By शुभम यादव | Sep 02, 2020
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान मिशन-3 के लिए परीक्षण की तैयारियां और सफल लैंडिंग के लिए प्रयास शुरू करने के संकेत दिए हैं। बेंगलुरु से करीब 215 किलोमीटर दूर छल्लकेरे गांव में इस प्रोजेक्ट पर काम चालू होने जा रहा है। माना जा रहा है कि इस साल के आखिरी तक इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा इस परियोजना पर काम शुरू हो सकता है।
मिशन चंद्रयान 3 के लिए कैसे प्रयास किए जाएंगे?
चंद्रयान 3 प्रोजेक्ट के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा चांद जैसे आर्टिफिशियल क्रेटरों को बनाने की योजना बनाई जा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक कंपनियों को निविदाओं के लिए बुलाने और सभी सामान्य कार्यों के लिए एक फर्म ढूंढने की प्रक्रिया सितंबर तक पूरी होने की बात कहीं गई है साथ ही यह भी निश्चित किया गया है कि क्रेटरों को चेल्लकेरे गांव में ही बनाया जाएगा।
कितनी लागत से निर्मित होने वाले हैं क्रेटर्स?
इस परियोजना के तहत कृत्रिम क्रेटर्स के निर्माण में 24.2 लाख से अधिक रुपए खर्च होने वाले हैं। क्रेटर्स करीब 3 मीटर गहराई और 10 मीटर के व्यास में बनाए जाएंगे।
कैसे काम करते हैं क्रेटर और क्या है उपयोग?
Chandrayaan-3 के तहत बनाए जा रहे कृत्रिम क्रेटर चंद्रमा पर किए जा रहे कई तरह के प्रयासों के लिए उपयोगी साबित होंगे। इन क्रेटर्स के जरिए चंद्रमा पर नकली गड्ढे बनाते हैं जिसमें चंद्रयान 3 के लैंडर व रोवर उतरने की प्रैक्टिस कर सकेंगे। क्रेटर्स में ऐसे सेंसर सेट किए जाएंगे जो चंद्रयान 3 की परफॉर्मेंस का चेकअप भी कर के वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण जानकारी दे पाएंगे। चांद की सतह पर चंद्रन तरीके लैंडर व रोवर को मनचाहे तरीके से उतारा जा सके इसके लिए कृत्रिम क्रेटर्स बनाने की योजना पर काम चल रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा chandrayaan-3 मिशन के तहत जो भी प्रोग्राम तैयार किए जा रहे हैं उनमें से अधिकतर प्रोग्राम ऑटोमेटेड तरीके से काम करेंगे। चंद्रयान 3 सेंसर्स से लैस होगा जो लैंडर की लैंडिंग कराने के दौरान सही जगह, जरूरत के हिसाब से ऊंचाई, स्पीड और पत्थरों से बराबर दूरी का सारा ब्यौरा वैज्ञानिकों को उपलब्ध कराएंगे। बताया जा रहा है कि Chandrayaan-3 के लैंडर को नकली गड्ढों पर करीब 7 किलोमीटर ऊंचाई से उतारने की कोशिश की जाएगी, जिसमें 2 किलोमीटर पहले से ही लैंडर में मौजूद सेंसर काम करने लगेंगे।
- शुभम यादव