Kalyan Singh Birth Anniversary: संघर्ष भरा रहा कल्याण सिंह का सियासी सफर, जानिए क्यों कहे जाते हैं राम मंदिर के नायक

By अनन्या मिश्रा | Jan 05, 2025

आज ही के दिन यानी की 05 जनवरी राममंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे और दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का जन्म हुआ था। भले ही वह दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन देश की राजनीति में हिंदुत्व का खिताब उनको ऐसे ही नहीं मिल गया था। उन्होंने पद पर बने रहने के लिए कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया और न कभी राजनीति में समझौता किया। कॉलेज के शिक्षक से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक के संघर्षों भरे सफर की डगर काफी कठिन रही। कल्याण सिंह हिंदू सम्राट हृदय कहलाए। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर कल्याण सिंह के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और शिक्षा

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के मढ़ौली गांव में एक साधारण किसान के परिवार में 05 जनवरी 1932 को कल्याण सिंह का जन्म हुआ था। उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की और फिर वह अतरौली के एक इंटर कॉलेज में अध्यापक बनें। हालांकि कुछ समय तक बच्चों को पढ़ाने के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और संघ से जुड़ गए।

इसे भी पढ़ें: Om Prakash Chautala Birth Anniversary: हरियाणा का वह CM जिसने जेल में पास की थी 10वीं की परीक्षा, उठा-पटक भरा रहा सियासी सफर

राजनीतिक सफर

साल 1967 में कल्याण सिंह पहली बार अतरौली से विधायक बनें और 1980 तक लगातार जीत हासिल की। वहीं जब देश में आपातकाल लगा, तो उस दौरान वह 21 महीने तक अलीगढ़ व बनारस की जेल में रहे। फिर जनसंघ से बीजेपी के गठन के बाद प्रदेश संगठन महामंत्री और प्रदेशाध्यक्ष बनाए गए। इस दौरान कल्याण सिंह ने घूम-घूमकर बीजेपी की जड़ों को मजबूत करने का काम किया। भाजपा, जोकि अब विशाल वट वृक्ष बन चुकी है, इसको कल्याण सिंह और उनके सहयोगियों ने शुरूआती दिनों में सींचा था। जब साल 1991 में राज्य में बीजेपी की सरकार बनीं, तो कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बनें।


दूसरी बार बने सीएम

कल्याण सिंह शुरूआत में संघ में जुड़े और साल 1962 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा। लेकिन इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि अपनी राजनीतिक समझ के दम पर उन्होंने दूसरा चुनाव जीता और साल 1966 में दूसरी बार मुख्यमंभी बनें। वहीं साल 1999 में मतभेद होने के कारण उन्होंने बीजेपी का दामन छोड़ दिया और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया। साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कल्याण सिंह फिर से भाजपा में शामिल हुए।


इसी साल कल्याण सिंह बुलंदशहर से जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। वहीं उचित सम्मान न मिल पाने की वजह से आहत कल्याण सिंह ने साल 2009 में दूसरी बार बीजेपी को छोड़कर मुलायम सिंह यादव के करीब हुए। इस बार वह एटा से निर्दलीय निर्वाचित होकर दूसरी बार सांसद बने थे।


लेकिन बाद में मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों की नाराजगी की वजह से कल्याण सिंह से किनारा कर लिया। तब राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी का गठन कर साल 2012 में कल्याण सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ा। कल्याण सिंह के भाजपा छोड़ने से कल्याण और भाजपा दोनों को नुकसान हुआ था। साल 2013 में कल्याण सिंह ने एक बार भी भाजपा ज्वाइन की और साल 2014 में नरेंद्र मोदी के कहने पर लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में बीजेपी का प्रचार किया। इस दौरान बीजेपी ने लोकसभा की 80 सीटों में से 71 पर जीत हासिल की। फिर उनको हिमाचल और राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था।


रामलला के दर्शन की अंतिम इच्छा रह गई अधूरी

बता दें कल्याण सिंह ने अपने पद पर बने रहने के लिए कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। जिस का नतीजा यह रहा कि उन्होंने अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवाने से इंकार कर दिया। वहीं विवादित ढांचे के विध्वंस की जिम्मेदारी अपने कंधे पर ली और सीएम पद को ठोकर मार दी। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए एक नहीं सैकड़ों सत्ता कुर्बान हैं। हालांकि कल्याण सिंह की अयोध्या में निर्माणाधीन मंदिर में विराजमान रामलला के दर्शन की इच्छा अधूरी रह गई। क्योंकि 21 अगस्त 2021 को 80 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद कल्याण सिंह का निधन हो गया।

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी