जांच की जांच (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Jul 18, 2025

उन्होंने अपना वक्तव्य देने के लिए, सात वारों में से मनपसंद वार और समय भी चुना। कोई छोटा मोटा वक्तव्य तो देना नहीं था। उन्होंने फ़रमाया, देखिए, हमारे यहां बहुत सख्त सुरक्षा मापदंड और मज़बूत प्रोटोकोल होता है जिसे मानना पड़ता है, माना भी जाता है। मगर यदि कहीं ज़रा सी भी कमी रह गई, कहने का मतलब कि इतनी उच्च कोटि की सख्त सुरक्षा मापदंडों और मज़बूत प्रोटोकोल के बावजूद यदि कमी रह जाती है तो मानना होगा कि नैसर्गिक बुद्धि तो गलतियां करती रही है अब नकली बुद्धि भी कर रही है।  


गलती न करने की मंशा होते हुए भी हो ही जाती है। देखिए, नई तरह से नई गलती होगी तभी तो बचाव करने, बचने के नए उपाय किए जाएंगे, उनका आविष्कार होगा। सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए संभव और सघन प्रयास किए जाएंगे। होता क्या है कि घटना के बाद कई बातें चलती रहती हैं। अलग अलग विचार उगाए जाते हैं। कमबख्त राजनीति को बीच में न भी लाना चाहें तो भी आ ही जाती है। राजनीति का चरित्र ही ऐसा है। हम फिर कह रहे हैं कि हमारे यहां बहुत कड़े सुरक्षा मानक हैं। अब समझिए न, सुरक्षा के कड़े मानकों की असली परीक्षा तो तभी होगी न जब उस स्तर की कोई दुर्घटना होगी। ठीक जैसे कार में जो एयर बैग लगे होते हैं वे तभी खुलते हैं जब परखी हुई गति पर दुर्घटना होती है।  

इसे भी पढ़ें: मकान मालिक की व्यथा (व्यंग्य)

छोटी मोटी दुर्घटना से सुरक्षा को ज़्यादा परेशानी नहीं होती। बड़ी दुर्घटना में मुश्किल होती है। अब जब सब महसूस कर लिया गया है तो ठोस, गहन और विस्तृत जांच होनी चाहिए। इसलिए हमारे द्वारा विस्तारित निगरानी के आदेश दिए गए है। देखिए, पहले ही दिन से ज़बर्दस्त जांच शुरू हो गई है। जांच पूरी ईमानदारी से की जाएगी तो सच निकलकर बाहर आएगा, उसे आना ही होगा। जांच ही बताएगी कि पहले क्या स्थिति थी और जांच के बाद क्या बनी। अब तक जितनी जांच हुई है वह बेहद सुचारू रूप से आगे ले जाई जा रही है। देखिए, अब यह तो स्वाभाविक है न जी कि कुछ हुआ होगा तभी जांच होगी। घटना से पहले तो कुछ पता नहीं होता, कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा सकती।   


जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी है जिसमें यह सचिव, वह सचिव, ऐसे सचिव, वैसे सचिव, यहां के अधिकारी, वहां के अधिकारी शामिल किए गए हैं। जिनके पास असीम शक्तियां हैं। बहुत जानदार, वज़नदार रिपोर्ट तैयार होने जा रही है। जांच कोई स्वादिष्ट सब्जी तो है नहीं जिसका सुनिश्चित फार्मूला हो और ख़ास खानसामा भी। जांच की रिपोर्ट में विविध खामियों की रिपोर्ट एक दम सार्वजनिक नहीं कर सकते। 


मुश्किल काम में थोड़ा नहीं ज़्यादा समय लगता है जी। आप तो समझते ही हैं, धमकियों लालच, शार्टकट, दबाव और चिंताओं की जांच करना मज़ाक नहीं है। इसमें व्यवस्था, जोखिम और भाग्य का रोल भी महत्त्वपूर्ण है। जिसकी उम्र ज्यादा लिखी हुई है वह हर स्थिति में बच जाएगा। जिसकी उम्र ज्यादा होगी उसे तो बचना ही है। सुरक्षा और विशवास मामलों में अंधविशवास प्रवेश कर जाता है। हो सकता है वास्तुशास्त्र भी प्रवेश कर ले। प्रवेश करने का शुभमुहर्त भी हो सकता है। वैसे अगर जांच की जांच की जाए तो आंच आ सकती है। इसलिए सांच को आंच से बचाना ज़रूरी है।


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

कौन है असली ग्रुप ऑफ डेथ? FIFA World Cup 2026 ड्रॉ के बाद विश्लेषकों की राय, इन ग्रुप्स पर टिकी नजरें

India-US Trade Pact: 10 दिसंबर से शुरू होगा पहले चरण का मंथन, टैरिफ पर हो सकती है बात

रूस में फैलेगा पतंजलि का साम्राज्य, MoU साइन, योग और भारतीय संस्कृति का बढ़ेगा प्रभाव

7 दिसंबर तक रिफंड-क्लियर करो, 48 घंटे में सामान घर पहुंचाओ, वरना होगी सख्त कार्रवाई, सरकार की लास्ट वॉर्निंग