समुद्री सुरक्षा के प्रति बेहद गंभीर है भारत, मालाबार युद्धाभ्यास के साथ ही तटरेखा पर अभ्यास ने दहलाया दुश्मनों का दिल

By गौतम मोरारका | Nov 17, 2022

चतुर्भुज सुरक्षा संवाद यानि क्वॉड देशों की नौसेनाओं के बीच समुद्री अभ्यास मालाबार का 26वां संस्करण काफी सफल रहा। जापान के योकोसूका में आयोजित किये गये बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने हिस्सा लिया और अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इस युद्धाभ्यास पर चीन की नजर भी बनी हुई थी क्योंकि उसका मानना है कि क्वॉड समूह का गठन ही चीन विरोध के लिए हुआ है।


जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स द्वारा आयोजित इस युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व शिवालिक और कमोर्ता नामक जंगी जहाजों ने किया। इसके अलावा टोही विमान, हेलीकॉप्टर और अन्य पनडुब्बियां भी अभ्यास में भारत की ओर से शामिल हुईं। भारत के दोनों जंगी जहाजों की खासियत की बात करें तो आईएनएस शिवालिक जहां ब्रह्मोस जैसी ताकतवर मिसाइलों से लैस है तो साथ ही यह पानी की गहराई में भी दुश्मनों को खोज निकाल कर उन्हें तबाह करने की क्षमता रखता है। पानी पर 50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाले आईएनएस शिवालिक ने मालाबार युद्धाभ्यास के दौरान जिस तरह के हैरतअंगेज कारनामे दिखाये उससे दुश्मन देशों के माथे पर पसीना आना वाजिब है। वहीं अगर आईएनएस कमोर्ता की विशेषताओं पर नजर डालें तो यह जहां एक ओर परमाणु, रासायनिक और जैविक युद्ध लड़ने में सक्षम है वहीं यह दुश्मन के रडार से पूरी तरह बचने में भी माहिर है। 6500 किमी की रेंज वाला आईएनएस कमोर्ता का 90 फीसदी हिस्सा भारत में ही बनाया गया है इसलिए यह मेक इन इंडिया की भी बड़ी मिसाल है।


हम आपको यह भी बता दें कि साल 1992 में मालाबार अभ्यास की शुरुआत हुई थी लेकिन उस समय यह भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच ही होता था। साल 2015 में जापान इसका हिस्सा बना और फिर साल 2020 में आस्ट्रेलिया भी इससे जुड़ गया जिससे इस युद्धाभ्यास पर दुनिया भर की नजरें टिकी रहती हैं। इस बार के युद्धाभ्यास में आज के दौर की जटिलताओं से निबटने के कौशल का प्रदर्शन किया गया साथ ही उच्च तकनीकों का उपयोग कर दुश्मनों के दिल को दहलाया गया। इसके अलावा मालाबार युद्धाभ्यास के दौरान चारों देशों के युद्धपोतों के बीच सी-राइडर्स का आदान-प्रदान भी किया गया। युद्धाभ्यास के दौरान चारों नौसेनाओं ने एक दूसरे की परिचालन क्षमता को जाना और समझा और समुद्री चुनौतियों से एक साथ निबटने के प्रयासों का प्रदर्शन किया। साथ ही इस दौरान इस बात की भी परख की गयी कि युद्ध की स्थिति में मित्र देश कैसे एक दूसरे के युद्धपोतों में ईंधन भर सकते हैं।

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देखा जाये तो भारत समुद्री सुरक्षा पर काफी ध्यान दे रहा है इसीलिए बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास के अलावा खुद से भी अभ्यास कर रहा है। इस सप्ताह भारत ने अपनी तटरेखा और विशेष आर्थिक क्षेत्र को कवर करते हुए दो दिवसीय सैन्य अभ्यास किया। इस अभ्यास का मकसद किसी भी स्थिति से निपटने में विभिन्न एजेंसियों की तैयारियों की जांच करना तथा समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना था। हम आपको बता दें कि मुंबई आतंकी हमलों के बाद समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए किये गए विभिन्न उपायों की मंजूरी के लिए इस तरह के अभ्यास के संबंध में 2018 में विचार किया गया था। समुद्री निगरानी का पहला अभ्यास जनवरी 2019 में हुआ था। इस लिहाज से इस बार का अभ्यास इसका तीसरा संस्करण है। 


उल्लेखनीय है कि यह अभ्यास प्रमुख ‘थिएटर लेवल रेडीनेस ऑपरेशनल एक्सरसाइज’ (ट्रोपेक्स) की तैयारी है, जिसे भारतीय नौसेना हर दो साल में आयोजित करती है। इस अभ्यास के दौरान निगरानी और ट्रोपेक्स मिलकर समुद्री सुरक्षा की सभी चुनौतियों से निबटने में सफल रहे। इस अभ्यास के लिए भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल, सीमा शुल्क विभाग तथा अन्य समुद्री एजेंसियों की संपत्तियों को तैनात किया गया था। भारत की 7516 किलोमीटर लंबी तटरेखा और विशेष आर्थिक क्षेत्र में किये गये इस अभ्यास में मत्स्य और तटीय समुदायों समेत अन्य समुद्री पक्षकारों के साथ ही सभी तटीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल थे।


-गौतम मोरारका

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