अपाचे हेलिकॉप्टर की सेना में एंट्री, मिग-21 को वायुसेना से विदाई, भारत की रक्षा शक्ति में जुड़ा नया अध्याय

अपाचे की प्रमुख विशेषताओं की बात करें तो आपको बता दें कि यह हेलिकॉप्टर दिन और रात, किसी भी मौसम में ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें हेलफायर मिसाइल, 70 मिमी रॉकेट्स और 30 मिमी की ऑटोमैटिक गन लगी होती है, जो इसे अत्यंत मारक बनाती है।
भारतीय सशस्त्र बलों में इन दिनों दो महत्वपूर्ण घटनाएं घट रही हैं— एक ओर अत्याधुनिक अपाचे AH-64E अटैक हेलिकॉप्टर सेना में शामिल हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर एक लंबा इतिहास समेटे मिग-21 फाइटर जेट भारतीय वायुसेना से विदाई ले रहा है। ये दोनों घटनाएं भारतीय रक्षा क्षमताओं में बदलाव का प्रतीक हैं और भविष्य की रणनीतिक दिशा को दर्शाती हैं।
हम आपको बता दें कि अपाचे AH-64E विश्व के सबसे आधुनिक और प्रभावशाली अटैक हेलिकॉप्टरों में से एक है। अमेरिका द्वारा निर्मित यह हेलिकॉप्टर अब भारतीय थलसेना के पास भी होगा। पहले अपाचे हेलिकॉप्टर केवल भारतीय वायुसेना के बेड़े में थे, लेकिन अब इन्हें सेना को भी सौंपा जा रहा है, जिससे जमीनी अभियानों में जबरदस्त बढ़त मिलेगी।
इसे भी पढ़ें: भविष्य के युद्धों के लिए तैयार होती भारतीय सेना
अपाचे की प्रमुख विशेषताओं की बात करें तो आपको बता दें कि यह हेलिकॉप्टर दिन और रात, किसी भी मौसम में ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें हेलफायर मिसाइल, 70 मिमी रॉकेट्स और 30 मिमी की ऑटोमैटिक गन लगी होती है, जो इसे अत्यंत मारक बनाती है। साथ ही अपाचे हेलिकॉप्टर ड्रोन और अन्य विमानों से जुड़कर एकीकृत ऑपरेशन करने में सक्षम है। इसके अलावा इसमें उन्नत रडार, नाइट विज़न और आत्मरक्षा प्रणाली होती है जो इसे दुश्मन की मिसाइलों से बचाती है।
भारतीय सेना को कैसे मिलेगा लाभ यदि इसके बारे में बात करें तो आपको बता दें कि इसके आने से दुर्गम पहाड़ी इलाकों में तेजी से तैनाती और आक्रमण क्षमता बढ़ेगी। आतंकवाद और घुसपैठ विरोधी अभियानों में मजबूती मिलेगी तथा स्वदेशी टैंक रेजिमेंट्स के साथ संयुक्त ऑपरेशन की क्षमता बढ़ेगी।
वहीं अगर मिग-21 की बात करें तो आपको बता दें कि यह भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था। इसे वर्ष 1963 में सोवियत संघ से आयात किया गया था। एक समय ऐसा था जब भारतीय वायुसेना के अधिकांश फाइटर स्क्वाड्रन मिग-21 पर ही आधारित थे। इसकी प्रमुख उपलब्धियों का जिक्र करें तो आपको बता दें कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में मिग-21 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई पाकिस्तानी विमानों को मार गिराया था। इसके अलावा कारगिल युद्ध और बालाकोट स्ट्राइक जैसे अभियानों में भी इसका उपयोग हुआ था।
हम आपको यह भी बता दें कि बीते दशकों में मिग-21 को "फ्लाइंग कॉफिन" और "विधवा बनाने वाला" भी कहा गया, क्योंकि इसमें तकनीकी खामियों और रख-रखाव की जटिलताओं के कारण कई दुर्घटनाएँ हुईं। अब जब यह 60 वर्षों की सेवा के बाद रिटायर हो रहा है, तो यह एक युग के अंत की तरह है।
अब सवाल उठता है कि मिग-21 के बाद कौन लेगा इसकी जगह? तो इसके जवाब में हम आपको बता दें कि भारतीय वायुसेना अब पुराने विमानों की जगह नई पीढ़ी के फाइटर जेट्स ला रही है। इसमें सबसे पहला नाम तेजस का है। यह स्वदेशी रूप से विकसित चौथी पीढ़ी का लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) है जोकि उच्च गतिशीलता, उन्नत एवियोनिक्स और हथियार प्रणाली से लैस है। तेजस अब मिग-21 का प्राकृतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
इसके अलावा भारतीय वायुसेना के पास अब राफेल है जोकि फ्रांस से आयातित बहुउद्देश्यीय फाइटर जेट है। यह लंबी दूरी की स्ट्राइक, डॉगफाइट और परमाणु हथियारों की तैनाती में सक्षम है। साथ ही AMCA और TEDBF अभी विकास के चरण में हैं। भविष्य में स्वदेशी फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट और नेवी फाइटर जेट भारतीय वायुसेना और नौसेना को और मजबूती देंगे।
बहरहाल, अपाचे हेलिकॉप्टरों की तैनाती और मिग-21 की विदाई एक प्रतीकात्मक परिवर्तन है। यह दिखाता है कि भारत अब अपने रक्षा बलों को तकनीकी रूप से उन्नत, अत्याधुनिक और नेटवर्क-सक्षम बना रहा है। जहां मिग-21 ने दशकों तक आसमान में भारतीय शक्ति का प्रतीक बनकर सेवा दी, वहीं अपाचे जैसे नए प्लेटफॉर्म अब ज़मीन पर दुश्मन के मनोबल को तोड़ने का कार्य करेंगे। यह परिवर्तन न केवल सैन्य रणनीति का विस्तार है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और मजबूत कदम भी है।
अन्य न्यूज़












