पड़ोस में ही हैं, बिगाड़ लो जो बिगाड़ सकते हो...कंधार आतंकियों के चैलेंज का भारत ने दिया क्या जवाब, कितने ठोके, कितने बाकी?

By अभिनय आकाश | Dec 24, 2025

पड़ोस में ही रहते हैं हम, गूदे भर का जोड़ लगा लो और बिगाड़ लो जो बिगाड़ सकते हो...हालिया आई फिल्म धुरंधर की शुरुआत कंधार हाईजैक प्रकरण से होती है और जहां अपहरणर्ताओं में से एक भारतीय अधिकारी को टशन के साथ खुला चैलेंज करता नजर आता है। भारत के खिलाफ पाक‍िस्‍तान प्रायोजित आतंकवाद की यह सबसे मुखर अभिव्‍यक्ति थी, ज‍िसमें एक पाक‍िस्‍तानी आतंकवादी सिर्फ एक अध‍िकारी नहीं, पूरे भारत देश को चैलेंज करता दिखा। पाकिस्तान वैसे तो आतंकियों का सबसे महफूज पनाहगाह है, इस बात से तो पूरी दुनिया वाकिफ है। लेकिन जब बारी बदला लेने की हो तो भारत कई मौकों पर इजरायल को भी पीछे छोड़ता नजर आया। ऐसे में आज आपको कंधार अपहण की कहानी सुनाते हैं और साथ में बताते हैं कि विमान अपरहरण को अंजाम देने वाले आतंकियों में से कितनों से भारत ने बदला ले लिया है और कितने गुनहगार अभी शेष बचे हुए हैं। 

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क्रिसमस से ठीक एक दिन पहले क्या हुआ था?

24 दिसंबर 1999 नेपाल की राजधानी काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा क्रिसमस से एक दिन पहले की सर्द शाम को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC814 दिल्ली के लिए रवाना होने के लिए तैयार हो रही थी। दूसरी ओर आतंकवादी समूह हरकत उल मुजाहदीन के पांच सदस्य इब्राहिम अथहर, शाहिद अख्तर सईद, सन्नी अहमद काजी, मिस्त्री जहूर इब्राहिम और शकीर काठमांडू हवाई अड्डे पर इस फ्लाइट के लिए चेक इन कर रहे थे। इन अपहरणकर्ताओं ने खुद के लिए चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर जैसे कोड नामों का इस्तेमाल किया था। इंडियन एयरलाइंस के इस विमान में 11 चालक दल के सदस्यों समेत 190 यात्री सवार थे। फ्लाइट के कैप्टन थे देवी शरण और उनके साथ थे फर्स्ट ऑफिसर राजेंद्र कुमार और फ्लाइट इंजीनियर अनिल कुमार जागिया। इन अपहरणकर्ताओं के लिए टिकट तीन अलग-अलग टूर एजेंसियों के जरिए झूठे नामों के तहत बुक किए गए थे और 13 दिसंबर को बुकिंग बदल दी गई थी। अपनी 1 घंटा 20 मिनट की एक छोटी सी उड़ान में जी विमान दिल्ली पहुंचने वाला था। विमान ने भारतीय समय अनुसार 4:00 बजे काठमांडू हवाई अड्डे से उड़ान भरी। लगभग 39 मिनट बाद जब विमान इंडियन एयर स्पेस में दाखिल हुआ और विमान में ड्रिंक्स परोसी जा रही थी। ठीक तभी मास्क पहने हुआ एक शख्स अपने हाथ में रिवाल्वर और ग्रेनेड लिए हुए कॉकपिट में दाखिल हुआ। कुछ ही समय में इन अपहरणकर्ताओं ने विमान के पायलटों समेत पूरे विमान में यात्रियों को काबू कर लिया। उन्होंने फ्लाइट में पुरुष यात्रियों को महिलाओं से अलग करना शुरू कर दिया और फ्लाइट में यात्री एक दूसरे से अलग हो गए। इस बीच पायलट ने अपहरणकर्ताओं से नजर बचाकर एक इमरजेंसी ट्रांसपाउंडर दबाया। जिससे 4:56 पर दिल्ली के एयर ट्रैफिक कंट्रोल तक यह जानकारी पहुंच गई कि काठमांडू से दिल्ली आने वाली इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या IC814 में कुछ गड़बड़ी है। 

