By अनन्या मिश्रा | Sep 08, 2025
किसी भी देश का विकास और खुशहाली इस बार पर निर्भर करती हैं कि वहां पर रहने वाले लोगों की साक्षरता दर क्या है। लोगों को साक्षरता के प्रति जागरुक करने के लिए हर साल 08 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। वहीं भारत में भी इसको लेकर कई प्रयास किए जा रहे हैं। साक्षरता के प्रति लोगों को जागरुक करने के सर्व शिक्षा अभियान इसका एक उदाहरण है। तो आइए जानते हैं अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाए जाने की शुरूआत कब हुई और इसकी थीम क्या है।
जिस भी देश में जितने ज्यादा लोग साक्षर होंगे, उस देश का भविष्य और परिवेश उतना ही अधिक बेहतर होगा। साक्षर का अर्थ शिक्षित होना से है। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को साक्षर बनाने के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करना है। दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग शिक्षा ग्रहण करें।
ईरान के तेहरान में आयोजित साल 1965 में निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन से अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस की जड़ें जुड़ी हैं। इस सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के विचार को जन्म दिया। इसके बाद साल 1966 में यूनेस्को ने अपने 14वें सम्मेलन के दौरान ऑफिशियल तौर 08 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए घोषित किया।
इसके एक साल बाद यानी की 08 सितंबर 1967 को दुनिया ने पहली बार इस दिन को मनाया। जिसने एक अहम वैश्विक पालन की शुरूआत की। तब से लेकर हर साल 08 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है।
हर साल इस दिन पर एक खास थीम रखी जाती है। इस बार अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 2025 की थीम "डिजिटल युग में साक्षरता को बढ़ावा देना" है।