Donald को सबक सिखाने के लिए भारत अपनाएगा 'Duck डिप्लोमेसी', 5 एक्शन ने उड़ जाएंगे अमेरिका के होश!

By अभिनय आकाश | Aug 01, 2025

भारत को धमकी देने वाले डोनाल्ड ट्रंप का पीएम मोदी ने भी तगड़ा इलाज कर दिया है। कैसे धमकी देने वाले डोनाल्ड ट्रंप की आवाज में जो अकड़ थी वो पीएम मोदी की वजह से गिड़गिड़ाहट में तब्दील हो गई है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि  भारत किसी भी तरह से अमेरिका के साथ 500 बिलियन डॉलर की ट्रेड डील साइन कर ले। वो भी अमेरिका की शर्तों पर, लेकिन अपने करोड़ों किसानों को बचाने के लिए मोदी सरकार कुछ खास चीजों पर समझौता नहीं करना चाहती। भारत ने खेती और डेयरी उत्पादों के मामले में झुकने से इनकार कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट्स अब भारतीय बाजारों में बिके। लेकिन भारत अड़ गया है। इसका पहला कारण है कि अपने किसानों के हितों की रक्षा करना चाहता है। दूसरा कारण है कि अमेरिका मांसाहारी चारा खाने वाली अपनी गायों के दूध से बने प्रोडक्ट मार्केट में बेचना चाहता है। लेकिन भारत ये नहीं चाहता है। ऐसे में बौखलाहट में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को डेड इकोनॉमी यानी मरी हुई अर्थव्यवस्था तक बोल दिया है। 

इसे भी पढ़ें: टैरिफ लगा ट्रंप ने दिखा दी ताकत के बल पर शांति लाने वाली इच्छा, अब India-US ट्रेड डील खत्म कर मोदी देंगे अमेरिका को शिक्षा?

ट्रंप को नहीं मिल रहा कोई भाव

लेकिन ट्रंप को कौन बताए कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। 2024 में भारत की जीडीपी 8.2% थी। जबकि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत की ग्रोथ रेट के साथ सबसे तेजी से बढ़ेगी। खुद अमेरिकी कंपनिया चीन छोड़कर भारत में अपना व्यापार लगा रही हैं। खुद डोनाल्ड ट्रंप उसी भारत से ट्रेड डील करना चाहते हैं जिसे वो पागलपन में डेड इकोनॉमी बता रहे हैं। ट्रंप को लगा था कि मैं टैरिफ लगाऊंगा तो भारतीय बाजारों में हाहाकार मच जाएगा। पीएम मोदी डर जाएंगे। मुझे फोन करेंगे। लेकिन ट्रंप की धमकी का न तो भारतीय बाजारों पर कोई असर दिखा और पीएम मोदी ने भी कोई भाव नहीं दिया। ट्रंप की धमकी के बावजूद सेंसेक्स और निफ्टी मजबूत बने रहे। इसमें मजबूरी में डोनाल्ड ट्रंप अपनी ही बात से पलटते दिख रहे हैं। ट्रंप ने अपनी अकड़ को कम करते हुए कहा है कि वो भारत से बात करने के लिए तैयार हैं। ट्रेड डील पर भारत से नेगोसिएट करने के लिए भी तैयार हैं। 

भारत रूस व्यापार और रणनीतिक संबंधों से चिढ़े हुए ट्रंप

अमेरिका भले ही दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है। भारत उससे पीछे हैं। लेकिन भारत की इकोनॉमी लगातार बढ़ रही है। दुनिया से अमेरिका की इकोनॉमी का तिलिस्म भी टूट रहा है। इसलिए ट्रंप बौखलाए नजर आ रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप भारत रूस व्यापार और रणनीतिक संबंधों से चिढ़े हुए हैं। उनकी लाख कोशिशों के बावजूद इस पर कोई असर नहीं पड़ा है। भारत से भाव न मिलने पर अमेरिका में उनकी साख गिरी है। रूस के नेताओं के मजाक उड़ाने से भी ट्रंप बौखलाए हुए हैं। रूस से व्यापार करने वाले भारत पर निशाना साधकर वो अमेरिकी जनता को ये दिखाना चाहते हैं कि वो बड़े ही सख्त नेता हैं। लेकिन ट्रंप का ये पासा उल्टा भी पड़ सकता है। 

