंका को सौंपेगा जिनका विनिर्माण सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) कर रही है। मंगलवार को चीन का पोत युआन वांग 5 हम्बनटोटा पहुंचेगा। पहले यह जहाज 11 अगस्त को श्रीलंका के दक्षिणी बंदरगाह पर पहुंचना था लेकिन श्रीलंकाई अधिकारियों से अनुमति नहीं मिलने पर इसमें देरी हुई।

श्रीलंका ने चीन से कहा था कि भारत की चिंताओं को देखते हुए वह इस यात्रा को टाल दे। कोलंबो ने शनिवार को 16 से 22 अगस्त के बीच जहाज के आगमन की अनुमति दे दी। नयी दिल्ली में इस बात को लेकर आशंकाएं थीं कि जहाज की निगरानी प्रणाली श्रीलंकाई बंदरगाह जाते समय भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी का प्रयास कर सकती है। भारत ने श्रीलंका के सामरिक रूप से अहम हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीन के ‘अत्याधुनिक’ अनुसंधान पोत को नहीं आने देने के लिए ‘दबाव’ डालने के बीजिंग के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए शुक्रवार को कहा कि श्रीलंका एक सम्प्रभु देश है और वह अपने फैसले स्वतंत्र रूप से करता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने संवाददाताओं से कहा कि भारत बयान में अपने बारे में आक्षेप को खारिज करता है। उन्होंने कहा, ‘‘ श्रीलंका एक सम्प्रभु देश है और वह स्वतंत्र रूप से अपने फैसले करता है।’’ इस बीच, स्वतंत्रता दिवस के संदेश में उच्चायुक्त बागले ने कहा कि श्रीलंका के आर्थिक रूप से उबरने में उत्प्रेरक के रूप में भारत सक्रिय साझेदार रहा है।

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