तीन आतंकियों को करना पड़ा रिहा

अपहरणकर्ताओं की शुरुआती मांग तो काफी लंबी-चौड़ी थी, लेकिन आखिर में वे भारत की जेल में बंद तीन प्रमुख आतंकवादियों- मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर की रिहाई पर मान गए। आठ दिनों की तनावपूर्ण वार्ता के बाद भारत सरकार ने इन तीनों को रिहा कर दिया, जिसके बदले अपहरणकर्ताओं ने यात्रियों को मुक्त किया।

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2001 संसद हमले में मारा गया सईद

शाहिद अख्तर सैयद उन पांच अपहरणकर्ताओं में से एक था जो 24-31 दिसंबर 1999 को हुई इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के अपहरण में शामिल थे। आतंकी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह हरकत-उल-मुजाहिदीन से जुड़ा था। हाईजैक के बाद वह पाकिस्तान भाग गया और जैश में शामिल हो गया। 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमले में वह एक फिदायीन आतंकी के रूप में शामिल था। दिल्ली पुलिस और संसद सुरक्षा बलों ने उसे गोली मारकर मार गिराया।

जहूर मिस्त्री की कराची में हुई हत्या

1 मार्च 2022 की तारीख को वहां सबकुछ रूटीन जैसा चल रहा था। पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची के अख्तर कॉलोनी के दुकान में शांति थी मानों तूफान से पहले की शांति। मोटरसाइकिल सवार एक दुकान के चक्कर काटते नजर आते हैं। दुकान को देखकर ये प्रतीत होता है कि कोई गोदाम है। हवा में बाइक के घुड़घुड़ाने की आवाज और पेट्रोल की गंध घुलने लगती है। मोटरसाइकिल सवार हाथों में दो हथियार लिए फर्नीचर के गोदान के भीतर दाखिल होते हैं और फिर ट्रिगर दबता है और गोली टारगेट के शरीर के आर-पार हो जाती है। बाइक जैसे धुंआं गायब हुआ था वैसे ही गायब हो जाती है। मीडिया से छन कर खबर आई कि मारा गया शख्स जहूर मिस्त्री उर्फ जाहिद अखुंद है। धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती गई और फिर पता चला कि ये अखुंद नाम से बिजनेसमैन बनकर कराची में रह रहा शख्स कोई और नहीं बल्कि कंधार विमान अपहरण में शामिल आतंकी जहूर मिस्त्री था। आपको याद होगा कि इंडियन एयर लाइंस के आईसी 814 विमान को 24 दिसंबर 1999 को नेपाल से अपहरण कर लिया गया था। इस विमान को अफगानिस्तान के कंधार में ले जाया गया था। इस हाइजैकिंग में शामिल जहूर मिस्त्री को अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। जहूर वह अपहरणकर्ता था जिसने हाईजैक के दौरान एक यात्री रुपिन कत्याल की क्रूर हत्या की थी। रुपिन अपनी पत्नी के साथ हनीमून से लौट रहे थे, जब अपहरणकर्ताओं ने उन्हें चाकू से मार डाला था।

ऑपरेशन सिंदूर में मारा गया अब्दुल रऊफ अजहर

मई 2025 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ऑपरेशन सिंदूर के तहत जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल हेड और आईसी-814 अपहरण के मास्टरमाइंड अब्दुल रऊफ अजहर को ढेर कर दिया। जाब प्रांत में भारतीय सशस्त्र बलों ने बहावलपुर और मुरीदके में हमले किए और जैश और लश्कर के मुख्यालयों को नष्ट कर दिया। ये दोनों आतंकी संगठन कई सालों से भारत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि मारे गए लोगों में जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल प्रमुख अब्दुल रऊफ अजहर भी शामिल है, जो आईसी-814 अपहरण का मास्टरमाइंड और अंतरराष्ट्रीय जिहादी नेटवर्क का केंद्रीय व्यक्ति था। अब्दुल रऊफ अजहर संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी मसूद अजहर का भाई था। आईसी-814 अपहरण की साजिश रचने में रऊफ अजहर की भूमिका ने सीधे तौर पर उमर सईद शेख की रिहाई में मदद की, जो अल-कायदा का एक प्रमुख सदस्य था, जिसने वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक अमेरिकी-यहूदी पत्रकार डैनियल पर्ल का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी थी।