टैरिफ पर ट्रंप को सबक सिखाने का प्लान

अमेरिका टैरिफ और बढ़ाकर भारत पर ट्रेड डील करने के लिए अगर दबाव बढ़ाता है तो इससे निपटने के लिए भारत के पास क्या क्या विकल्प मौजूद हैं। भारत के पास टैरिफ से निपटने के कई आर्थिक और रणनीतिक विकल्प मौजूद हैं। भारत यूरोपियन यूनियन, दक्षिण एशिया, मीडिल ईस्ट, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में निर्यात को बढ़ा सकता है। इससे अमेरिका पर निर्भरता कम होगी और व्यापारिक संतुलन बेहतर होगा। अमेरिका से टकराव के माहौल में भारत रूस, चीन और ब्राजील जैसे देशों के साथ रुपए या स्थानीय करेंसी में व्यापार बढ़ा सकता है। हालांकि चीन के साथ भारत के रणनीतिक मतभेद हैं, लेकिन व्यवसायिक समझौतों में बढ़ोतरी की जा सकती है। अगर अमेरिकी टैरिफ भारत के निर्यात पर असर डालते हैं तो भारत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भता बढ़ा सकता है। इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और घरेलू मांग को समर्थन मिलेगा। अगर अमेरिका टैरिफ नियमों का उल्लंघन करता है तो भारत अमेरिका के खिलाफ डब्लयूटीओ में शिकायत कर सकता है। ये कूटनीतिक और कानूनी रास्ते है। इसके अलावा भारत अमेरिका के साथ कूटनीतिक वार्ता कर सकता है। जहां व्यापार सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी के जरिए टैरिफ को कम या संतुलन करने की कोशिश की जा सकती है। इससे पहले भी टैरिफ पर ट्रंप लगातार यूटर्न ले चुके हैं। इसके अलावा ट्रंप भारत संग वार्ता के संकेत दिए हैं। 

इसे भी पढ़ें: UN में Veto लगाए, जरूरत पर किसी से भी भिड़ जाए, ट्रंप ने अनजाने में बदला दुनिया का सीन, क्या भारत के लिए दूसरा सोवियत साबित हो सकता है चीन?

कैसे भारत ज्यादा टैरिफ के प्रभाव से बच सकता है?

भारत को डक डिप्लोमेसी अडाप्ट करनी है। यह अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सिद्धांत में प्रयुक्त कोई औपचारिक शब्द नहीं है, बल्कि एक बोलचाल की अभिव्यक्ति है। आमतौर पर यह कूटनीति के प्रति एक शांत या खामोशी से अपनी चाल चलने वाले दृष्टिकोण को संदर्भित करता है। वर्तमान के अमेरिका टैरिफ प्रकरण के नजरिए से देखें तो भारत को खामोशी से अपने विक्लप तलाशने हैं। अमेरिका के साथ ज्यादा तू-तू मैं-मैं में नहीं उतरना है।  कुछ तीजों को इंग्नोर कर अमेरिका के साथ डिस्कशन करना है। लेकिन हमें तैयार रहना चाहिए कि अब वो पुराना ढाई प्रतिशत टैरिफ वाला दौर लौट आएगा। ट्रंप भले ही भारत को अपना मित्र बता रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत डोनाल्ड ट्रंप में अपना सच्चा मित्र देख पाएगा। इसका सवाल ज्यादातर लोग नहीं में देखें और इसकी वजह खुद डोनाल्ड ट्रंप हैं। 

अहम मोड़ पर खड़ी दुनिया

भारत की स्थिति बहुत ज्यादा बुरी नहीं है। वैसे भी भारत अकेला नहीं है। 90 से ज्यादा देश एकतरफा व्यापार समझौते को लेकर अमेरिकी दबाव झेल रहे हैं और इनमें से बहुतों ने इसे अभी तक स्वीकार नहीं किया है। अभी भी भारत और अमेरिका में समझौता संभव है, लेकिन वह भारत के राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए ही होना चाहिए। अभी तो भारत के रणनीतिकारों को इस बात का श्रेय मिलना चाहिए कि समझौते का प्रयास करते हुए भी वे भारतीय हितों की सुरक्षा में पूरी तरह मुस्तैद रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि भारत सहित पूरी दुनिया आज अहम मोड़ पर खड़ी है। क्या वह इस 'अमेरिकी अपवाद' को स्वीकार करती रहेगी, या अब सामूहिक कार्रवाई शुरू करेगी? दुनिया भर के निर्यातकों की एकजुट पहल यह साबित करेगी कि वैश्वीकरण किसी एक देश का विशेषाधिकार नहीं है। अगर अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को बचाना है, तो यह दिखाना होगा कि कोई भी खिलाड़ी नियमों से ऊपर नहीं है।


प्रमुख खबरें

Palghar जिले में हत्या के आरोपी पति-पत्नी 16 साल बाद Madhya Pradesh से गिरफ्तार

लंबे और घने बालों के लिए चमत्कार है कम नहीं यह नुस्खा! हेयर्स में अप्लाई करें नारियल तेल और प्याज का रस, पाएं मजबूत बाल

United States: ट्रंप ने ग्रीन कार्ड लॉटरी कार्यक्रम को स्थगित किया

Pete Davidson अब बन गए हैं डैडी कूल, Elsie Hewitt के साथ किया अपनी नन्ही परी का स्वागत