By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 27, 2018
नयी दिल्ली। भारत प्रस्तावित वृहत व्यापार समझौता आरसीईपी के लिये जारी बातचीत के तहत चीन के साथ बेहतर समझौते पर जोर देगा। क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) अगले साल तक निष्कर्ष पर पहुंचाया जाना है। चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के मद्देनजर भारत प्रस्तावित वृहत व्यापार समझौते में शून्य शुल्क आधार पर आरसीईपी सदस्य देशों के मुकाबले कम संख्या में चीनी वस्तुओं को बाजार पहुंच देना चाहता है। इसके अलावा भारत समझौते के तहत चीनी वस्तुओं पर शुल्क समाप्त करने के लिये और समय मांग रहा है। आरसीईपी प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है जिसपर 16 देश बातचीत कर रहे हैं।
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इसमें 10 आसियान देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस और वियतनाम) तथा छह मुक्त व्यापार समझौता भागीदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं। सदस्य देश चाहते हैं कि भारत मुक्त व्यापार समझौते वाले देशों के साथ कारोबार वाली वस्तुओं में से 90 से 92 प्रतिशत जिंसों पर सीमा शुल्क हटाये। इन देशों में आसियन और जापान शामिल हैं। गैर-मुक्त व्यापार समझौता भागीदारों---चीन, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड---के साथ 80 से 86 प्रतिशत वस्तुओं पर शुल्क समाप्त करने को लेकर बातचीत जारी है।
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भारत ने इन शुल्कों को हटाने के लिये 20 साल का समय मांगा है । सूत्रों ने कहा, ‘‘वस्तुओं के मामले में जो हमें जो मिला है, वह आश्चर्यजनक है। हमें काफी लचीलापन मिला है। अब हम कितना चीन को दे सकते हैं, यह एक चुनौती है। लेकिन हमें भरोसा है कि व्यापार घाटे को देखते हुए चीन को हमें और समय देना चाहिए तथा हम उनसे अधिक समय लेंगे।’’उल्लेखनीय है कि इस्पात, खाद्य प्रसंस्करण और धातु समेत कई घरेलू उद्योग और सरकारी विभाग आरसीईपी समूह में चीन के शामिल होने को लेकर चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि शुल्क कम करने या समाप्त करने से देश में चीनी वस्तुओं की बाढ़ आएगी।