By अभिनय आकाश | Sep 22, 2025
यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में औपचारिक मान्यता देने की घोषणा कर दी है। इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टू नेशन सॉल्यूशन को जिंदा रखने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। लेकिन इस फैसले से इजरायल और अमेरिका के साथ पश्चिमी देशों के रिश्तों में खिंचाव आ सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से कुछ दिन पहले ही ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने फलस्तीन को बतौर देश आधिकारिक मान्यता दे दी है। ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने इसका ऐलान किया। उन्होंने कहा कि ये फैसला फलस्तीन और इजरायल लोगों के लिए शांति की उम्मीद और टू स्टेट सॉल्यूशन को जिंदा करने की दिशा में उठाया गया कदम है।
हालंकि, स्टॉर्मर ने ये भी कहा है कि इसे हमास के लिए एक पुरस्कार की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। ब्रिटिश पीएम ने अपने भाषण में गाजा में भुखमरी से पैदा हुए हालात का भी जिक्र किया।
ये ऐलान यूके की नीति में उस बदलाव के बाद आया जब जुलाई में स्टार्मर ने इजरायल के सामने शर्ते रखी थी। जिनमें गाजा में युद्धविराम, मानवीय सहायता की अनुमति, वेस्ट बैंक में कब्जे को खारिज कर दो राष्ट्र समाधान की दिशा में आगे बढ़ना शामिल था। इससे पहले कनाडा जी-7 देशों में पहला देश बना, जिसने फलस्तीन को मान्यता दी। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने बयान जारी कर कहा कि इस तरह से कनाडा टू स्टेट सॉल्यूशन को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समन्वित प्रयासों का हिस्सा बनने का वादा पूरा कर रहा है। कार्नी ने अपने बयान में ये भी कहा कि ये मान्यता उन लोगों को सशक्त बनाती है, जो हमास के अंत - और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व चाहते हैं।
इसके कुछ समय बाद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी इस घोषणा को लेकर एक बयान जारी किया। इस बीच, इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसे हमास के लिए एक पुरस्कार करार दिया है। ऑस्ट्रेलिया की ओर से कहा गया कि वो औपचारिक रूप से स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीनीराज्य के रूप में मान्यता देता है। ऐसा करके ऑस्ट्रेलिया फिलिस्तीन के लोगों की अलग राज्य की वैध और लंबे समय से चली आ रही आकांक्षाओं को मान्यता देता है। उन्होंने गाजा में तत्काल युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई पर जोर दिया। साथ ही कहा कि हमास का फिलिस्तीन के भविष्य के शासन में कोई स्थान नहीं होगा।
हालांकि इजरायल ने इसका भारी विरोध किया है। इजरायल ने इस कदम की कड़ी निंदा की है। एक्स पर इजरायली विदेश मंत्रालय की ओर से साझा किए गए एक पोस्ट में कहा गया है कि फलस्तीन को मान्यता जिहादी हमास के लिए एक पुरस्कार है। बयान आगे कहता है कि हमास के नेताओं ने पहले ही कहा है कि इस तरह की मान्यता 7 अक्टूबर की घटना का फल है। बता दें कि अब तक दुनिया के 150 से ज्यादा देश फिलिस्तीन को देश की मान्यता दे चुके हैं।
बीते दिनों इजरायल पर दबाव बनाने की रणनीति में फ्रांस सबसे आगे रहा है। राष्ट्रपति मैक्रो पहले ही ये कह चुके है कि सितंबर के यूएनजीए सत्र के दौरान उनका देश फिलिस्तीन को बतौर संप्रभु देश मान्यता देगा। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इससे इस क्षेत्र में शांति कायम होगी।