By निधि अविनाश | Aug 14, 2020
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रयासों के बाद आज पश्चिम एशिया के दो बेहद ताकतवर देशों ने एक ऐसा ऐतिहासिक कदम उठाया हैं जिससे आगे जाकर पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति लाने में मदद मिलेगी। ये दो देश इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात है जिनके बीच 72 साल से दुश्मनी चल रही थी। बता दें कि इन दोनों देशों ने अपने बीच बढ़ रही दुश्मनों को खत्म करने और अपने संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। जिसके तहत इजरायल वेस्ट बैंक के बड़े हिस्सों को अपने में मिलाने की योजना को स्थगित कर देगा। इस समझौते में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ट्रंप का इस ऐतिहासिक फैसले पर बयान
ट्रंप ने अपने ओवल आफिस से कहा, ‘‘49 वर्षों बाद इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात अपने राजनयिक संबंध सामान्य बनाएंगे।’’ ट्रंप ने कहा, ‘‘वे अपने दूतावासों और राजदूतों का आदान प्रदान करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग शुरू करेंगे जिनमें पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, व्यापार और सुरक्षा शामिल हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब जब शुरूआत हो गई है, मैं उम्मीद करता हूं कि और अरब एवं मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात का अनुसरण करेंगे।’’
इन तीन देशों का बयान
यूएई की सरकारी समाचार एजेंसी ‘वाम’ ने बृहस्पतिवार को अमेरिका, इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात का एक संयुक्त बयान साझा किया। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और यूएई सशस्त्र बलों के उप सुप्रीम कमांडर ने बृहस्पतिवार को बात की और इजरायल और यूएई के बीच संबंधों के पूर्ण रूप से सामान्य बनाने सहमति व्यक्त की। बयान में कहा गया है, ‘‘यह ऐतिहासिक कूटनीतिक सफलता पश्चिम एशिया क्षेत्र में शांति को आगे बढ़ाएगी। यह तीनों नेताओं की साहसिक कूटनीति एवं दृष्टि तथा एक नया रास्ता खोलने के संयुक्त अरब अमीरात और इजरायल के साहस को दिखाता है। इससे क्षेत्र में व्यापक संभावनाओं का निर्माण होगा। तीनों देशों ने एकसमान चुनौतियों का सामना किया है और आज की ऐतिहासिक उपलब्धि से वे पारस्परिक रूप से लाभान्वित होंगे।’’ नेतन्याहू ने ट्वीट किया कि यह एक ‘‘ऐतिहासिक दिन है।
फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता नबील अबू रदेनेह ने कहा कि यह समझौता ‘‘राजद्रोह’’के समान है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूएई को अपना यह निर्णय वापस लेना चाहिए और साथ ही उन्होंने अरब देशों से भी ‘‘फलस्तीनी लोगों के अधिकारों की कीमत पर’’ इसका पालन ना करने का आग्रह किया।
ईरान ने की इस समझौते की कड़ी निंदा
ईरान के विदेश मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इज़राइल के बीच बृहस्पतिवार को पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए हुए ऐतिहासिक समझौते की कड़ी निंदा की और इसे सभी मुसलमानों के पीठ में छुरा घोंपना करार दिया। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में ईरान ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने को खतरनाक और ‘शर्मनाक’ कदम बताया है और संयुक्त अरब अमीरात को इज़राइल द्वारा फारस की खाड़ी के क्षेत्र के ‘राजनीतिक समीकरण’ में हस्तक्षेप करने को लेकर आगाह किया है। बयान में मंत्रालय ने कहा, ‘‘ संयुक्त अरब अमीरात सरकार और अन्य सहयोगी सरकारों को इस कदम से होने वाले परिणाम की जिम्मेदारी भी अवश्य लेनी चाहिए।’’
यूएई पर बरसी तुर्की
तुर्की ने कहा कि लोग यूएई के इस कपटपूर्ण बर्ताव को कभी नहीं भूलेंगे और न ही माफ करेंगे। यूएई ने कभी इजराइल के साथ युद्ध नहीं लड़ा और दोनों देशों के बीच कई सालों से संबंध सुधारने की कवायद जारी थी। यूएई ने कहा कि इस समझौते से इजराइल की उस योजना पर लगाम लगी है जिसके तहत वह पश्चिमी तट के कब्जे वाले इलाकों पर एकतरफा अधिकार करना चाहता था। लेकिन तुर्की के विदेश मंत्रालय का कहना है कि यूएई को फलस्तीन की ओर से इजराइल के साथ समझौता करने का कोई अधिकार नहीं है। तुर्की ने कहा कि फलस्तीन के लिए महत्व रखने वाले मुद्दों पर बात करने का यूएई को कोई हक नहीं है। इस समझौते से मिस्र और जॉर्डन के बाद यूएई, इजराइल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध रखने वाला तीसरा अरब देश बन जाएगा।