कैकयी ने माता सीता को उपहार में दिया था अयोध्या का यह भवन

By कमल सिंघी | Aug 18, 2018

अयोध्या। भगवान राम और माता सीता, धरती पर इनके होने के प्रमाण अब भी साक्षात मौजूद हैं। भगवान राम के जन्मस्थल के साथ ही वह प्रत्येक स्थान जहां प्रभु ने किसी न किसी का उद्धार किया। ऐसे ही अनेक स्थल हैं जो भारत में हैं, इन स्थानों पर अब मंदिर का निर्माण हो चुका है। भगवान राम के जन्मस्थल में वैसे तो सालभर ही सैलानियों, भक्तों का आवागमन लगा रहता है, किंतु विशेष अवसरों पर यहां अच्छी खासी भीड़ देखने मिलती है। भारत देश की इसी प्राचीन और प्रसिद्ध नगरी में स्थित एक ऐसे ही स्थान की ओर यहां हम आपको लेकर जा रहे हैं। यह माता सीता के लिए प्रसिद्ध है और कनक भवन के नाम से जाना जाता है। इसके संबंध में बताया जाता है कि ये विवाह के समय माता सीता को उपहार में प्राप्त हुआ था।

 

देखकर ही हो गईं थीं मोहित

 

कनक भवन माता सीता को उपहार स्वरूप कैकयी ने दिया था। जब जनक नंदनी वैदेही माता सीता भगवान राम के साथ ब्याह कर अयोध्या आईं तो कैकयी उन्हें देखकर बहुत ही प्रसन्न हुईं। उनकी सुंदरता और मन को मोह लेने वाले सुंदर स्वरूप पर वह मोहित हो गईं। कहा जाता है कि तभी कैकयी ने अपना स्नेह व्यक्त करने के लिए नववधु देवी सीता को मुंह दिखाई में उपहार में कनक भवन दे दिया।

 

शास्त्रों में भी उल्लेख

 

इस अनोखे और बेहद ही अद्भुत स्थान का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। कहते हैं कि जब देवी सीता को कैकयी ने देखा तो उनकी सुंदरता से आत्मविभोर हो उठी। ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि कैकयी अपने सभी पुत्रों में भगवान राम को अधिक प्रेम करती थी, वह उनके सबसे अधिक प्रिय पुत्र थे। ऐसे में प्रिय पुत्र की पत्नी भी कैकयी को अत्यधिक प्रिय थी। इसलिए उसने सबसे अच्छा उपहार देने का निर्णय किया और कनक भवन की भेंट वैदेही को दी।

 

यहां की भी मान्यता

 

इस स्थान के संबंध में बताया जाता है कि 1891 में इसकी पुर्नस्थापना करायी गई थी। यहां आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि ओरछा के राजा अब भी राजा राम ही माने जाते हैं। कहा जाता है कि प्रतिदिन संध्याकाल में यहां आते हैं और सुबह होते ही चले जाते हैं। इस वजह से यहां संध्या वंदन, पूजन आरती का विशेष महत्व है। ठीक इसी प्रकार माता सीता से जुड़ाव होने के कारण ओरछा के समान ही इस स्थान की भी अलग ही मान्यता है।

 

8 सखियों के कुंज भी मौजूद

 

कनक भवन के गर्भगृह में वह स्थान है जहां भगवान राम शयन किया करते थे। पास ही आठ सखियों के कुंज भी स्थापित किए गए हैं। ये सभी भगवान की क्रीड़ा के लिए प्रबंधन किया करती थीं। दूर-दूर से लोग इस स्थान को देखने आते हैं। खासकर उस स्थान को जहां माता सीता ने समय व्यतीत किया और भगवान राम विश्राम करने पहुंचे। कनक भवन बहुत ही प्रसिद्ध स्थल है। कहा जाता है कि माता सीता और भगवान राम यहां अक्सर ही समय व्यतीत करने के लिए आया करते थे। यहां सभी राजसी साधन और ठाट-बाट मौजूद थे। दासियां इनकी सेवा में हर पल मौजूद रहती थीं, जिनके साक्ष्य भी यहां स्पष्ट रूप से देखने को मिलते हैं। माता सीता-राम की विवाह स्मृतियों में इसे श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।

 

अयोध्या भ्रमण के दौरान इस स्थान के दर्शन करना अविस्मरणीय अनुभव है। इस स्थान के संबंध में यह भी कहा जाता है कि यदि पूर्ण श्रद्धाभाव से यहां के दर्शनों के लिए जाया जाए तो किसी नववधु की उपस्थिति का एहसास भवन में स्वयं ही होने लगता है। कनक महल की शोभा में अब भी उत्सव का माहौल है। यहां जाने वाले अनेक सैलानी अपने अद्भुत अनुभव के बारे में बताते हुए प्रफुल्लित हो उठते हैं।

 

-कमल सिंघी

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