By अनुराग गुप्ता | Aug 10, 2021
मालदीव में भारत विरोधी भावनाओं को खूब बल मिल रहा है। कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर भारत विरोधी कैंपेन चलाया जा रहा है। हालांकि भारत ने भी समय-समय पर अपना विरोध दर्ज कराया है। इसके अलावा भारतीय उच्चायुक्त को मालदीव से सुरक्षा की भी मांग करनी पड़ी थी।
चीन का हाथ शामिल !
अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' के मुताबिक पूर्व राजनयिक विष्णु प्रकाश ने बताया कि भारत के खिलाफ चल रहा अभियान राजनीति से प्रेरित है। इसके पीछे विदेशी ताकतों को भी हाथ है। मालदीव में लगातार मीडिया के माध्यम से भारत के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि मालदीव में भारत के खिलाफ चल रहा अभियान राजनीतिक रूप से प्रेरित है। यहां तक कहा जा रहा है कि इसमें चीन का भी हाथ शामिल हो सकता है।रिपोर्ट के मुताबिक पूर्व राजनयिक ने बताया कि मालदीव के कई नेताओं के चीन के साथ अच्छे संबंध हैं। उन्होंने बताया कि मालदीव भारत का अच्छा दोस्त है। भारत ने कई विकास परियोजनाओं पर उनकी मदद की है। हालांकि वहां के कई नेता भारत विरोधी भी हैं।आपको बता दें कि भारत विरोधी भावना मालदीव में रातों रात ही नहीं पनपी बल्कि लगभग एक दशक पुरानी है और इसका पता तब चलता है जब 2013 में प्रोग्रेसिव पार्टी (पीपीएम) के अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम राष्ट्रपति बने थे। इस दौरान भारत-मालदीव के संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। इतना ही नहीं यामीन सरकार पर चीन समर्थक होने के भी आरोप लगते रहे हैं।
चीन की भूमिका को लेकर पूर्व राजनयिक ने बताया कि चीन अपनी लाइन पर चलने वाले नेताओं को उभारने में जुटा हुआ है। इतना ही नहीं अपने प्रभुत्व को जमाने के लिए वह पैसे का भी इस्तेमाल करता है। उन्होंने बताया कि चीन बेल्ट एंड रोड परियोजना के जरिए नेताओं और मीडिया पर प्रभुत्व जमाने के लिए पैसे का भी इस्तेमाल करता है। हालांकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो उसकी तरह व्यवहार नहीं कर सकता है।गौरतलब है कि भारत और मालदीव के रिश्ते एक-दूसरे के लिए काफी अहम है। विगत की सरकारों ने भी मालदीव की समय-समय पर सहायता की है। फिर भी लगातार भारत विरोधी अभियान चलाया जा रहा है।