By अभिनय आकाश | Nov 29, 2025
आतंक के खिलाफ चल रही इस लड़ाई के बीच इजराइल ने भारत को लेकर ऐसा फैसला लिया है जिसने कई दुश्मनों को हिला दिया है। दरअसल 2700 सालों के एक लंबे इंतजार के बाद इजराइल ने भारत से यहूदियों को वापस ले जाने का फैसला लिया है। इस फैसले के पीछे क्या वजह है वह भी आपको बताऊंगा। दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि भारत वो देश है जिसने कभी भी किसी शरण मांगने वाले को खाली हाथ नहीं लौटाया। युगों युगों से वसुदेव कुटुंबकम की इसी भावना के साथ भारत ने हमेशा सताए हुए लोगों को शरण दी है। उन्हें अपना माना है। चाहे वह यहूदी हो, पारसी हो या तिब्बती बौद्ध हो। लेकिन सैकड़ों सालों से भारत के पूर्वोत्तर में रह रहे हजारों यहूदी अब भारत में नहीं रहेंगे।
पूर्वोत्तर में रह रहे यहूदी किसी दिक्कत की वजह से भारत छोड़ने वाले नहीं है बल्कि उन्हें इजराइल ने वापस अपने देश बुलाने का फैसला ले लिया है। दरअसल इजराइल की सरकार ने पूर्वोत्तर में बसे 5800 यहूदियों को वापस लाने की योजना को मंजूरी दे दी है। इन लोगों को अगले 5 सालों के दौरान भारत से लाकर इजराइल में बसाया जाएगा। इनमें से 1200 लोग अगले साल यानी 2026 में इजराइल पहुंच जाएंगे। इन लोगों को उत्तरी इजराइल के गलील रीजन में बसाया जाएगा। इन्हें हिब्रू भाषा सिखाई जाएगी। नौकरी में मदद दी जाएगी। घर दिया जाएगा और सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों से जोड़ा जाएगा।
सोचिए भारत सरकार अगर पाकिस्तान से लगते कश्मीर में हिंदुओं की संख्या बढ़ानी शुरू कर दे। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को कश्मीर में बसाना शुरू कर दे तो ऐसी स्थिति में वही होगा जो इजराइल शुरू कर चुका है। इजराइल चाहता है कि उसके बॉर्डर वाले इलाकों पर यहूदियों की पकड़ हो। यह इसलिए भी जरूरी है ताकि बॉर्डर की सुरक्षा पर लगे इजराइली सैनिकों को इन यहूदियों की मदद मिलती रहे। अगर ज्यादा फिलिस्तीनी हो गए तो वह इजराइली सेना को ही बर्बाद करने के मिशन पर लग जाएंगे। इजराइल से ही गद्दारी करेंगे। बहरहाल अब भारत के बिनई मिनाशे समुदाय से मिलने के लिए यहूदी धर्म गुरुओं की अब तक की सबसे बड़ी टीम भारत आ रही है। यह टीम भारत के पूर्वोत्तर में रहने वाले बिनेई मिनाश समुदाय के लोगों से मिलेगी।