By अनन्या मिश्रा | Nov 29, 2025
जेआरडी टाटा, भारतीय इंडस्ट्री के इतिहास का एक ऐसा नाम जिससे भले कोई परिचित न हो। यह भारत को तरक्की की राह पर लाने वाला नाम है। जेआरडी टाटा ने देश को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। उन्होंने टाटा ग्रुप को इतना आगे ले जाने का काम किया। आज ही के दिन यानी की 29 नवंबर को जेआरडी टाटा का निधन हो गया था। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर जेआरडी टाटा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
फ्रांस में 29 जुलाई 1904 को जेआरडी टाटा का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम रतनजी दादाभाई टाटा और मां का नाम सुजैन ब्रियर था। इनका पूरा नाम जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा था। जेआरडी टाटा अपने भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थे।
एक समय पर जेआरडी टाटा राजनीति में आना चाहते थे। वह जवाहर लाल नेहरू से काफी ज्यादा प्रभावित थे। लेकिन फिर उनको एहसास हुआ कि वह इस विचार के साथ अधिक दूर तक नहीं जा पाएंगे। उनको इस बात का एहसास हुआ कि राजनीति में रहकर वह न तो देश के लिए और न ही पार्टी के लिए कुछ कर पाएंगे।
साल 1925 में पिता के बुलाने पर जेआरडी टाटा फ्रांस से भारत आ गए। इसके बाद वह अनौपचारिक रूप से जेआरडी टाटा टिस्को में बतौर इंटर्न काम करने लगे। वहीं पिता के निधन के बाद 22 साल की उम्र में वह टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा संस के बोर्ड में शामिल हो गए। अभी तक उनके पास फ्रांस की नागरिकता थी। लेकिन साल 1929 में उन्होंने फ्रांसीसी नागरिकता त्यागकर भारत की राजनीति अपनाई।
बता दें कि जेआरडी टाटा भारत के पहले कमर्शियल पायलट थे। उनको साल 1929 में लाइसेंस मिला था। वहीं साल 1932 में टाटा एविएशन सर्विस ने पहली उड़ान भरी। साल 1953 तक उन्होंने इस विमानन कंपनी को बुलंदियों पर पहुंचा दिया था। जिसके बाद जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण कर दिया। यह एक ऐसा फैसला था, जिसके खिलाफ जेआरडी ने पूरे दिल से लड़ाई लड़ी थी। फिर साल 1977 में मोरारजी देसाई की सरकार ने जेआरडी टाटा को एयर इंडिया के अध्यक्ष पद से हटा दिया। लेकिन इंदिरा गांधी सरकार की वापसी पर वह फिर से एयर इंडिया के अध्यक्ष बन गए।
साल 1938 में जेआरडी टाटा ने सर नौरोजी से टाटा समूह के अध्यक्ष पद का कार्यभार लिया। वह टाटा संस बोर्ड के सबसे युवा सदस्य थे। साल 1938 से लेकर 1991 तक उन्होंने 50 सालों तक टाटा समूह को नेतृत्व किया। वह टाटा ग्रुप के सबसे लंबे समय तक चेयरमैन रहने वाले व्यक्ति बने।
वहीं 29 नवंबर 1993 को जेआरडी टाटा ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।