By अनन्या मिश्रा | Oct 11, 2025
युग परिवर्तनकारी विचारक जयप्रकाश नारायण का 11 अक्तूबर को जन्म हुआ था। उन्होंने आधुनिक भारत में अहिंसक आंदोलन से राजनीतिक परिवर्तन का एक नया इतिहास लिखा था। महात्मा गांधी के बाद आजाद भारत में पहली बार किसी नेता द्वारा यह चमत्कार किया गया था। हालांकि कई चुनौतियों को झेलने के बाद जेपी नारायण को अपने लक्ष्य में कामयाबी मिली थी। छात्र आंदोलन को अहिंसक और अनुशासित रखना जेपी की सबसे बड़ी कामयाबी थी। उन्होंने आपातकाल की घोर यातना के बाद भी शांति को शक्ति में बदलकर लोकतंत्र को नया जीवन देने का काम किया था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर जेपी नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में 11 अक्तूबर 1902 को जयप्रकाश नारायण का जन्म हुआ था। बचपन से ही जेपी नारायण के अंदर देश के प्रति गजब की भक्ति थी। गरीबी और संघर्ष भरी जिंदगी के बाद भी जेपी नारायण ने हार नहीं मानी थी। शुरूआती पढ़ाई के बाद उन्होंने पटना कॉलेज में दाखिला लिया। यहां से ही जेपी के अंदर समाज के लिए कुछ करने की भावना पैदा हुई। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही जेपी ने गांधी जी और स्वतंत्रता आंदोलन के विचारों से प्रभावित हुए।
अमेरिका से वापस लौटने के बाद जेपी नारायण ने भारत में समाजवादी आंदोलन की नींव रखी थी। वहीं पटना उनका कार्यस्थल बन गया और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेपी नारायण ने जेल में रहते हुए किताब लिखी थी। वहीं आजादी के बाद जब बाकी स्वतंत्रता सेनानी सत्ता के करीब पहुंचे, तो जेपी नारायण ने सियासय से दूरी बना ली थी। क्योंकि जेपी नारायण को सत्ता की नहीं बल्कि समाज की चिंता थी।
बिहार के छात्रों ने साल 1974 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन छेड़ा, इस आंदोलन का नेतृत्व जेपी नारायण ने किया था। धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया और 'संपूर्ण क्रांति' का नारा दिया। इस दौरान पटना के गांधी मैदान में लाखों लोगों की भीड़ ने जेपी नारायण को 'लोकनायक' की उपाधि दी और उनके भाषण ने युवाओं में जोश भरने का काम किया।
छात्र आंदोलन का नाम जेपी आंदोलन दिया गया और इस आंदोलन से स्व अरुण जेटली, स्वर्गीय सुषमा स्वराज, हुकुमदेव यादव, रविशंकर प्रसाद, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, विजय गोयल, आजम खान, रामविलास पासवान, रेवतीरमण सिह, केसी त्यागी और बीजू पटनायक जैसे कई नेता जुड़े। यह नेता बाद में भारत के शीर्ष राजनीतिक पदों पर आसानी हुए।
जीवन के आखिरी वर्षों में जेपी नारायण बीमार रहे, लेकिन फिर भी उनका आत्मबल अठिग रहा। वहीं 08 अक्तूबर 1979 को जयप्रकाश नारायण का निधन हो गया था।