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मोहम्मद यूसुफ अजहर 

ऑपरेशन सिंदूर में  हाईजैक में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मोहम्मद यूसुफ अजहर की भी मौत हो गई। अजहर हाईजैक में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लोगों में शामिल था, जिन्होंने दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली जाते समय इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 का अपहरण किया था। विमान को हरकत-उल-मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया और तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान ले गए।  विमान में यात्रियों की अदला-बदली के तहत मसूद अजहर को रिहा करना पड़ा। अपनी रिहाई के बाद, मसूद अजहर ने जैश की स्थापना की, जिसने बाद में भारतीय धरती पर कई हमले किए, जिनमें 2001 का संसद हमला और 2016 का संसद हमला शामिल है। 2001 के हमले के बाद पाकिस्तान में प्रतिबंध के बावजूद, जैश देश में काम करना जारी रखता है।

बचे हुए बाकी अभी कहां हैं?

मसूद का भाई अथर

इब्राहिम अथर को अपहरणकर्ताओं के मुख्य नेता के रूप में पहचाना गया, जिसे इस दौरान अक्सर "चीफ" के कोडनेम से जाना जाता था। अपहरणकर्ताओं ने मिलकर भारतीय सरकार पर दबाव डाला कि वह बंधकों के बदले भारतीय जेलों से तीन आतंकवादियों को रिहा कर दे। इब्राहिम अथर की मौत या गिरफ्तारी की पुष्टि करने वाली कोई विश्वसनीय सार्वजनिक रिपोर्ट नहीं है। अन्य अपहरणकर्ताओं की तरह, वह भी अपहरण संकट के बाद फरार रहा और इंटरपोल के रेड नोटिस और भारतीय जांच का विषय था। रिपोर्ट्स के अनुसार, वह पाकिस्तान में छिपा है, संभवतः पंजाब या खैबर पख्तूनख्वा में। 

कंधार का अपहरणकर्ता बर्गर

सनी अहमद काज़ी उन पांच आतंकवादियों में से एक था जिन्होंने 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 का अपहरण किया था। सनी अहमद काज़ी उन पांच सशस्त्र अपहरणकर्ताओं में से एक था जिन्होंने विमान पर कब्ज़ा कर लिया था। अपहरण के दौरान, आतंकवादियों ने जेल में बंद आतंकवादियों की रिहाई की मांग की और यात्रियों और चालक दल को एक सप्ताह तक बंधक बनाकर रखा। विमान के अंदर, अपहरणकर्ताओं ने एक-दूसरे को संबोधित करने के लिए कोड नामों का इस्तेमाल किया। यात्रियों के बयानों और बाद की जांच रिपोर्टों के अनुसार, अपहरण के दौरान सनी अहमद काज़ी को "बर्गर" कोड नाम से जाना जाता था। बाद में भारतीय अधिकारियों ने अपहरणकर्ताओं के लिए इंटरपोल रेड नोटिस जारी किया और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने उन्हें वांछित अपराधियों की सूची में शामिल रखा। कुछ स्रोतों में उसे खैबर पख्तूनख्वा में छिपा बताया गया है।

कहां छिपा है शकीर सुक्कुर

भारतीय सरकार के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, शाकिर सुक्कुर का जन्म स्थान पाकिस्तान का सुक्कुर शहर था। अपहरण के दौरान, आतंकवादियों ने एक-दूसरे से कोड नामों का इस्तेमाल किया। विमान में शाकिर को "शंकर" कोड नाम से पुकारा जाता था - बंधकों ने उसे दूसरों से बात करते समय इसी नाम का इस्तेमाल करते हुए सुना था। बंधकों को मुक्त कराने के बाद, शाकिर और अन्य अपहरणकर्ता रिहा किए गए आतंकवादियों के साथ कंधार से चले गए। इस बात की पुष्टि करने वाला कोई भी सार्वजनिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है कि अपहरण के बाद शाकिर को कभी गिरफ्तार किया गया, मारा गया या न्याय के कटघरे में लाया गया। माना जाता है कि अपने साथी अपहरणकर्ताओं की तरह वह भी गिरफ्तारी से बच निकला और फरार रहा।

