उद्योग जगत ने इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड में देरी पर जतायी चिंता

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 16, 2019

नयी दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता में हुई व्यापार बोर्ड की बैठक में शुक्रवार को निर्यातकों और उद्योग जगत ने व्यापार संबंधी कई चिंताएं व्यक्त कीं। बैठक में इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड में देरी, बैंकों की ओर से ऋण बांटने में कमी और अमेरिका की ओर से तरजीह देने वाले प्रावधान हटाए जाने के बारे में बात की गई। वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने निर्यात क्षेत्र को ऋण आवंटन में कमी, आयात-पूर्व की शर्तों के पूर्व की तिथि से प्रभाव, इनपुट टैक्स क्रेडिट के रिफंड में देरी, अमेरिका द्वारा तरजीह देने की सरलीकृत प्रणाली के लाभ वापस लेने, ईरान को निर्यात और पड़ोसी देशों को निर्यात करने पर प्रोत्साहन की उपलब्धता जैसे कई विषयों से जुड़ी चिंताएं व्यक्त कीं।’’ बयान के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारियों ने इन मसलों का समाधान किया और निर्यात समिति और जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में इन मसलों को उठाया जाएगा।

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अमेरिका ने विकासशील देशों में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कुछ उत्पादों को शुल्क रहित उसके बाजार में प्रवेश की अनुमति दी हुई है। इसे तरजीह देने की सरलीकृत प्रणाली (जीएसपी) कहा जाता है। अब अमेरिका ने भारत को यह सुविधाएं देने की समीक्षा करने का निर्णय किया है। निर्यातक अमेरिका के इस कदम से चिंतित हैं क्योंकि इससे उनकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी। निर्यातकों के संघ फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि 2018 के उत्तरार्द्ध में वैश्विक व्यापार का माहौल कड़ा हो चुका है और 2019 में इसके थोड़े नरम पड़ने के आसार हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को ब्रांडेड निर्यात को बढ़ावा देने की योजना लानी चाहिए। बुनियादी ढांचा सुधारने और व्यापार मेलों को आयोजित करने का बजट बढ़ाना चाहिए।

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भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने व्यापार वित्तपोषण, प्रोत्साहन और लॉजिस्टिक से जुड़े अहम मसलों का समाधान करने पर जोर दिया ताकि निर्यातकों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद की जा सके। बोर्ड के सदस्यों को संबोधित करते हुए वाणिज्य सचिव अनूप वाधवां ने कहा कि देश का निर्यात 2016-17 से लगभग तीन साल से बढ़ रहा है और चालू वित्त वर्ष में इसके एक नई ऊंचाई पर पहुंचने की संभावना है। इस दौरान प्रभु ने निर्यातकों की जागरुकता के लिए एक नया ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘कभी भी-कहीं भी’ (एनीटाइम-एनीव्हेयर) शुरू किया। साथ ही विदेश व्यापार महानिदेशालय का एक मोबाइल एप भी शुरू किया जहां निर्यातक अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं और विभिन्न लाइसेंसों के लिए आवेदन भी कर सकते हैं।

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