By सुयश भट्ट | Feb 14, 2022
भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने तैयारियां से शुरू कर दी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जल्द ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बड़ी बैठक बुलाने वाले हैं। कांग्रेस प्रदेश में ''घर चलो, घर-घर चलों अभियान'' चला रही है उसका फीडबेक भी कमलनाथ लेंगे।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 17 फरवरी को प्रदेश के सभी कांग्रेस जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में कांग्रेस के निर्वाचन पदाधिकारियों को भी बैठक में शामिल किया जाएगा। कमलनाथ इस बैठक में जिलाध्यक्षों से उनके कामकाज का ब्यौरा लेंगे। कांग्रेस ब्लॉक स्तर तक संगठनों को बूस्ट अप करने की तैयारी चल रही है।
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ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस मिशन 2023 पर फोकस कर सत्ता में वापसी पर काम कर रही है। और यही वजह है कि कांग्रेस अब ब्लॉक, जिला स्तर पर फोकस करेगी इसी के तहत निचले स्तर पर संगठन पदाधिकारियों से संवाद का सिलसिला शुरू होगा। वहीं संवाद के बाद प्रदेश में खाली पड़े कांग्रेस के पदों के लिए भी जल्द संगठन चुनाव होंगे।
हालांकि कांग्रेस संगठन के तौर पर अभी कमजोर नजर आ रहा है। कांग्रेस की सभी इकाई अभी गुटबाजी और अंतर्कलह से बिखरी हुई नजर आ रहीं है। मुख्यता कांग्रेस की तीन इकाई है। युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और छात्र संगठन एनएसयूआई। देखा जा रहा है कि इन तीनों ही इकाइयों में कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। कुछ को पद न मिलने की तो कुछ गुटबाजी से नाराज है। पार्टी के इन हालातों ने कमलनाथ की चिंता को और बढ़ा दिया है।
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आपको बता दें कि युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया को पीसीसी प्रमुख के आवास पर बुलाया गया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने युवा कांग्रेस द्वारा किए गए कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। भूरिया द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कई विसंगतियां थी और नाथ ने इसे इंगित किया था। भूरिया पूरे राज्य में युवा कांग्रेस की जिला समितियों का गठन नहीं कर पाए हैं। उनके पदभार संभालने के बाद से लगभग आधे पद खाली पड़े हैं। विक्रांत दिसंबर 2020 में प्रदेश अध्यक्ष चुने गए थे।
भूरिया अब पीसीसी प्रमुख के निशाने पर हैं क्योंकि वह लक्ष्य को पूरा करने में असमर्थ हैं। कमलनाथ ने 2023 के विधानसभा चुनावों की योजना एक युवा टीम को ध्यान में रखकर बनाई है। भूरिया आज तक एक नई युवा टीम का गठन करने में असमर्थ हैं।
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वहीं महिला कांग्रेस की बात करे तो महिला कांग्रेस की नवगठित कार्यकारिणी को लेकर ग्वालियर और उज्जैन मे सबसे ज्यादा झगड़ा देखने को मिला था। जिसके कारण प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने नवनियुक्त पदाधिकारियों को अगले 10 दिन तक नियुक्ति पत्र नहीं बांटने का निर्णय लिया था। यह निर्णय 30 जनवरी को लिया गया था। 10 दिन भी पूरे हो चूकें है लेकिन अब तक इसका निष्कर्ष नहीं निकल सका है।
एनएसयूआई कांग्रेस का छात्र संगठन है। अक्टूबर में एमपी एनएसयूआई को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला था। उस दौरान एनएसयूआई को यह आदेश दिया गया था कि भाजपा सरकार द्वारा जो नई शिक्षा नीति लागू की गई है उसे लेकर पूरे प्रदेश भर में प्रदर्शन होने चाहिए। लेकिन सिर्फ दिखाने के लिए राजधानी भोपाल में इसे लेकर एक प्रदर्शन हुआ था जिसमें एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष मौजूद थे। अभी जानकारी मिली है कि एनएसयूआई भी अब तक अपने संगठन को मजबूत नहीं कर पाई है। सिर्फ अभी छिंदवाड़ा में ही एनएसयूआई ने अपना जिलाध्यक्ष बनाया है और बाकी के जिले खाली हैं।
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दरअसल कमलनाथ कि कांग्रेस सरकार इससे पहले भी 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने के बावजूद भी अपने कार्यकर्ता और नेताओं को नहीं संभाल पाई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत लगभग 30 विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। जिसके चलते दोबारा मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार सत्ता में वापस आई थी।
बता दें कि मध्य प्रदेश 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में पार्टी इस बार इन्हीं सीटों पर विशेष फोकस करने की तैयारियों में जुटी हैं। जानकारी मिली है कि अभी से टिकट के दावेदारों का सर्वे भी किया जा रहा है।