अपहरण की टाइमलाइन

24 दिसंबर, 1999

लगभग शाम 4:00 बजे (भारतीय समय): इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 नेपाल के काठमांडू से नई दिल्ली के लिए रवाना हुई।

शाम 4:53 बजे (भारतीय समय): भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के कुछ ही समय बाद, पांच हथियारबंद लोगों ने विमान का अपहरण कर लिया और पायलट को पाकिस्तान के लाहौर जाने का निर्देश दिया।

शाम 7:00 बजे (भारतीय समय): लाहौर में उतरने की अनुमति न मिलने पर, विमान ईंधन भरने के लिए भारत के अमृतसर में उतरा।

रूपिन कात्याल पर हमला: अमृतसर में ईंधन भरने में देरी से नाराज होकर, अपहरणकर्ताओं में से एक ने यात्री रूपिन कात्याल पर चाकू से हमला कर दिया, जिनकी बाद में मृत्यु हो गई।

शाम 7:49 बजे (भारतीय समय): विमान बिना ईंधन भरे अमृतसर से रवाना हो गया।

रात 8:01 बजे (भारतीय समय): पाकिस्तानी अधिकारियों से अनुमति मिलने के बाद विमान लाहौर में उतरा। IC-814 में लाहौर में ईंधन भरा गया।

रात 10:32 बजे (भारतीय समय): विमान लाहौर से अफगानिस्तान के काबुल के लिए रवाना हुआ।

प्रवेश से इनकार: विमान को काबुल में प्रवेश करने से रोक दिया गया, जिसका कारण रात्रिकालीन लैंडिंग सुविधाओं का अभाव बताया गया। परिणामस्वरूप, विमान ने अपना मार्ग बदलकर दुबई, संयुक्त अरब अमीरात की ओर मोड़ दिया।

25 दिसंबर, 1999

1:32 पूर्वाह्न (भारतीय समय): विमान दुबई के पास अल मिन्हाद हवाई अड्डे पर उतरा।

27 यात्रियों को रिहा किया गया: अमीराती अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद, विमान में ईंधन भरा गया और 27 यात्रियों - जिनमें अधिकतर महिलाएं, बच्चे और घायल थे - को कात्याल के शव के साथ रिहा कर दिया गया।

6:20 पूर्वाह्न (भारतीय समय): दुबई में कुछ घंटे बिताने के बाद, विमान अफगानिस्तान के कंधार के लिए रवाना हुआ।

8:33 पूर्वाह्न (भारतीय समय): विमान कंधार में उतरा, जहां तालिबान सैनिकों ने उसे तुरंत घेर लिया।

26 दिसंबर, 1999

संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी: संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने तालिबान और अपहरणकर्ताओं से संपर्क स्थापित किया।

27-30 दिसंबर, 1999: वार्ता

भारत ने खुफिया एजेंटों सहित वार्ताकारों की एक टीम और एक राहत दल को कंधार भेजा।

अपहरणकर्ताओं और भारतीय अधिकारियों के बीच वार्ता शुरू हुई।

अपनी मांगों में कई बार बदलाव के बाद, अपहरणकर्ता अंततः शेष सभी बंधकों के बदले भारत में कैद मसूद अजहर और दो अन्य आतंकवादियों की रिहाई पर सहमत हो गए।

31 दिसंबर, 1999: बंधकों की रिहाई

भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह तीनों आतंकवादियों के साथ कंधार गए।

तीनों आतंकवादियों को शेष सभी बंधकों के बदले रिहा कर दिया गया।

तालिबान ने अपहरणकर्ताओं को रिहा किए गए आतंकवादियों के साथ कंधार छोड़ने की अनुमति दी।

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