By नीरज कुमार दुबे | Aug 01, 2025
हाल ही में अमेरिका ने अपनी अत्याधुनिक बंकर बस्टर बम का उपयोग कर ईरान के भूमिगत परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया था। इसने विश्व को यह दिखाया था कि अत्यधिक संरक्षित और गहराई में स्थित ठिकाने भी सुरक्षित नहीं हैं। इसी पृष्ठभूमि में भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम करने की खबरें सामरिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हम आपको बता दें कि यह मिसाइल बंकर बस्टर वारहेड ले जाने में सक्षम होगी और गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट कर सकेगी। यह खबर सामने आने के बाद से पाकिस्तान की चिंता बढ़ी हुई है क्योंकि उसके कई परमाणु प्रतिष्ठान भूमिगत बंकरों में स्थित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिसाइल पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को आसानी से निशाना बना सकती है। देखा जाये तो भारत की यह उपलब्धि दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन को गहराई से प्रभावित कर सकती है।
बताया जा रहा है कि डीआरडीओ की यह नई मिसाइल भारत की अग्नि-V बैलिस्टिक मिसाइल का संशोधित संस्करण हो सकती है। इसकी गति की बात करें तो यह हाइपरसोनिक है यानि ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक से दौड़ेगी। यह पारंपरिक बंकर बस्टर है और लगभग 7,500 किलोग्राम का वारहेड ले जाने में सक्षम है। इसकी भेदन क्षमता 200 फीट तक भूमिगत प्रवेश कर विस्फोट करने की बताई जा रही है। इसकी रेंज लगभग 2,500 किलोमीटर होगी।
हम आपको बता दें कि भारत के पास अमेरिका या रूस की तरह महंगे स्टेल्थ बॉम्बर नहीं हैं। इसलिए मौजूदा लड़ाकू विमानों से बंकर बस्टर बम गिराना जोखिमपूर्ण होगा क्योंकि वे दुश्मन के राडार पर आ जाएंगे। परन्तु मिसाइल आधारित प्लेटफॉर्म भारत को सुरक्षित दूरी से गुप्त और सटीक हमले की क्षमता देगा। हम आपको यह भी बता दें कि भारत की यह मिसाइल क्षमता उसकी सामरिक बढ़त को काफी बढ़ा देगी। साथ ही इससे पाकिस्तान की न्यूक्लियर ब्लैकमेल रणनीति भी ध्वस्त हो जायेगी। इस मिसाइल के जरिये भारत सुरक्षित दूरी से दुश्मन के परमाणु ठिकानों को निशाना बना सकेगा। इस मिसाइल का विकास चीन पर भी एक रणनीतिक दबाव बनाएगा।
जहां तक इस मिसाइल से पाकिस्तान की चिंता की बात है तो आपको बता दें कि पाकिस्तान की सामरिक मामलों की विशेषज्ञ राबिया अख्तर ने ‘डॉन’ अखबार में लिखा है कि भारत का यह कदम “पारंपरिक और परमाणु रणनीति के बीच की रेखा को धुंधला कर सकता है।” पाकिस्तान का कहना है कि यदि भारत इस तरह की मिसाइलों का इस्तेमाल उसके परमाणु ठिकानों पर करता है, तो यह किसी भी दृष्टिकोण से परमाणु प्रथम-हमले जैसा लगेगा, भले ही वारहेड पारंपरिक ही क्यों न हो। राबिया अख्तर ने चेतावनी दी है कि किसी भी परमाणु-सशस्त्र देश के लिए यह मायने नहीं रखेगा कि वारहेड पारंपरिक है या परमाणु। यदि कोई हाई-स्पीड बैलिस्टिक मिसाइल उसके परमाणु प्रतिष्ठानों पर दागी जाती है, तो इसे परमाणु हमले की शुरुआत माना जाएगा। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि ऐसी स्थिति में पाकिस्तान अपनी सामरिक या रणनीतिक परमाणु हथियारों का तुरंत इस्तेमाल कर सकता है।
हम आपको यह भी बता दें कि भारत ने हमेशा यह घोषित नीति अपनाई है कि वह परमाणु हथियारों का पहले उपयोग नहीं करेगा। लेकिन बंकर बस्टर मिसाइलें इस नीति के तहत नहीं आती हैं। क्योंकि एक ओर, ये पारंपरिक हथियार हैं और तकनीकी रूप से वह NFU यानि न्यूक्लियर फर्स्ट यूज नीति का उल्लंघन नहीं करते। दूसरी ओर, ये सीधे दुश्मन के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं, जिससे प्रतिक्रिया में परमाणु युद्ध की संभावना बढ़ सकती है।
हम आपको यह भी बता दें कि भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के तहत हाल ही में चलाये गये ऑपरेशन सिंदूर के तहत यह तय कर दिया है कि भविष्य में किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। भारत की यह नीति आतंकवादियों और उन्हें समर्थन देने वाले देशों के बीच कोई अंतर नहीं करती है। इसलिए पाकिस्तान का डर स्वाभाविक है। हम आपको यह भी बता दें कि भारत और पाकिस्तान हर साल 1 जनवरी को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान करते हैं। यह समझौता 31 दिसंबर 1988 को हस्ताक्षरित हुआ था, जो यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी देश दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों को नुकसान नहीं पहुँचाए। हालांकि इस तरह की खबरें हाल ही में सामने आई थीं कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने में हुए सैन्य संघर्ष के दौरान भारत ने पाकिस्तान की किराना हिल्स पर स्ट्राइक की थी। ऐसा दावा सामने आई सैटेलाइट तस्वीरों ने किया था। यह खुलासा अपने आप में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि किराना हिल्स में ही पाकिस्तान के परमाणु बमों का ठिकाना माना जाता है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हमला उसके परमाणु हथियारों को नष्ट करने के उद्देश्य से नहीं बल्कि उसको चेतावनी देने के लिए किया था और इसके जरिये दुश्मन को साफ और स्पष्ट संदेश दिया था कि उसके परमाणु ठिकाने सुरक्षित नहीं हैं।
बहरहाल, भारत की यह मिसाइल क्षमता न केवल उसकी सामरिक मारक क्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि पाकिस्तान की न्यूक्लियर ब्लैकमेल नीति को भी चुनौती देगी। लेकिन इसके साथ ही यह दक्षिण एशिया में अस्थिरता और परमाणु संघर्ष के जोखिम को भी बढ़ा सकती है।